सूख रही नदियों को एक दूसरे से जोड+ने का करेंगें काम

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देहरादून(नगर संवाददाता)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि उश्रराखण्ड राज्य पर्यावरण एवं जैव विविधता की दृष्टि से सम्पन्न राज्य है एवं राज्य के पास सभी तरह का ईको सिस्टम उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि आज का दिन महत्वपूर्ण है और उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है जहां पर जीईपी के आंकलन की दिशा में सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकाक जीईपी इन्डैक्स का उदघाटन किया गया है और यह एक ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने कहा कि विकास के मॉडल को अपना रहे है। उन्होंने कहा कि सूचकांक को लेकर पूरे देश में उत्तराखंड का पहला स्थान मिला है। उन्होंने कहा कि सभी एक दूसरे से जुडे हुए है।
यहां सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि हमारे गाड गदेरे कहीं न कहीं सूख रहे है और वृक्षारोपण व पौधारोपण का अभियान चलाया है और पहले दिन 5० हजार पौधों का रोपण किया गया है और हमारे पास हिमनदों से लेकर मैदानी क्षेत्रों में बहती हुई नदियाँ है। उन्होंने कहा कि हमारे पास घने जंगल से लेकर तराई का क्षेत्र है, हमारे पास घाटी हैं, हमारे पास पहाड़ हैं हरेक तरह की भौगोलिक परिस्थितियाँ उश्रराखण्ड में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि कई पेडों को बचाया गया है और यात्रा प्राधिकरण बनाने का काम शुरू किया गया है।
उन्होंने कहा कि उश्रराखण्ड राज्य पारिस्थितिक तंत्र के महत्व के प्रति सामाजिक जागरूकता मेंं ऐतिहासिक रूप से एक विषिश्ट स्थान रखता है। गौरा देवी और सीपी भट्ट और सुंदरलाल बहुगुणा जैसे प्रसिद्ध कार्यकर्ताओं के विष्व प्रसिद्ध चिपको आंदालेन के मुख्य सूत्रधार के रूप में स्थानीय समुदायों के वन अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से शुरू की गई थी। एमडीडीए ने बेहतर अभियान लिया है और सभी का सरलीकरण किया जायेगा और सभी प्राधिकरणों में व्यवस्था की जा रही है और एमडीडीए एक सरकारी विभाग है और हरेला पर्व में सभी प्राधिकरण काम कर रहे है और एक सीमा है और इसमें जन जन का योगदान होगा और जन जन को इस अभियान में जुडना चाहिए और दून शहर का तापमान 44 डिग्री तक पहुंच गया है और इसी गति से तापमान बढता रहा तो आने वाले पीढी को क्या जवाब दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि इसके उपरान्त प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता जगत सिंह जंगली के नेतृत्व में सामाजिक कार्यकताओं ने राज्य की लगभग 65 प्रतिशत भूमि पर फैले उश्रराखण्ड के जंगलों द्वारा उत्पादित पानी और ऑक्सीजन के एवज में भुगतान की मांग को लेकर दिल्ली तक मार्च किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2०1०-11 में राज्य सरकार ने राज्य के लिए ग्रीन बोनस की परिकल्पना की एवं इसके उपरान्त उश्रराखण्ड सरकार ने 21 दिसम्बर 2०21 को जीडीपी में पर्यावरण सेवाओं के मूल्य और पर्यावरण को हुए नुकसान की लागत के अंतर को जोड़कर सकल पर्यावरण उत्पाद की परिभाषा को अधिसूचित किया है। इसके अलावा उक्त दिसम्बर, 2०21 की अधिसूचना में राज्य सरकार जीईपी के लिए मूल्यांकन तंत्र के व्यापक विकास के लिए भी प्रतिबद्ध है और यह भी प्रतिबद्धता है कि सकल पर्यावरण उत्पाद को राज्य की जीडीपी के साथ कैसे जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि उश्रराखण्ड राज्य के द्वारा अधिसूचित जीईपी के आंकलन की दिषा में सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक