देहरादून(संवाददाता)। देश के प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचारमुक्त भारत विजन के लिए मुख्यमंत्री ने भी उत्तराखण्ड के अन्दर भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों का तीन साल से संहार करने का जो सिलसिला शुरू कर रखा है उससे उत्तराखण्ड के अन्दर अब ऐसे शैतानों को पुष्कर का डर इतना विशाल बैठ गया है कि वह भ्रष्टाचार करने से तौबा करने लगे हैं क्योंकि उन्हें इस बात का इल्म हो चुका है कि मुख्यमंत्री तो पारदर्शिता के साथ ही सरकार चलायेंगे ऐसे में उनके भ्रष्टाचार करने के मनसूबे उनके राज में तो अब पूरे नहीं हो पायेंगे। वहीं सरकार को बार-बार अस्थिर करने की साजिश रचने वाले साजिशकर्ताओं के झुंड भी मुख्यमंत्री की रडार पर आ रखे हैं और उन्हें बेनकाब करने का जो गुप्त ऑपरेशन चल रहा है उससे वो साजिशकर्ता अब इस बात को लेकर भयभीत होने लगे हैं कि उनकी साजिशों का खेल जिस तेजी से बेनकाब हो रहा है उससे साफ नजर आ रहा है कि मुख्यमंत्री का तीसरा नेत्र हर वो दृश्य देख रहा है जिसको लेकर वह अनजान बने हुये थे? उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड को बाइस सालों से भ्रष्टाचार के दानव अपनी जकड में लिये रहे और उन्होंने 2०-2० मैच की तर्ज पर भ्रष्टाचार का जो खेल खेला उससे राज्य की जनता के मन में भ्रष्टाचारियों को लेकर बडा आक्रोश पनपता रहा लेकिन भ्रष्टाचार के रावणों की इस फौज का सामना करने के लिए राज्य की जनता साहस नहीं जुटा पाई और यही कारण रहा कि भ्रष्टाचारी और घोटालेबाजों ने उत्तराखण्ड को दीमक की तरह चाट-चाटकर खोखला करना शुरू किया। उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचारियों से आजादी दिलाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का हंटर चल रहा है लेकिन इसके बावजूद भी भ्रष्टाचारियों के रावणों की फौज इतनी विशाल दिखाई दे रही है कि उस फौज का संहार करने के लिए मुख्यमंत्री को अपना तीसरा नेत्र खोलकर उन पर शिंकजा कसना शुरू कर दिया है। उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचारी रावणों को बेनकाब करने की दिशा में एक ऐसा ऑपरेशन चलाया जा रहा है जिन्होंने सफेदपोश की आड में भ्रष्टाचार से दौलत कमाने का खेल खेला और उन भ्रष्ट अफसरों को भी आवाम के बीच बेनकाब करने का प्लान तैयार हो गया है। बता दें कि कुछ पूर्व मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में भ्रष्टाचार और घोटालों का जो तांडव मचाया था उनके चेहरे भी राज्य की जनता के सामने शीशे की तरह साफ हो जायें इसके बाद ही उत्तराखण्ड आदर्श राज्य बनने की राह पर आगे खडा हुआ दिखाई देगा? अराध्य का कार्य सिर्फ जनहित तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि ऐसी असुरी शक्तियों का संहार करना भी होता है न सिर्फ व्यक्ति विशेष के लिए बल्कि जनता के लिए हानिकारक होते है। कामना सिर्फ इतनी ही कर सकते है कि जिस प्रकार से प्रभु श्रीराम ने असुरों का संहार किया था ठीक उसी प्रकार से उत्तराखण्ड की लोकप्रिय मुख्यमंत्री इस राज्य के राजनीतिक असुरों का भी संहार करने के लिए आगे बढना पढ रहा है ताकि जिस विकास पथ पर वे राज्य आगे बढ़ा रहे, उस यात्रा में बाधा न आए।
पिछले 22 सालों में उत्तराखण्ड की कमान संभालने वाले प्रत्येक मुख्यमंत्री ने यह दावा तो जरूर किया कि वह इस पहाड़ी प्रदेश से भ्रष्टाचार को जड़ से मिटा देंगे लेकिन धरातल पर उनके यह दावे धाराशायी होते हुए ही दिखे। उत्तराखण्ड की पुष्कर सिंह धामी सरकार गुड गवर्नेंस की एक अनूठी मिसाल पेश कर रही है। सीएम धामी ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ एक्शन मोड में है। आवाम का मानना है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी को भ्रष्टाचार के रावणों की फौज का संहार करने के लिए खुद ही मैदान में उतर चुके हैं और इस दशहरे पर उन्हें राजनीतिक असुरों का संहार आगे भी करना होगा क्योंकि राज्य की जनता को अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से एक बडी उम्मीद जग चुकी है कि वह राज्य में भ्रष्टाचारी दानवों का अंत करके उत्तराखण्ड का आदर्श राज्य बनाने का किला फतेह करेंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जिस पारदर्शिता और स्वच्छता के साथ सरकार चला रहे हैं वह भाजपा हाईकमान को खूब रास आ रहा है और राज्य की जनता यह समझ चुकी है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भ्रष्टाचारमुक्त विजन के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भ्रष्टाचारियों, घोटालेबाजों का संहार करने से कभी पीछे नहीं हटेंगे।