सरकारी बैंक भर्ती घोटाले में हुई कार्रवाई जनता की आंख में धूल झोंकने जैसी-मोर्चा

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जांच कमेटी की रिपोर्ट सदन के पटल पर क्यों नहीं रखी गई!
फर्जी प्रमाण पत्र वालों पर कार्रवाई तो मोटी रकम देने वालों पर क्यों नहीं !
बैंक खातों से निकाली गई मोटी रकम की जांच क्यों नहीं !
न्यायालय के डर से उठाया गया है धूल झोंकने जैसा कदम
राजभवन की मूर्छा कब टूटेगी !
विकासनगर(संवाददाता)। सरकारी बैंक में भर्ती घोटाले को लेकर जन संघर्ष मोर्चा लम्बे समय से सरकार को कटघरे मे खडा करता आ रहा है और वह इस मामले मे सही जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग पर अडिग है। उत्तराखण्ड के अन्दर भ्रष्टाचार और घोटालों को लेकर सरकार के मुखिया सख्त रूख अपनाये हुये हैं ऐसे मे अगर सरकार बैंक भर्ती घोटाले मे हुई कार्यवाही पर उंगलियां उठ रही हैं तो उससे बहस छिड रही है कि अगर भ्रष्टाचार की जांच सिर्फ आवाम की आंखो मे धूल झोंकने के लिए कथित रूप से कराई गई है तो ऐसे मे उत्तराखण्ड का भ्रष्टाचारमुक्त होने का ख्वाब एक ख्वाब ही रह जायेगा? मोर्चा इस बात पर भी सवाल खडे कर रहा है कि जांच कमेटी की रिपोर्ट को सदन के पटल पर आखिर आज तक क्यों नहीं रखा गया और फर्जी प्रमाण पत्रों वालों पर कार्यवाही तो कथित रूप से मोटी रकम देने वालों पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई? जन संघर्ष मोर्चा ने सरकारी बैंक घोटाले मे राजभवन पर भी निशाना साधते हुए कहा है कि इस मामले मे उसकी मूर्छा कब टूटेगी? अब देखने वाली बात है कि मुख्यमंत्री जो कि उत्तराखण्ड को 2025 तक भ्रष्टाचार और घोटोलेमुक्त करने का जो संकल्प लिये हुये हैं उसके चलते वह इस घोटाले की रिपोर्ट पर बडी कार्यवाही करने के लिए आगे आयेंगे या नहीं इस पर सबकी नजरें लगी हुई हैं।
जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि सरकार द्वारा फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर सहकारी बैंक में सहयोगी/गार्ड की नौकरी पाये लगभग 12 लोगों को नौकरी से बाहर कर दिया गया, जिसमें देहरादून, पिथौरागढ़ व उधमसिंह नगर के नौकरी पाये कर्मचारी थे। उक्त उठाया गया कदम सरकार की नजर में सराहनीय तो हो सकता है, लेकिन यह सिर्फ जनता की आंख में धूल झोंकने जैसा है।
नेगी ने कहा कि मुख्य रूप से मोटी रकम देकर नौकरी पाये लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में सरकार की सांस क्यों फूल रही है! बेलवाल समिति की जांच रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने से सरकार क्यों डर रही है ! हैरानी की बात है कि सरकार द्वारा मामले को टालने के लिए कई बार जांच पर जांच व परामर्श की नौटंकी का सहारा लिया, लेकिन मा.उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के चलते थोड़ा बहुत कदम उठाने को सरकार ने यह कार्रवाई की, जिसमें सरकार को 25 जून तक घोटाले में हुई कार्रवाई का जवाब देना है। उक्त भर्ती में नौकरी पाने के समय कई अभ्यर्थियों ने अपने बैंक खातों से बहुत बड़ी रकम लगभग 10-15 लाख (प्रत्येक ने) रुपए का लेनदेन किया है एवं ऊंची पहुंच वालों का विशेष ध्यान रखा गया द्य इन लोगों के खाते की क्यों जांच क्यों नहीं की गई, जबकि मोर्चा द्वारा स्पष्ट रूप से बैंक से हुए लेनदेन की जांच की मांग की गई थी।
नेगी ने कहा कि सहकारिता विभाग द्वारा प्रदेश के सहकारी बैंकों में 423 चतुर्थ श्रेणी (सहयोगी/गार्ड) कर्मचारियों की भर्ती कराई गई थी, जिसमें देहरादून, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा व उधम सिंह नगर जनपद में बड़े पैमाने पर जालसाजों ने भर्ती घोटाले को अंजाम दिया था ,जिसको लेकर सरकार ने 01अप्रैल 2022 को जांच कमेटी गठित की थी। मोर्चा राजभवन से अपनी मूर्छा छोड़ उक्त पूरे प्रकरण की जांच रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने की मांग करता है। पत्रकार वार्ता में प्रवीण शर्मा पिन्नी व अमित जैन मौजूद थे।

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