राष्ट्रीय धरोहर के रूप में स्थापित किया जायेगा बलिदानियों का स्मारक

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रूड़की/देहरादून(संवाददाता)। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि 1857 की क्रांति से पहले यह बलिदान हो गया और स्मारक का सौन्दर्यीकरण किया पूर्व में किया गया और इस कार्य को आगे बढाने का कार्य किया जायेगा। उन्होंने कहा कि वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दी जा रही है। उन्होंने कहा कि देश के लोगों व नई पीढी को राजा विजय सिंह व सेनापति कल्याण सिंह व 152 लोगों के बलिदान को पाठयक्रम में शामिल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस स्मारक को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में स्थापित किया जायेगा। यहां राजा विजय सिंह व सेनापति कल्याण सिंह के बलिदान दिवस पर संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश के भविष्य के लिए अपने प्राणों की आहूति राजा विजय सिंह और सेनापति कल्याण सिंह वीरगति को प्राप्त हो गये। उन्होंने कहा कि यह भूमि वीरों की भूमि है। देश की आजादी के लिए 152 बलिदानों ने अपने प्राण न्यौछावर किये है और यह स्थान हमारे लिए तीर्थ स्थल बनना चाहिए और नौजवान युवा पीढ़ी को उन्होंने कहा कि इस भूमि ने आजादी के आंदोलन को शुरू किया और यहां पर बलिदानियों ने भारत को आजाद स्रद्भह्वह्य को तीन अक्टूबर 1822 का दिन गौरवमयी इतिहास का गवाह है और यहां स्वतंत्रता की मशाल को कायम किया और आने वाली पीढी को एक आदर्श कार्य किया और भारत के सपूत अपने देश की स्वतंत्रता के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते है और अपने प्राणों को बलिदान करने का संदेश दिया गया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे है और वीरों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया और ऐसे अमृत काल में है जहां पर वीर सैनानियों की वीर गाथा को याद कर रहे है। उन्होंने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नये रूप से स्थापित करने का काम किया और राजा विजय सिंह के बलिदान को हमेशा याद किया जाता रहेगा ओर उन्होंने जो लडाई लडी वह एक मिशाल है और कोई भी हमारा मार्ग अवरूद्ध नहीं कर सकती है और आने वाली पीढियां वीर बलिदानियों की कहानी, संघर्ष व कामों को पहचान दिलाये और जहां पर उनका स्थान है।
उन्होंने कहा कि बलिदानियों के गौरवशाली गाथा को जीवंत रखा जा रहा है और वीर बलिदानियों की गाथा को आगे बढाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वीर सैनिकों व उनके परिवारों के हितों के लिए अनेक कार्य किये जा रहे है और यहां पर साल पर लोगों का मेला लगा रहे ऐसा स्थल बनना चाहिए और यहां पर मंगलो राजकीय इंटर कालेज का नाम राजा विजय सिंह के नाम से रखा जायेगा और स्मारक का सौन्दर्यीकरण कराया गया और जिस वट वृक्ष के बलिदान स्थल का सौन्दर्यीकरण किया गया है और वीर बलिदानियों की स्मृति को याद रखना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि इस स्मारक को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में स्थापित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि राजा विजय सिंह व सेनापति कल्याण सिंह के बलिदान दिवस पर याद किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस पवित्र भूमि को नमन करने से पूर्व में वह वंचित कन्या शिक्षा प्रसार समिति ने वीर बलिदानियों के इतिहास को जिंदा रखा है और कन्याओं को बेहतर शिक्षा प्रदान कर रहे है। उन्होंने कहा कि कृषि महाविद्यालय में पत्रावली चल रही है और इस कार्य को पूरा करने का काम किया जायेगा और सभी प्रस्तावों को आगे बढा दिये गये है और रराष्टीय स्तर पर बनाने का काम किया जायेगा और एक मिनट की देरी नहीं की जायेगी और पूरे देश के लोगों व नई पीढी को राजा विजय सिंह व सेनापति कल्याण सिंह व 152 लोगों के बलिदान को पाठयक्रम में शामिल किया जायेगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इतिहास की किताब का विमोचन किया, जिसमें राजा विजय सिंह व सेनापति कल्याण सिंह की जीवनी पर आधारित है। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि राजा विजय सिंह के दो सौ कालखंड को अभिनंदन करने आये है। उन्होंने राजा विजय सिंह का बलिदान और सेनापति कल्याण सिंह के बलिदान को भारत के बच्चे बच्चे के जहन में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सन 1857 की क्रांति बाद में आई है और सन 1822 की यह घटना है और राजा विजय सिंह की जीवनी को पाठयक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। उन्हांने कहा कि कुंजा बहादुरपुर का गांव है जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला और 152 लोगों को उल्टा लटका दिया गया था। उन्होंने कहा कि इस धरती को स्पर्श करते हुए आजादी की याद आती है। उन्होंने कहा कि यहां पर विकास कार्य तेजी से हो रहा है। उन्होंने कहा कि राजा विजय सिंह के नाम पर राष्ट्रीय स्मारक का नामकरण किया जाये। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य में एक परिवार से एक सदस्य सेना में है। उन्होंने कहा कि और भारत माता की सेवा करते है और राज्य का युवा मुख्यमंत्री उत्तराखंड को शीर्ष स्थान पर लाने का कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि आज का दिन दो सौ सालों को याद कर रहे है। उन्होंने कहा कि राजा विजय सिंह व सेनापति कल्याण सिंह के बलिदान को याद किया जाता रहेगा। इस अवसर पर अनेक जनप्रतिनिधि एवं स्थानीय लोग शामिल रहे।

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