डीजीपी के तीसरे नेत्र से नहीं बच पायेंगे फरार कैदी

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में अपराधजगत का सर्वनाश करने के लिए मुख्यमंत्री ने डीजीपी को साफ संदेश दिया हुआ है और यही कारण है कि जब भी किसी अपराधी ने सरकार और पुलिस महकमे को ललकारने का दुसाहस किया तो उसे इसका खामियाजा या तो अपने जीवन की लीला खत्म करके चुकाना पडा या फिर पुलिस से हुई मुठभेड में उनके पैरों में गोलियां लगी तो वह मुख्यमंत्री से अपने जीवन की भीख मांगने लगे। हरिद्वार जेल में हो रही रामलीला के दौरान वहां से हत्या में उम्रकैद काट रहे दो कैदी जेल प्रशासन की सारी चौकसी को भेदते हुए फरार हो गये थे और इस घटना के बाद मुख्यमंत्री ने सख्त रूख अपनाया और उसके चलते जेल प्रशासन के छह कर्मचारियों को निलम्बित कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच बिठाई है तो वहंी फरार कैदियों को पाताल से भी खोज निकालने के लिए डीजीपी ने मोर्चा संभाल लिया है और हरिद्वार पुलिस के साथ-साथ एसटीएफ भी इन फरार कैदियों को खोज निकालने के ऑपरेशन में जुट गई हैं जिससे साफ दिखाई दे रहा है कि फरार कैदियों को आने वाले समय में जरूर यह पछतावा मन मे रहेगा कि वह जेल से भागे तो भागे क्यों?
उल्लेखनीय है कि हरिद्वार जेल में हाई सिक्योरिटी बैरक का निर्माण कराया जा रहा था और निर्माण सामाग्री भी वहां पडी हुई थी जिसके लिए सीढियां भी लगी हुई थी। जेल के अन्दर हो रही रामलीला का फायदा उठाकर हत्या के मामले मे उम्रकैद की सजा काट रहे दो कैदी फरार हो गये थे। कैदी पंकज और राजकुमार जेल से कैसे फरार हो गये इसको लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी काफी सख्त रूख अपनाये हुये हैं और उन्होंने इस मामले की जांच के आदेश दिये हैं। मुख्यमंत्री के तलख तेवरों के चलते जेल के जेलर और पांच कर्मचारियों को निलम्बित किया गया है। डीजीपी अभिनव कुमार ऐसे पुलिस अफसर हैं जिनके शासनकाल में अगर कोई अपराधी यह भ्रम पाल लेता है कि वह अपराध करके या सिस्टम को चुनौती देकर अंधेरी गलियों में हमेशा के लिए गायब हो जायेगा तो यह उसका एक भ्रम ही है। डीजीपी अभिनव कुमार ने जेल से फरार हुये दोनो कैदियों को पाताल से भी खोज निकालने के लिए हरिद्वार पुलिस व एसटीएफ को मैदान में उतार दिया है और उसी के चलते यह साफ दिखाई दे रहा है कि भले ही दोनो कैदी जेल से फरार होकर अपने आपको आजाद समझने की भूल कर रहे हों लेकिन यह तय है कि वह डीजीपी अभिनव कुमार के तीसरे नेत्र से कभी भी नहीं बच पायेंगे और यह तय है कि इन फरार कैदियों के गिरेबान पर पुलिस का शिकंजा जरूर होगा क्योंकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और डीजीपी अभिनव कुमार के सख्त रूख से इन कैदियों को अपने भागने पर पछतावा होगा।

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