पुस्तकें हमेशा अमर रहती हैं

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देहरादून(संवाददाता)। राजभवन ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने लेखिका डॉ. सुधारानी पाण्डेय की पुस्तक ‘अमरत्व की ओरÓ का लोकार्पण किया। इस पुस्तक में उपनिषदों के गंभीर चिंतन के चयनित अंशों से संगृहीत कर 2० कथाएं हिंदी में प्रकाशित की गई हैं। राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि इस पुस्तक में निहित 2० उपनिषद् की कथाएं हमें प्राचीन ज्ञान और अपनी जड़ों से जुडऩे के लिए सेतु का काम करेंगी।
राज्यपाल ने कहा कि उपनिषद् भारतीय आध्यात्मिक चिंतन के मूल आधार हैं और भारतीय आध्यात्मिक दर्शन के स्रोत हैं। उपनिषद वेदों के अंतिम भाग हैं, इसलिए इन्हें वेदांत भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य अजर-अमर नहीं होता है, लेकिन पुस्तकें तो अमर होती हैं। लेखकों द्वारा लिखी गई पुस्तकें हमेशा जीवित रहती है और हमारा मार्गदर्शन करती है, जिससे लेखक भी पुस्तकों के रूप में हमेशा जीवित रहते हैं। उन्होंने कहा कि समस्त दुनिया की अनगिनत समस्याओं का समाधान भारतीय ज्ञान प्रणाली में निहित है। अब समय आ गया है कि हम अपने प्राचीन ज्ञान के असीमित ज्ञान के भंडार में झांकें। यह हमारे राष्ट्र निर्माण के लिए और विश्व के स्थायित्व के लिए यह बहुत आवश्यक है। राज्यपाल ने कहा कि इस पुस्तक की कहानियाँ भारतीय आर्ष परंपरा और उपनिषद् के ज्ञान को जानने के लिए सुधी पाठकों की जिज्ञासा को दूर करने में सहायक बनेंगी। संस्कृत ज्ञान से अपरिचित नई पीढ़ी के विभिन्न विषयों के छात्र, अध्यापकों के लिए भी यह कृति उपयोगी हो सकती है। विशिष्ट अतिथि मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि राजभवन जैसे विशिष्ट स्थान से इस प्रकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन बहुत सराहनीय कार्य है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तकनीकी एवं संचार क्रांति के युग में यह पुस्तक वेद, उपनिषद् ज्ञान के साथ ब्रह्माण्ड, विज्ञान और सृष्टि के रहस्य को समझने में सहायक सिद्ध होगी। पूर्व डीजीपी उत्तराखण्ड अनिल रतूड़ी ने पुस्तक की समीक्षा रखते हुए कहा कि आज जब विश्व में अशांति का माहौल है ऐसे में इस पुस्तक की प्रासांगिकता बढ़ जाती है। पुस्तक की लेखिका डॉ. सुधारानी पाण्डेय ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने उपनिषदों की कथाओं को सरल शब्दों में पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास किया है। आशा है कि यह पुस्तक पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राम ‘विनयÓ ने किया। इस अवसर पर दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, उत्तराखण्ड तकनीकी वि.वि के कुलपति प्रो. ओंकार सिंह, सचिव राज्यपाल रविनाथ रामन, पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पाण्डेय, वित्त नियंत्रक डॉ. तृप्ति श्रीवास्तव सहित अनेक लेखक एवं प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

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