प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री अकेले ही सब मोर्चों पर खडे हुये नजर आ रहे हैं और उनके इस रूप को देखकर राज्य की जनता भी उनकी कायल होती आ रही है कि अगर राज्य को पहले ही ऐसा मुख्यमंत्री मिल गया होता तो आज उत्तराखण्ड की तस्वीर ही बदल जाती। मुख्यमंत्री ने अपने अल्प कार्यकाल मे उत्तराखण्ड के अन्दर आवाम मे अपनी स्वच्छ राजनीति का जो आईना दिखाया है उसी का परिणाम है कि आज राज्य की जनता युवा मुख्यमंत्री पर अभेद भरोसा कर रही है और उनमे मुख्यमंत्री की कार्यशैली को लेकर इस कदर विश्वास हो चला है कि विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव मे राज्य के अन्दर उन्होंने कमल खिलाने के लिए अपने आपको अगली पक्ति मे लाकर खडा कर दिया था। उत्तराखण्ड के अन्दर अब यह बहस चल पडी है कि राज्य मे आपदा हो या अपराध हो या फिर धर्म हो या सिस्टम हो सब पर धामी की पैनी नजर बनी हुई है और उसी के चलते उत्तराखण्ड एक नये उत्तराखण्ड की तरफ अपने कदम बढा चुका है। हरिद्वार मे करोडो कावंडिये गंगाजल लेने के लिए आये और मुख्यमंत्री ने धर्मनगरी मे आने वाले शिवभक्तों के सत्कार मे जो इंतजाम किये हुये हैं उन इंतजामों को देखकर शिवभक्त यह कहने से नहीं चूक रहे कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री दयालु हैं और उनका दयालुभाव ही उन्हें अहसास करा रहा है कि मुख्यमंत्री सच मे हिन्दू रक्षक बन चुके हैं।
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब सरकार की कमान अपने हाथो मे ली थी तो राज्यवासियों के मन मे एक ही शंका थी कि जो राजनेता कभी मंत्री पद पर भी आसीन नहीं हुये तो वह कैसे सरकार चला पायेंगे? मुख्यमंत्री ने शपथ लेने के दौरान उत्तराखण्डवासियों को यह भरोसा दिलाया था कि वह हमेशा उनकी रक्षा करेंगे और उत्तराखण्ड को एक नया उत्तराखण्ड बनाने के लिए वह तेजी के साथ काम करेंगे। मुख्यमंत्री के इस संकल्प पर शुरूआती दौर मे तो आवाम को यकीन नहीं हो रहा था लेकिन मुख्यमंत्री ने अपनी धाकड राजनीेति से जब सत्ता चलाने के लिए एक के बाद एक दिलेरी के साथ बडे-बडे फैसले लिये तो उससे हर तरफ उनके नाम का डंका बजना शुरू हो गया। पुष्कर सिंह धामी पहले ऐसे मुख्यमंत्री बन गये जिन पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभेद भरोसा किया हुआ है क्योंकि वह पुष्कर सिंह धामी की स्वच्छ राजनीति के चलते उन्हे अपना सखा और छोटा भाई मानकर यह संदेश देते आ रहे हैं कि उत्तराखण्ड पुष्कर सिंह धामी के हाथो मे सुरक्षित है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विश्वास जीतने मे कामयाब रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उनके बताये गुरूमंत्र पर ही तीन साल से सरकार चला रहे हैं और उन्होंने राज्यहित मे जो बडे-बडे फैसले लिये उससे वह उत्तराखण्ड की राजनीति के सुपर स्टार बन गये हैं।
उत्तराखण्ड मे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने तीन साल के कार्यकाल मे राजनीति की नई परिभाषा की जो पटकथा लिखी है उसी के चलते आज राज्य की मातृशक्ति मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखण्ड का रक्षक और उत्तराखण्ड पुत्र मानने लगी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने कार्यकाल मे जब भी कहीं पर आपदा आई तो उन्होंने खुद मोर्चा संभाला और वह आपदा पीडितों के बीच जाकर उनका दर्द महसूस करते हैं और उन्हें विश्वास दिलाते हैं कि वह हमेशा उनके साथ खडे हुये हैं और ऐसा ही नजारा टिहरी मे आई बाढ़ के बाद देखने को मिला है जहां मुख्यमंत्री ने आपदा पीडितों के आंसू पोछते हुए उन्हें विश्वास दिलाया कि सरकार उनके साथ खडी है और उन्हें किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होने दी जायेगी। वहीं हमेशा अपराध की जकड मे रहने वाले उत्तराखण्ड को अपराधमुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री ने बडे विजन के साथ काम किया और उसी के चलते आज उत्तराखण्ड अपराध और नशामुक्त होने की ओर तेजी से आगे बढ़ चला है। मुख्यमंत्री को राज्य के अन्दर धर्मरक्षक की पदवी भी दी जा रही है क्योंकि वह धर्म की रक्षा करने के लिए हमेशा दिलेरी के साथ आगे बढते रहे हैं और उसी का परिणाम है कि आज उत्तराखण्ड का साधु समाज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को धर्मरक्षक मान चुका है। उत्तराखण्ड मे चल रही कांवड यात्रा को अपने कार्यकाल मे उन्होंने हमेशा यादगार बनाने के लिए धर्मनगरी मे आने वाले शिवभक्तों का खूब आदर सत्कार किया और उन्हें सुरक्षित और सुगम यात्रा का आभास कराया तो वहीं बीते रोज शिवभक्तों पर हैलीकाप्टर से पुष्पवर्षा कर शिवभक्तों को गदगद कर दिया। कावंड लेकर आने वाले शिवभक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दयालुभाव को देखकर खूब गदगद हैं और उन्हें हिन्दू रक्षक से भी सम्मान दे रहे हैं। उत्तराखण्ड के अन्दर हमेशा ब्यूरोक्रेसी के बेलगाम होने का शोर वर्षों से मचा आ रहा है लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने कार्यकाल मे ब्यूरोक्रेसी को हमेशा बेहतर काम करने के लिए आगे किया और वह उन पर लगातार अपनी पैनी नजर बनाकर रखते हैं जिससे कि उत्तराखण्ड के अन्दर कहीं पर भी यह शोर न मच पाये कि मुख्यमंत्री के कार्यकाल मे भी कोई अफसर बेलगाम हो रहा है? मुख्यमंत्री हर मोर्चे पर जिस तरह से सफलता की सीढी चढ़े हैं उससे आवाम मानने लगा है कि अब उत्तराखण्ड की सत्ता एक सुरक्षित राजनेता के हाथो मे है।