जीईपी इन्डैक्स का उद्घाटन कार्यक्रम किया गया है। इस कार्यक्रम में हैस्को संस्था के प्रमुख पद्मभूषण अनिल कुमार जोशी द्वारा विकसित सूचकांक का प्रस्तुतीकरण करते हुए अवगत कराया गया कि विभिन्न विकासपरक योजनाओं, औद्योगिक प्रक्रियाओं व सरकार द्वारा बनाये गये नियमां े इत्यादि के अनुपालन का जो परिणाम है वह सकल रूप से हमारी लोकल इन्वायरमेंट क्वालिटी पर देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि जीईपी सूचकाकं में वृद्धि देखने को मिलती है और हम कह सकते है कि हमारा सिस्टम पर्यावरण के अनुकूल है और डेवलपमेंट एक्टिवीटी के बावजूद भी स्टेबल है और इम्प्रूव कर रहा है। और यदि हमारी इनवायरलमेंट क्वालिटी इम्प्रूव नहीं हो रही और उसमें कोई गिरावट दिखायी दे रही है या उसमें कोई हमें नकारात्मकता दिखायी दे रही है तो जीईपी सूचकांक में गिरावट देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में विभिन्न शासकीय विभागों के अधिकारीगण, गैर सरकारी संगठन, औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन उश्रराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किया गया है। उन्होंने कहा कि कई सारी योनियों के बाद मनुष्य जीवन में आते है और भगवान ने एक विशिष्ट प्राणी के रूप में भेजा है और अच्छे काम करें। उन्होंने कहा कि नीति आयोग के मुख्यमंत्री कान्क्लेव में हिमालयन राज्यों की बात की जायेगी और राज्य की जनसंख्या एक करोड 25 लाख से अधिक है और उस आधार से प्रदेश की योजनाओं की बात की जायेगी और चार धाम यात्रा और कांवड यात्रा में लगभग आठ करोड श्रद्धालु आते है और देश में जो योजनायें बनती है वह एक समान बनाई जाती है।
उन्होंने कहा कि हिमालय जैसे राज्यों के लिए विकास का मॉडल अलग होना चाहिए और शहरों में जल्दी काम हो जाते है और कुछ नदियां ऐसी है जो सूख चुकी है और नदियों को एक दूसरे से जोडने का काम किया जायेगा और इसे भी नीति आयोग के समक्ष रखा जायेगा। कांवड मेले से संबंधित तैयारियों की बैठक में ही निर्णय कर लिया गया। एक दूसरे को टारगेट कर नुकसान पहुंचाने की जरूरत नहीं है और कई ऐसे मामले आये है और देवभूमि भाईचारे वाला राज्य है और सभी मिलजुलकर रहते है। उन्होंने कहा कि चारधाम आस्था व श्रद्धा के केन्द्र है और आर्थिकी व रोजगार क्षेत्रीय जनता से जुडे हुए है और आस्था पर किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए और इससे आस्था पर चोट पहुंचती है आगे से किसी भी धाम का गलत तरीके से कोई उपयोग नहीं कर पायेगा। उन्होंने कहा कि मंदिर बनना एक अलग विषय है लेकिन धाम नहीं। उन्होंने कहा कि राजनीति करने के कई मुददे है और इस पर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए और राज्य हित पहले देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीईपी सूचकांक एक इंडिकेटर की तरह कार्य करेगा जिससे विकासपरक योजनाओं से पर्यावरण पर पडऩे वाले प्रभाव का आकं लन किया जा सकेगा। उश्रराखण्ड राज्य द्वारा वर्ष 2०23-24 में उश्रराखण्ड राज्य ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि राज्य में विकासपरक योजनायें व औद्योगिक गतिविधियों के प्रसार के बावजूद भी हम अपने पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित किये हुए हैं, जिससे इस अवधारणा को बल मिलता है कि राज्य सरकार इकोलॉजी एवं इकोनॉमी में सामनजस्य रखे हुए है। इसी कड़ी में जीईपी सूचकांक अगला कदम है एवं इसके आगे जीईपी को किस प्रकार जीडीपी के साथ जोड़ा जायेगा इस विषय पर काम किया जायेगा। इस अवसर पर वार्ता में अन्य अधिकारी भी शामिल रहे।

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