केन्द्र सरकार देश की अर्थव्यवस्था बेच रही उद्योगपतियों को

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देहरादून(संवाददाता)। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुरेन्द्र राजपूत ने केन्द्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि आखिरकार केन्द्र सरकार उद्योगपति गौतम अडानी पर क्यों मेहरबान है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार व विशेषकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इसका खुलासा करना होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस लगातार इस प्रकरण पर जेपीसी गठित करने की मांग करती आ रही है लेकिन केन्द्र सरकार इस पर पूरी तरह से मौन है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को उद्योगपतियों को बेचने का काम किया है।
यहां कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारों से रूबरू होते हुए उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने मित्र के टैम्पो को बचाने के लिए सेबी का इस्तेमाल फ्यूल की तरह कर रहे है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके ए वन दोस्त, अडानी ने मेगा अडानी घोटाले से खुद को बचाने के लिए हर संभव कोशिश की। उन्होंने कहा कि अडानी मेगा घोटाले में भारतीय राट्रीय कांग्रेस द्वारा संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) जांच की मांग कर रही है लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्टों द्वारा किए गए खुलासे से कहीं आगे जाती है। उन्होंने कहा कि अडानी समूह से संबंधित घोटाले और घपले राजनीतिक अर्थव्यवस्था के हर आयाम में फैले हुए हैं। उन्होंने कहा कि बंदरगाहों, हवाई अड्डों, सीमेंट और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अडानी के एकाधिकार को सुरक्षित करने के लिए भारत की जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है और मोदानी की एफडीआई नीति: डर, छल, धमकी कार्रवाई और परिणाम शून्य ही रहा है। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने एनडीटीवी के कार्यालयों, संस्थापक प्रणय रॉय के घर पर छापा मारा और उसके बाद का परिणाम अडानी समूह अब तक एनडीटीवी में 64.71 प्रतिशत हिस्सेदारी का मालिक है। उन्होंने कहा कि सीसीआई टीम ने एसीसी अंबुजा सीमेंट के दफ्तरों पर छापेमारी की और उसके अडानी समूह में अब अंबुजा सीमेंट के अधिग्रहण के साथ दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी बन गई है और इसी प्रकार से ईडी ने मुंबई एयरपोर्ट में जीवीके समूह के दफ्तरों पर छापेमारी की और एसके परिणाम स्वरूप अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स के पास जीवीके एयरपोर्ट डेवलपर्स में लगभग 98 प्रतिशत हिस्सेदारी हो गई है।
उन्होंने कहा कि आयकर अधिकारियों ने नोएडा में क्विंट के दफ्तर पर छापेमारी की और अडानी ने 48 करोड़ रुपये में विचेंटिलियन बिजनेस मीडिया में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की और नेल्लोर कृष्णपट्टनम पोर्ट में आयकर अधिकारियों की छापेमारी के बाद अडानी पोट्र्स और एसईजेड ने कृष्णपट्टनम पोर्ट का अधिग्रहण पूरा किया गया। उन्होंने कहा कि अल्ट्राटेक सीमेंट (कुमार मंगलम बिड़ला) ने इंडिया सीमेंट्स का अधिग्रहण करने में अडानी को पीछे छोड़ दिया और आठ साल की जांच के बाद सीबीआई ने आदित्य बिड़ला समूह की हिंडाल्को पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों और संस्थाओं, स्वास तौर पर एसबीआई और एलआईसी द्वारा अडानी के शेयर खरीदने में दिखाया गया असाधारण पक्षपात खुलेआम सामने आया। उन्होंने मुंद्रा में अडानी कॉपर प्लांट, नवी मुंबई में एयरपोर्ट और यूपी-एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट समेत प्रमुख परियोजनाओं को भी ऋण दिया गया।
उन्होंने कहा कि अडानी एंटरप्राइजेज एफपीओ में प्रमुख निवेशकों में एलआईसी (जिसने 299 करोड़ की बोली लगाई), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एम्प्लाइज पेंशन फंड (299 करोड़ की बोली लगाई ) और एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी (125 करोड़ की बोली लगाई) शामिल थे। उन्होंने कहा कि एलआईसी और एसबीआई ने एफपीओ में उस ते बोली बावजूद भाग लिया कि बाजार मूल्य निर्गम मूल्य से काफी नीचे गिर गया था और पहले से ही अडानी समूह की बड़ी हिस्सेदारी उनके पास थी। उन्होंने कहा कि क्या एलआईसी और एसबीआई को करोड़ों भारतीयों की बचत को एक बार फिर अडानी समूह को बचाने के लिए इस्तेमाल करने के जारी किए गए थे और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बचाना एक बात है और 3० करोड़ वफादार पॉलिसीधारकों की बचत का इस्तेमाल अपने दोस्तों अभीर बनाने के लिए करना दूसरी बात है और एलआईसी ने जोखिम भरे अडानी समूह को इतना बड़ा आवंटन कैसे किया, जिससे निजी फंड मैनेजर दूर रहे।
उन्होंने कहा कि क्या यह सरकार का कर्तव्य नहीं है कि यह सुनिश्चित करे कि सार्वजनिक क्षेत्र के महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थान अपने निवेश में निजी क्षेत्र समकक्षों की तुलना में अधिक रूढिवादी हो और पड़ोस में भारत की स्थिति की कीमत पर अडानी एंटरप्राइजेज की जरूरतों के लिए भारत की विदेश नीति के हितों को अधीन करना है।

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