साहनी आत्महत्या प्रकरण में सीएम के न्याय पर सबकी नजरें!

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड के इतिहास मंे पहली बार देखने को आया है जब राज्य में एक पॉवरफुल उद्यमियों पर जब एक बिल्डर को आंतकित कर उसे मौत की दहलीज पर धकेलने वालों को सरकार के मुखिया ने जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने में तिनकाभर भी देर नहीं की। मुख्यमंत्री के इस साहसिक कदम में डीजीपी ने भी दबाव की राजनीति को मिट्टी मंे मिलाकर रख दिया था लेकिन राज्य के गलियारों में लम्बे समय से यह बहस चल रही है कि गुप्ता बंधुओं को जिस तरह से राज्य के चंद राजनेताओं का पर्दे के पीछे से साथ मिल रहा है उसके चलते क्या शासन और पुलिस प्रशासन गुनाहगारों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल करने का साहस दिखा पायेगा? तीन माह बाद भी पुलिस प्रशासन द्वारा न्यायालय में गुनाहगारों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल न किये जाने पर सिक्ख समाज में एक बडा उबाल देखने को मिला और उनमे इस बात को लेकर बडी नाराजगी भी दिखाई दी कि जिस तरह से साहनी परिवार की सुरक्षा को हटा लिया गया उसके पीछे आखिरकार कौन ऐसे पॉवरफुल लोग हैं जो शासन में अपनी बडी दखल रखकर साहनी परिवार को सुरक्षाविहीन करने के खेल में सफलता की सीढी चढ गये? अब सिक्ख समाज को राज्य के मुख्यमंत्री से न्याय की आस है क्योंिक इस मामले में मुख्यमंत्री के सख्त रूख के चलते ही गुप्ता बंधुओं पर अपराधिक मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया गया था।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सत्ता में आते ही यह संदेश दिया था कि वह सबके साथ एक जैसा न्याय करेंगे और अगर किसी गरीब के साथ कोई अन्याय होगा तो उसे भी सही इंसाफ दिलाने में वह पीछे नहीं हटेंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पिछले तीन सालों से राज्य की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरते आ रहे हैं और आम जनता को भी यह उम्मीद जग चुकी है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आम जन मानस के रक्षक हैं। कुछ समय पूर्व जब राजधानी के एक बडे बिल्डर सतेंद्र साहनी ने एक इमारत से कूदकर आत्महत्या की थी तो उसकी जेब से मिले सुसाइड नोट की जांच कराने के बाद प्रसिद्व उद्योगपति गुप्ता बंधुओं अजय गुप्ता और अनिल गुप्ता को राजधानी के पुलिस कप्तान अजय सिंह ने जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया था। डीजीपी अभिनव कुमार ने भी राजधानी के पुलिस कप्तान अजय सिंह को साफ संदेश दिया हुआ था कि इस मामले मे निष्पक्षता के साथ पुलिस जांच करें। पुलिस कप्तान अजय सिंह के नेतृत्व में इस मामले की जांच आगे बढी और उसी के चलते दून की अदालतों से गुप्ता बंधुओं की जमानत खारिज हुई थी। गुप्ता बंधुओं को जेल की सलाखों के पीछे देखकर राज्य के चंद राजनेताओं में पुलिस की कार्यवाही को लेकर नाराजगी देखने को मिलने लगी और इसी के चलते डीजीपी अभिनव कुमार को इन दिनों निशाने पर लिया जा रहा है?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी साहनी आत्महत्या प्रकरण में उनके परिवार को न्याय दिलाने का शुरूआती दौर से ही वचन दे चुके थे लेकिन सबसे हैरानी वाली बात है कि पुलिस के पास सतेंद्र साहनी का सुसाइड नोट और इस मामले में उसके पास मौजूद रिकार्डिंग के बाद भी पुलिस ने तीन माह बाद भी जब न्यायालय में गुप्ता बंधुओं के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं किया तो उससे सिक्ख समाज में एक बडी नाराजगी देखने को मिली और आज सिक्ख समाज के प्रबुद्ध लोगों ने डीएम कार्यालय में दस्तक देकर प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक पत्र भेजा है और उनसे वह अब बडी न्याय की उम्मीद पाले हुये हैं और उनका कहना है कि साहनी परिवार के सामने अभी भी एक बडा खतरा होने के बावजूद उनकी सुरक्षा आखिरकार क्यों और किसने हटाई यह हैरान करने वाली बात है? सबसे अह्म बात यह है कि सिक्ख समाज मुख्यमंत्री से अपील कर रहा है कि साहनी प्रकरण में अभियुक्तों के खिलाफ न्यायालय में जल्द से जल्द आरोप पत्र दाखिल कर उन्हें सजा दिलाने के लिए आगे आयें। अब सबकी नजरें साहनी प्रकरण में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के न्याय पर जाकर टिक गई हैं कि वह सिक्ख समाज द्वारा उनसे जो न्याय की उम्मीद की गई है उस पर अब मुख्यमंत्री क्या एक्शन लेंगे।

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