डीजीपी अभिनव कुमार के कुशल नेतृत्व में उत्तराखण्ड के इतिहास मे पहली बार दिखी एतिहासिक परेड

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड के डीजीपी जहां अपराधियों और माफियाओं को नेस्तनाबूत करके आवाम को भयमुक्त समाज मे खुलेपन से जीने का अहसास कराना शुरू कर दिया है वहीं राज्य की जनता डीजीपी की अपराधियों के खिलाफ छेडी गई जंग से उन्हें अपना रक्षक मान रहे हैं। वहीं डीजीपी के कुशल नेतृत्व मे उत्तराखण्ड के इतिहास मे पहली बार स्थापना दिवस पर एतिहासिक पुलिस परेड का आयोजन देखकर कार्यक्रम मे आये सीडीएस से लेकर बडे-बडे महानुभाव गदगद हो गये और सेना के अफसर भी पुलिस कप्तान के नेतृत्व मे दिखाई दी एतिहासिक परेड पर उन्हें अपनी शाबाशी देने से पीछे नहीं हटे। पहली बार पुलिस लाइन को एक नये अंदाज मे सजाया गया था और उसकी सजावट यह बताने के लिए काफी थी कि राज्य की कमान संभाल रहे डीजीपी उत्तराखण्ड मे किस विजन के साथ पुलिस को साथ लेकर चलने के मिशन पर आगे बढे हुये हैं। चौबीस साल मे पहली बार स्थापना दिवस पर दिखी अलौकिक पुलिस परेड को देखकर मुख्यमंत्री से लेकर सभी राजनेता गदगद हुये और उसी के चलते परेड को एतिहासिक बनाने वाली पुलिस टीम को डीजीपी ने एक लाख रूपये का ईनाम और तीन दिन का अवकाश देकर उन्हें यह आभास करा दिया है कि जो पुलिसकर्मी राज्य की बेहतरी के लिए काम करेगा उन्हें ईनाम से नवाजा जायेगा।
उत्तराखण्ड की राजधानी की पुलिस लाइन मे होने वाले स्थापना दिवस को एक नयापन देने के लिए डीजीपी अभिनव कुमार ने पुलिस कप्तान अजय सिंह को जिम्मेदारी सौंपी थी। पुलिस कप्तान ने पुलिस लाइन को एक नया रूप देने के लिए बडी रणनीति के साथ काम किया और पुलिस लाइन को उन्होंने जिस रूप मे एक नई दिशा दिखाई उसे देखते ही स्थापना दिवस की परेड देखने आये विशेष अतिथि और महानुभाव गदगद हो गये थे। राज्यपाल गुरमीत सिंह को परेड का निरीक्षण कराने के लिए जब खुली जिप्सी पर डीजीपी सवार हुये तो परेड का निरीक्षण करते समय राज्यपाल भी काफी मंत्रमुग्ध हो गये थे क्योंकि वह खुद सेना के एक बडे अफसर रहे हैं इसलिए वह परेड मे मौजूद जवानों के हावभाव देखकर पहचान लेते हैं कि उनका इकबाल किस रूप का है। राज्यपाल ने जब परेड की सलामी ली तो उनके साथ राज्य के डीजीपी अभिनव कुमार भी मौजूद थे और जब परेड की अगुवाई कर रहे राजधानी के पुलिस कप्तान अजय सिंह घोडे पर सवार होकर कदमताल करते हुए धीरे-धीरे आगे बढ रहे थे तो वह नजारा देश के इंडिया गेट पर होने वाली परेड की तरह दिखाई दे रहा था। पुलिस कप्तान एक हाथ मे धोडे की कमान संभाले थे तो वहीं दूसरे हाथ से वह तलवार लेकर मुख्य अतिथि को अपनी सलामी देते हुए जब आगे बढ रहे थे तो इस अलौकिक परेड को देखकर पुलिस लाइन मे सीडीएस, सेना के अफसर और राजनेता भी काफी गदगद हो गये और जिस शानदार अंदाज मे पुलिस कप्तान अजय सिंह परेड का नेतृत्व करते हुए धीरे-धीरे आगे बढ रहे थे तो स्टेडियम से आ रही तालियों की गडगडाहट ने परेड कर रहे पुलिसकर्मियों का हौसला बुलंद कर रखा था। परेड मे शामिल सभी धुडसवार और पैदल मार्च कर रहे पुलिसकर्मियों ने मुख्य अतिथि के सामने से निकलते समय उन्हें अपनी सलामी दी तो वह दृश्य देखते ही बन रहा था और समूचा स्टेडियम इस परेड को देखकर वैसा ही अनुभव कर रहा था जैसे आईएमए मे होने वाली दीक्षांत परेड देखकर स्टेडियम मे बैठे लोग गदगद हो उठते थे।
डीजीपी अभिनव कुमार के कार्यकाल मे स्थापना दिवस पर हुई इस अलौकिक पुलिस परेड ने जो प्रशंसा राज्य बनने के बाद पहली बार बटोरी है उसको लेकर यही चर्चाएं चल पडी कि जब पुलिस का मुखिया एक विजन वाला अफसर होता है तो फिर हर तरफ पुलिस का इकबाल ही देखने को मिलता है। डीजीपी अभिनव कुमार ने परेड कमांडर अजय सिंह और उनकी पूरी टीम का जोशभरे अंदाज मे शाबाशी दी और उत्तराखण्ड के इतिहास मे पहली बार ऐसा हुआ कि अलौकिक परेड को देखकर डीजीपी ने परेड मे शामिल टीम को एक लाख रूपये का ईनाम और तीन दिन का अवकाश देकर उनके मनोबल को बुंलद कर दिया।

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