अभिनव राज मे अटैचमेंट का टूट जायेगा ‘साम्राज्यÓ

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड का अगर पुलिस इतिहास खंगाला जाये तो उसे देखकर यह साफ झलक जायेगा कि काफी दरोगा और इंस्पेक्टर ऐसे हैं जो हरिद्वार, देहरादून, एसटीएफ, नैनीताल, उधमसिंहनगर मे ही तैनाती पाते रहे? हैरानी वाली बात तो यह है कि उत्तराखण्ड के दो एक्स डीजीपी के कार्यकाल मे ऐसा देखने को मिला कि अगर किसी दरोगा या कोतवाल की तैनाती पहाड़ी जनपद मे हुई तो उनमे से कुछ ने अपना अटैचमेंट अपनी मन पसंद जगह पर करा लिया और उनकी तैनाती पहाड़ों मे ही दर्शाती रही लेकिन अटैचमेंट मे वह अपने पसंद के जिले मे तैनात होकर कोतवाली व थानेदारी करते चले गये? उत्तराखण्ड के एक एक्स डीजीपी ने तो अपने पद की गरिमा को तार-तार कर रखा था और उनके कुछ पुलिसकर्मियों से लेकर दरोगाओं से सीधा संवाद उनकी कार्यशैली पर हमेशा सवालिया निशान लगाता रहा था लेकिन इसके बावजूद भी एक एक्स डीजीपी अपनी पॉवर का इस्तेमाल कर अपने चेहते दरोगा व कोतवालों को उनकी मनपसंद कोतवाली और थानों मे तैनात कराने का खूब खेल खेलते रहे और अपने जिस भी चेहते का तबादला पहाड़ मे हुआ तो उसे मैदान मे ही अटैच कराकर उन दरोगाओं को हमेशा आघात पहुंचाया था जिन्हें नियम का पाठ पढाकर पहाडों मे तैनात किया गया था? अब उत्तराखण्ड के पुलिस महकमे के अन्दर ही यह सुगबुगाहट शुरू हो गई है कि पुलिस महकमे को एक ही तराजू मे तोलने वाले डीजीपी के राज मे उन सभी के अटैचमेंट का साम्राज्य ढह जायेगा जो लम्बे समय से अटैचमेंट पर अपनी मनपसंद तैनाती पाये हुये हैं?
बता दें कि उत्तराखण्ड पुलिस की कमान सत्यनिष्ठ डीजीपी अभिनव कुमार के हाथों मे है और वह उत्तराखण्ड पुलिस मे सबको एक ही नजर से देखने मे विश्वास रखते हैं यही कारण है कि पुलिस महकमे के अन्दर एक आशा की किरण जाग चुकी है कि अब उनके साथ पोस्टिंग मे भेदभाव का ताना-बाना नहीं बुना जायेगा। उत्तराखण्ड के डीजीपी अभिनव कुमार के शासनकाल मे कभी भी किसी छोटे-बडे अधिकारी से लेकर दरोगा तक को यह रंज नहीं रहा कि उनके साथ पोस्टिंग मे कोई भेदभाव होगा? हालांकि उत्तराखण्ड के दो एक्स डीजीपी के कार्यकाल मे पुलिस महकमे के अन्दर भाई-भतीजावाद का जो खेल चलता रहा वह किसी से छिपा नहीं है? हैरानी वाली बात यह है कि दोनो एक्स डीजीपी पुलिस महकमे के अन्दर स्वच्छ प्रशासन देने का तो ढिंढोरा खूब पिटते रहे लेकिन उनके कार्यकाल में छोटे-बडे अफसरों से लेकर कोतवाल और दरोगाओं को पोस्टिंग देने मे उन्होंने जो अपनी खुन्नस का तानाबाना बुना था उसके चलते पुलिस महकमे के अन्दर हमेशा इन दोनो एक्स डीजीपी की कार्यशैली को लेकर उंगलियां उठती रही थी?
सवाल यह भी तैरते रहे कि दोनो एक्स डीजीपी मीडिया मे तो पुलिस महकमे के अन्दर स्वच्छ प्रशासन देने का दम भरते रहे लेकिन उसके बावजूद उन्होंने अपने चेहते अफसरों और दरोगाओं को पोस्टिंग दिलाने के लिए जो मलाईदार खेल खेला उससे उनकी स्वच्छ प्रशासन देने की मंशा हमेशा कटघरे मे खडी रही और उन अधिकारियों, दरोगाओं में इन एक्स डीजीपी को लेकर आक्रोश पनपता रहा कि वह अपनी आंखो मे खटकने वाले अधिकारियों और दरोगाओं को हमेशा हाशिये पर खडा करते रहे और उन्हें ऐसी जगह तैनाती दिलाने मे वह आगे रहते थे जहां उन्हें फील्ड से दूर रखा जाये? हैरानी वाली बात तो यह रही कि काफी इंस्पेक्टर और दरोगा ऐसे रहे जिनकी तैनाती हमेशा मैदानी जिलों मे ही रही और अगर दिखावे के लिए किसी दरोगा या कोतवाल की तैनाती पहाडी जनपद मे की गई तो उन्हें अटैचमेंट के बल पर उनकी मनपसंद पोस्टिंग दिला दी गई? उत्तराखण्ड मे अब पुलिस के नये निजाम अभिनव कुमार की तैनाती हो गई है और वह समूचे पुलिस को एक साथ लेकर चलने मे ही हमेशा दिखाई दिये हैं इसलिए उनके बारे मे यही कहा जाता है कि महकमे के अन्दर न तो वह किसी अधिकारी और न ही किसी दरोगा को कभी अपने करीब रखने मे विश्वास रखा है। ऐसे मे अब उत्तराखण्ड पुलिस महकमे के अन्दर यह आवाज भी उठने लगी है कि पूर्व मे अटैचमेंट का जो खेल खेला जाता था वह ईमानदार डीजीपी अभिनव कुमार के कार्यकाल मे नहीं होगा और यह भी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि आने वाले समय मे अटैचमेंट के बल पर नौकरी करने वालों की कुंडली पुलिस मुख्यालय द्वारा खंगाली जायेगी और अभिनव कुमार के राज मे अटैचमेंट का सारा साम्राज्य टूट कर बिखर जायेगा?

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