कलमवीरों को धामी का गिफ्ट

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देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड के इतिहास मे पहली बार देखने को मिला कि राज्य के युवा मुख्यमंत्री सूचना महकमे मे खुद पहुंचे और उन्होंने पांच घंटे तक महकमे के अफसरों और महकमे की टीम के साथ सरकार के विकास को जन-जन तक पहुंचाने के लिए उन्हें बडा संदेश दिया इसके साथ ही उन्होंने कलमवीरों की झोली मे बडा गिफ्ट डालते हुए पत्रकार कल्याण कोस के लिए कॉरपस फंड को पांच करोड से बढाकर दस करोड कर दिया तो वहीं उन्होंने पत्रकारों के लिए ग्रुप इंश्योरेंस लागू करने के लिए भी विभाग को इसका परीक्षण करने के निर्देश दिये और साथ ही तहसील स्तर तक के पत्रकारों को मान्यता प्रदान करने की व्यवस्था बनाने का भी साफ संदेश दिया। मुख्यमंत्री ने सूचना महकमे के अफसरों को अपना साफ विजन बताकर यह संदेश दे दिया कि पहाडों मे भी पत्रकारिता करने वाले तहसील स्तर के पत्रकारों को सम्मान देने के लिए उन्हें मान्यता का गिफ्ट दिया जाये।
उत्तराखण्ड बनने के बाद से ही राज्य के सूचना विभाग मे कभी किसी पूर्व मुख्यमंत्री ने महकमे के अफसरों और विभाग की टीम के साथ कोई मंथन चिंतन किया हो ऐसा कभी देखने को नहीं मिला और पत्रकारों और सरकारों के बीच हमेशा खाई पैदा करने के लिए पूर्व सरकारों के कुछ मीडिया सलाहकारों ने विभीषण की भूमिका मे जो अपनी एंट्री कराई थी उससे अधिकांश पत्रकार जगत इस बात को लेकर कुछ पूर्व मुख्यमंत्रियों से खफा रहता था कि मुख्यमंत्री के सामने पत्रकारों को बांटने का खेल क्यों होता है? वहीं राज्य की कमान जबसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सम्भाल रखी है तबसे वह पत्रकारों को साथ लेकर चलने मे ही विश्वास दिखाते रहे हैं और उनके कार्यकाल मे कभी भी किसी छोटे या बडे को लेकर तुलना नहीं हुई। मुख्यमंत्री सादगी के साथ सबको साथ लेकर चलने मे ही अभी तक विश्वास करते रहे हैं और यही कारण है कि सरकार व मीडिया के बीच कभी दूरी देखने को नहीं मिली और जब भी मुख्यमंत्री के सामने पत्रकारों की कोई समस्या आई तो उन्होंने उस समस्या को हल करने मे तिनकाभर भी देर नहीं लगाई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस बात का इल्म है कि कुछ पूर्व सरकारों मे बनाये गये मीडिया कॉडिनेटर, मीडिया सलाहकार व पत्रकारों के बीच खाई पैदा करने का काम करते थे इसी के चलते उन्होंने अपने कार्यकाल मे किसी को भी इन दोनो पदों पर आसीन नहीं किया।
उत्तराखण्ड मे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ऐसे मुख्यमंत्री बन गये हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल मे मीडिया के उत्थान के लिए हमेशा बडी सोच रखी और राज्य बनने के बाद वह पहले ऐसे मुख्यमंत्री बन गये जिन्होंने सूचना महकमे की बैठक लेने के लिए सूचना निर्देशालय मे अपनी एंट्री की। सूचना महकमे को सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने राज्य सरकार की विकास योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आगे किया हुआ है और मीडिया से उनका बेहतर संवाद और समन्वय से सरकार व मीडिया के बीच कभी भी कोई दूरी देखने को नहीं मिली है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने महकमे के अफसरों को आधुनिक तकनीक प्रयोग के साथ प्रिंट, इलैक्ट्रोनिक, सोशल मीडिया और यू-ट्यूब माध्यमों का भी अत्याधिक प्रयोग करने के आदेश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी साफ किया है कि सूचना तंत्र राज्य के पर्वतीय जनपदों मे भी मजबूत हो। मुख्यमंत्री ने कलमवीरों को गिफ्ट देते हुए पत्रकार कल्याण कोष के लिए कॉरपस फंड को पांच करोड से बढाकर दस करोड करने का आदेश देकर पत्रकारों के चेहरे पर एक नई मुस्कान ला दी है। मुख्यमंत्री की सोच का ही परिणाम है कि उन्होंने तहसील स्तर तक पत्रकारों को मान्यता प्रदान करने के लिए व्यवस्था बनाने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार और जनता के बीच समन्वय बनाने के लिए सरकार के चेहरे के रूप मे सूचना विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मुख्यमंत्री ने पत्रकार कल्याण कोष की राशि दुगनी करने और तहसील स्तर के पत्रकारों को मान्यता दिये जाने का आदेश देकर तहसील स्तर के पत्रकारों के चेहरों पर एक नई मुस्कान ला दी है।

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