ईनामी डकैत को किया गिरफ्तार

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देहरादून। डीजीपी की कमान संभालते ही एसटीएफ को टास्क दिया गया कि वर्षों से फरार चल रहे ईनामी बदमाशों को कहीं से भी खोजकर सलाखों के पीछे पहुंचाया जाये। डीजीपी ने जब फरार चल रहे अपराधियों का लेखाजोखा परखा तो उनके शासनकाल में हरिद्वार में इलाहाबाद बैंक डकैती में फरार चल रहे एक लाख रूपये के ईनामी पर उनकी रडार लग गई और उन्होंने एसटीएफ पुलिस कप्तान को ईनामी को खोज निकालने का ऑपरेशन सौंपा। एसटीएफ ने इलाहाबाद बैंक डकैती के ईनामी को खोज निकालने के लिए सर्विलांस और मैनुअल जांच पडताल शुरू की और टीम ने रणनीति के तहत ईनामी का ठिकाना खोज निकाला और उसी के चलते एसटीएफ की एक टीम ने एक लाख के ईनामी को दबोच लिया जबकि वह अपना नाम बदलकर चैन्नई में डेरा डाले हुये था। डीजीपी का साफ कहना है कि वर्षों से फरार चल रहे एक-एक अपराधियों को खोज निकालने के लिए एसटीएफ को मैदान में उतारा गया है।
उत्तराखण्ड के डीजीपी अभिनव कुमार द्वारा उत्तराखण्ड में खतरनाक एवं कुख्यात अपराधियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने का साफ आदेश एसटीएफ पुलिस कप्तान नवनीत भुल्लर को दिया हुआ है। पुलिस कप्तान नवनीत सिंह द्वारा अपनी टीमों को सभी वांछित व कुख्यात अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए टास्क दे रखा है। पुलिस कप्तान के आदेश पर चन्द्रमोहन सिंह अपर पुलिस अधीक्षक एवं आर०बी० चमोला पुलिस उपाधीक्षक द्वारा अपने नेतृत्व मे एसटीएफ की टीमों के साथ कुशल रणनीति अपनाकर सर्विलान्स और मैनुवल पुलिसिंग के साथ वांछित एवं ईनामी अपराधियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही कर रही है। जिसके फलस्वरूप विगत कई सालों से फरार उत्तराखण्ड राज्य के पुराने वांछित कुख्यात अपराधियों को पकडऩे में सफलता प्राप्त हुई है।
पुलिस कप्तान नवनीत सिंह के अनुसार वर्ष 2००4 में हरिद्वार में इलाहाबाद बैंक में बड़ी बैंक डकैती पड़ी थी, जिसमें तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (वर्तमान पुलिस महानिदेशक) अभिनव कुमार द्वारा सभी बैंक डकैतों के विरुद्ध ठोस कार्यावाही कराई गयी थी। जिसमें से एक बदमाश टीपू यादव इस घटना के लगभग एक माह बाद ही पुलिस मुठभेड़ में हरिद्वार पुलिस द्वारा मार गिराया गया था। इस घटना में शामिल एक वांछित अपराधी उदय उर्फ विक्रांत पुत्र विंदेश्वर नि. ग्राम खेरकैमा जिला पटना बिहार तब से लगातार वांछित चल रहा था व पुलिस के डर से कहीं छिप गया था। जिसे जनपद पुलिस द्वारा ढूँढऩे के काफी प्रयास किए गए थे एवं इस अभियुक्त के घर की कुर्की तक की गयी थी लेकिन इसकी गिरफ्तारी नही हो पायी थी। जिस पर पुलिस मुख्यालय उत्तराखण्ड द्वारा इस डकैत की गिरफ्तारी हेतु एक लाख रुपए का ईनाम की घोषणा की गयी थी। एसटीएफ टीम द्वारा कुशल व सटीक रणनीति बनाकर अपने मैनुअल मुखबीर तंत्र की मदद से इस डकैत के बारे में सूचना प्राप्त हुई यह ईनामी अपराधी तमिलनाडु में कहीं पर छिपकर रह रहा है जिस पर एक एसटीएफ की टीम उपनिरीक्षक विद्या दत्त जोशी के नेतृत्व में जनपद वेल्लोर, तमिलनाडु भेजी गयी वहाँ पर इस टीम द्वारा अथक मेहनत से इस वांछित अपराधी के बारे में सूचना एकत्रित कर गिरफ्तारी की गयी है।
गौरतलब है कि 17दिसम्बर .2००4 को लगभग ढाई बजे दिन में इलाहाबाद बैंक हरिद्वार में चार से पांच बदमाश तमंचे लेकर घुसे तथा सभी स्टॉफ को बन्धक बनाकर बैंक हॉल में कब्जे में ले लिया तथा हेड कैशियर व प्रबन्धक परिचालन को तमंचा दिखा कर चाबी लेकर बदमाश-कैश स्ट्रांग रूम मे गये तथा हेड कैशियर के केबिन से व स्ट्रांग रूम से नौ लाख इकसठ हजार नौ सौ पचास मात्र दो बैग में भरकर ले गये और जाने से पहले बदमाशों द्वारा सभी कर्मचारियों को बैंक के स्ट्रांग रूम में गेट बन्द करके चले गए थे। दिन दहाड़े हुयी इस डकैती की घटना को हरिद्वार जिले के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिनव कुमार (वर्तमान पुलिस महानिदेशक) द्वारा बड़ी गम्भीरता से लेते हुये घटना का त्वरित अनावरण किया गया। इस घटना में शामिल इस गिरोह का सरगना मुख्य अभियुक्त टीपू यादव पुत्र स्व० प्रयाग यादव निवासी दिगहा पटना विहार को हरिद्वार पुलिस द्वारा घटना के लगभग एक माह बाद ही पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया था। इस घटना में शामिल चार अन्य अभियुक्तों को हरिद्वार पुलिस द्वारा गिरप्तार किया जा चुका था परन्तु उदय उर्फ विकान्त तभी से फरार चल रहा था। पुलिस कप्तान नवनीत भुल्लर ने बताया कि गिरफ्तार ईनामी डकैत से पूछताछ पर पता चला कि उसने हरिद्वार में बैंक डकैती की घटना से पहले बिहार में पटना क्षेत्र से एक व्यक्ति रविन्दर उर्फ अरविंद को फिरौती के लिये अपहरण किया था, जिसके बाद वह वर्ष 2००4 में हरिद्वार आ गया था। यहां पर उसने जूस की ठेली लगायी और अपने साथियों के साथ इलाहाबाद बैंक में डकैती की योजना बनाकर घटना को अंजाम दिया था। बैंक डकैती में अपने साथी टीपू यादव के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद पकड़े जाने के डर से अपना बेश बदलकर अपने भाई पवन कुमार के साथ विशाखापट्टनम में चला गया था।वहाँ फुटपाथ पर कपड़े की ठेली लगाकर जीवन यापन करने लगा। फिर उसके पश्चात वही पर ही शादी करके रहने लगा।

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