हिन्दी एक भाषा नहीं हमारे राष्ट्र की आत्मा

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देहरादून(संवाददाता)। हिंदी केवल हमारे लिए संवाद का माध्यम नहीं है बल्कि यह हमारी अस्मिता, संस्कृति और भारतीयता का प्रतीक भी है। हिंदी ने हमारे विविधता से भरे समाज को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया है। सहजता, सरलता और सामथ्र्य से परिपूर्ण हिंदी में समन्वय की अदभुत क्षमता है। हिंदी की कीर्ति केवल भारत तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में यह संवाद का एक प्रमुख सेतु बन चुकी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी न उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा आयोजित हिंदी दिवस समारोह-2०24 में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिंदी भाषा के उत्थान और संवर्धन के लिए जो महानुभाव अनवरत अपना योगदान देते रहे हैं, आज के इस अवसर पर मैं उन तमाम लोगों को नमन करता हूँ। उन्होंने कहा कि यह एक भाषा का उत्सव नहीं बल्कि हमारी संस्कृति के गौरव का अवसर है। हिंदी एक भाषा नहीं हमारे राष्ट्र की आत्मा है। हिंदी ने हमारे समाज को जोड़ा है और हमारी सभ्यता को समृद्ध किया है। विश्व पटल पर हिंदी ने हमें विशेष स्थान दिलाया है। उन्होंने कहा कि हिंदी केवल हमारे लिए संवाद का माध्यम नहीं है बल्कि यह हमारी अस्मिता, संस्कृति और भारतीयता का प्रतीक भी है। हिंदी ने हमारे विविधता से भरे समाज को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया है। सहजता, सरलता और सामथ्र्य से परिपूर्ण हिंदी में समन्वय की अदभुत क्षमता है। हिंदी की कीर्ति केवल भारत तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में यह संवाद का एक प्रमुख सेतु बन चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज दुनिया के विभिन्न देशों में हिंदी का अध्ययन किया जा रहा है। हिंदी ने समाज में जागरूकता लाने में भी अहम भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक हिंदी सामाजिक चेतना का भी प्रमुख माध्यम रही है। स्वतंत्रता संग्राम के समय हिंदी संघर्ष की भाषा बनी और देशवासियों को एक सूत्र में बांधने में अहम भूमिका निभाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने भी हिंदी के उत्थान के लिए कार्य किये हैं। इस दिशा में उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा हिंदी भाषा के संवर्धन के लिए जो भी प्रयास किये जा रहे हैं मैं उन सबकी प्रशंसा करता हूँ। उन्होंने कहा कि आपने कई सारे नवाचार किये हैं और नवाचार के माध्यम से हमारे नए लोगों को प्रोत्साहित करने का कार्य किया है। यह प्रयास हमारी भाषायी विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा भाषाओं और परंपराओं के प्रति समर्पण को प्रोत्साहित करने के लिए श्उत्तराखंड गौरव सम्मानश् के तहत जो हमारे उत्कृष्ट साहित्यकार हैं उन सभी को सम्मानित किया जाता है। इसके अलावा, उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा विभिन्न भाषाओं में ग्रंथ प्रकाशन के लिए वित्तीय सहायता योजना के तहत 17 साहित्यकारों को अनुदान प्रदान किया गया है जो कि हमारे लेखकों के लिए भी प्रेरणा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जब भारत दुनिया का सिरमौर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, ऐसे समय में हिंदी का प्रचार प्रसार हमारे लिए और भी महत्वपूर्ण हो गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हिंदी को वैश्विक मंच पर स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किये जा रहे हैं। श्मन की बातश् कार्यक्रम में उनके द्वारा हिंदी का प्रयोग करने से हिंदी को वैश्विक पहचान मिली है। मोदी जी के नेतृत्व में हम आज हिंदी को वैश्विक स्तर पर स्थापित कर रहे हैं जबकि पहले के समय में हिंदी का काफी नुकसान हुआ, उसकी भरपाई आज की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदी के उत्थान और संवर्धन के लिए हम बिल्कुल नहीं हिचकते। सरकारी मंचों, मेडिकल जैसे जटिल पेशों की पढ़ाई आज हिंदी में हो रही है। हिंदी का गौरव कायम रखना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। आज हमें संकल्प लेना चाहिए कि अपनी मातृ भाषा हिंदी का सम्मान करें। इसे अपने दैनिक जीवन में अपनाएं ताकि हिंदी 21 वीं सदी की सशक्त भाषा बने। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आपको अनेक भाषाओं को सीखना चाहिए और इसे लेकर किसी तरह का कोई भी संकोच मन से निकालना होगा। उन्होंने कहा कि बाल्यकाल में आपने जो सीख लिया, वो आपके पूरे जीवन में काम आने वाला है। असली सीखने की आयु यही है।
इस अवसर पर भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि भाषा संस्थान की ओर से मैं मुख्यमंत्री का आभार प्रकट करता हूं कि जो भी प्रस्ताव भाषा संस्थान की ओर से उन्हें भेजे गए , उन्हें तत्काल स्वीकृति प्रदान की गई। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा तमाम बोलियों में पुरस्कार की शुरूआत करने के साथ ही नवोदित लेखकों को प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए भाषा का उत्थान बहुत जरूरी है। अपनी भाषा के संवर्धन पर काम करने से कोई छोटा नहीं हो जाता। भाषाओं को सीखना आपकी विधवता को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि विगत दिनों हमने मुख्यमंत्री से साहित्य भूषण पुरस्कार जो पांच लाख रुपये धनराशि का का हो, उसको देने का अनुरोध किया था जिसे उन्होंने स्वीकृति प्रदान की है और हमारा राज्य प्रतिवर्ष इस पुरस्कार को देने का कार्य करेगा।

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