प्रमुख संवाददाता
देहरादून। बिहार में अपने भाई और जेल में पिता की हुई हत्या के बाद बीए मे दाखिला लेने वाले युवक रंजीत ने अपराध की दुनिया का सफर तय करने का फैसला लिया और उसके मन में अपनों की हत्या के बाद से ही बदला लेने का जुनून सवार हो गया था और उसके बाद उसने अपराध की दुनिया में ऐसा कदम रखा कि बिहार पुलिस भी रंजीत का खौफ मानने लगी। अपने भाई और जेल में पिता की हुई हत्या का बदला लेने के लिए रंजीत ने अपने गैंग के साथ उन्हें मौत की नींद सुलाना शुरू किया जिन्होंने उसके भाई और पिता को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया था। अपराध की दुनिया में अपना खौफ पैदा करने वाला रंजीत सनसनीखेज हत्यायें करने के लिए अपना आतंक दिखाता चला गया और उसने 2०13 के बाद अपराध की दुनिया में ऐसा खौफ मचाया कि हर तरफ उसके नाम से बडे-बडे राजनेता और अपराधी भी कांपने लगे थे।
बिहार के जिला भोजपुर में रहने वाले रंजीत चौधरी ने इंटर तक पढाई की और जैसे ही उसने बीए में दाखिला लिया तो 2०13 में उसके भाई की हत्या कर दी गई। अपने भाई की हत्या से आग बबूला हुये रंजीत चौधरी ने अपनी पढाई को हमेशा के लिए अलविदा कहकर अपराध का रास्ता चुन लिया और उसने सबसे पहले जिला पटना के थाना बिहाटा कांड को अंजाम दिया जिसमें उस पर हत्या और आर्म एक्ट में मुकदमा दर्ज हुआ था यह हत्याकांड काफी सनसनी बताया जाता है और उसने इस अपराध के बाद कभी पीछे मुडकर नहीं देखा। बताया जा रहा है कि जब रंजीत चौधरी के पिता जो कि एक अपराधी थे उनकी जेल के अन्दर बदमाशों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी और उसके बाद अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए रंजीत चौधरी ने अपना एक बडा गैंग तैयार कर अपने पिता के कुछ कातिलों को मौत की नींद सुला दिया था। बिहार में रंजीत चौधरी ने अपराधजगत में ऐसा तूफान मचाया कि हर तरफ उसके नाम का डर आम आदमी के दिलों में बनने लगा था और उसके गैंग ने एक बार चार लोगों को एकसाथ मौत की नींद भी सुला दिया था। हत्यायें करने में तिनकाभर भी देर न लगाने वाले रंजीत चौधरी के नाम का बिहार में डंका बजने लगा और वह अपराधजगत का खुखार बादशाह बनता चला गया। रंजीत चौधरी पर 28 मुकदमे तो वो दर्ज हैं जो पुलिस की फाइलों में कैद हैं लेकिन उसने काफी अपराध शायद ऐसे भी किये हैं जिसमें किसी ने उसके और उसके गैंग के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का साहस नहीं दिखाया। रंजीत चौधरी को जब पटना की एसटीएफ एक हत्याकांड व हत्या के प्रयास में खोजने के ऑपरेशन में जुटी तो वह 2०23 में अपने परिवार व बच्चों को लेकर बिहार से उत्तराखण्ड आ गया और यहां खामोशी के साथ उसने अपने परिवार को राजधानी के टर्नर रोड पर मकान दिला दिया और पुलिस के वैरिफिकेशन में वह न पकडा जाये इसके लिए वह कभी भी अपने परिवार के साथ नहीं रहा। शातिर किस्म के कुख्यात रंजीत चौधरी होटलों व ऐसे स्थानों पर डेरा डालकर रखता था जहां उस पर कोई शक न कर सके और अपने परिवार से मिलने के लिए वह उन्हें हमेशा होटल या किसी सुरक्षित जगह पर ही बुलाकर उनसे मिला करता था।