करारी हार के बाद कांग्रेस मे मचेगा ‘भूचाल’

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अब इस्तीफों और मंथन का चलेगा दौर
हार का ठीकरा माहरा के सर पर फूटेगा!
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड मे पिछले एक लम्बे युग से कांग्रेस मे गुटबाजी का दौर चरम सीमा पर बना हुआ है और कांग्रेस के कई छत्रप एक दूसरे के खिलाफ पर्दे के पीछे रहकर मोर्चा खोलते रहे जिसका परिणाम यह रहा था कि 2022 मे भाजपा के प्रति जनता के बीच पनप रही नाराजगी के बावजूद कांग्रेसी नेताओं की आपसी गुटबाजी के चलते कांग्रेस हाशिये पर आ गई थी? उत्तराखण्ड मे लोकसभा की पांच सीटों पर चुनाव लडने के लिए जिस तरह से कुछ दिग्गजों ने अपने आपको दूर किया उसके बाद टिकट बटवारे मे कांग्रेस हाईकमान से हुई बडी चूक के चलते ही चुनाव लड रहे कमजोर प्रत्याशियों पर भाजपा ने खुलकर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया और उसके चलते ही कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव लडने के दौरान खुद को अलग-थलग महसूस करते रहे और उनका चुनाव प्रचार सिर्फ उनके सहारे ही चलता हुआ नजर आया था? लोकसभा चुनाव मे कांग्रेस प्रत्याशियों को मिली करारी हार के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पर हार का ठीकरा फूटना तय माना जा रहा है? चर्चा यहां तक भी है कि इस करारी हार के बाद अब कांग्रेस के अन्दर जहां पार्टी नेताओं द्वारा इस्तीफा देने का दौर शुरू होगा वहीं यह भी मंथन और चिंतन होगा कि उत्तराखण्ड के अन्दर कांग्रेस मे जान फूंकने के लिए क्या रणनीति अपनाई जाये जिसके चलते 2027 मे होने वाले विधानसभा चुनाव मे भाजपा की जीत के रथ को रोका जा सके?
उत्तराखण्ड मे कांग्रेस के कुछ छत्रप हमेशा एक दूसरे को ही कमजोर करने की दिशा मे काम करते हुए दिखाई देते थे और उसी के चलते भाजपा ने कांग्रेस के अन्दर चल रहे इस धमासान के खेल को परख लिया था। कांग्रेस के कुछ छत्रपों मे लोकसभा चुनाव को लेकर शुरूआती दौर से ही कोई उत्साह देखने को नहीं मिल रहा था और यही कारण था कि कांग्रेस के कुछ छत्रपों को जब चुनाव लडने के लिए कहा गया तो उन्होंने लोकसभा चुनाव लडने से इंकार कर दिया था। हरिद्वार लोकसभा सीट पर हरीश रावत ने खुद चुनाव लडने से गुरेज किया और पुत्र मोह मे उन्होंने अपने आपको चुनाव से दूर रखा। हरीश रावत ने अपने बडे बेटे विरेन्द्र रावत को चुनाव मैदान मे उतारकर उन्हें अपनी राजनीतिक विरासत सौपने का एजेंडा पेश किया? वहीं नैनीताल सीट पर कांग्रेेस हाईकमान से बडी चूक हुई और उन्हांेने प्रकाश जोशी को दो बार के नैनीताल से सांसद अजय भट्ट के साथ चुनाव मैदान मे उतार दिया था लेकिन तभी तय हो गया था कि कांग्रेस ने इस सीट पर भी भाजपा को वॉकओवर दे दिया है। वहीं अल्मोडा से प्रदीप टम्टा को चुनाव मैदान मे उतारा गया लेकिन उन्होंने चुनाव लडने मे कोई दिलचस्पी दिखाई हो ऐसा देखने को ही नहीं मिला जबकि वहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा के लिए कई बार रोड-शो और चुनावी सभायें करने के लिए आवाम के बीच पहुंचे थे। अल्मोडा मे भाजपा प्रत्याशी को बडी जीत दिलाने के लिए मुख्यमंत्री ने खूब ताकत लगा रखी थी। कांग्रेस ने टिहरी लोकसभा सीट से जोतसिंह गुनसोला को चुनाव मैदान मे उतारा और इस चुनाव मे वह अकेले ही चुनाव प्रचार मे खडे हुये नजर आये और समूची पार्टी ने उन्हें चुनाव जीताने के लिए कोई बडी रणनीति के तहत काम किया हो ऐसा वहां देखने को भी नहीं मिला जिसके चलते जोतसिंह टिहरी लोकसभा सीट पर अलग-थलग पडे हुये नजर आये थे और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टिहरी से भाजपा प्रत्याशी माला राज्यलक्ष्मी शाह का धुंआधार प्रचार किया था जिससे टिहरी प्रत्याशी की जीत शुरूआती दौर से ही सुनिश्चित मानी जा रही थी। वहीं पौडी लोकसभा सीट से गणेश गोदियाल को कांग्रेस हाईकमान ने चुनाव मैदान मे उतारा और वह वहां अपने दम पर ही चुनाव लडते हुए दिखाई दिये और कहीं न कहीं गोदियाल के समर्थन मे जो भीड़ सडकों पर दिखाई देती रही उसने मतगणना वाले दिन गणेश गोदियाल का साथ छोडकर भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी को वहां से विजय बनाने के लिए कमल का बटन जमकर दबा दिया और अपनी जीत के लिए आश्वस्त दिखाई दे रहे गणेश गोदियाल को एक बडा झटका लग गया।
उत्तराखण्ड मे विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा की पांचो सीटों पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का जो राजनीतिक जादू चला है और कांग्रेस को पांचो सीटों पर करारी हार मिली है उसका ठीकरा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा पर फूटना तय माना जा रहा है? वहीं चुनाव परिणाम के बाद अब कांग्रेस के अन्दर पार्टी के कई बडे नेताओं को इस्तीफा देते हुए जरूर देखा जायेगा क्योंकि हार के लिए जिन दिग्गजों को भी जिम्मेदार माना जायेगा उन्हें पार्टी के अन्दर महत्वपूर्ण पद से दूर करने का भी ऑपरेशन जरूर कांग्रेस हाईकमान करेगा? लोकसभा चुनाव मे कांग्रेस प्रत्याशियों की हार के बाद पार्टी के अन्दर नई जान फूंकने के लिए आने वाले समय मे कांग्रेस हाईकमान जरूर बडा चिंतन और मंथन करेगी और जो भी छत्रप कांग्रेस को डूबोने के खेल मे लगी रही उनका अब राजनीतिक अस्तित्व अंधकार में जरूर नजर आयेगा?

आवाम का शोर आखिर सच हुआ
आ गया भाई आ गया देखो धामी शेर आ गया
उत्तराखण्ड मे सियासत मे नये सितारे बन चुके मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोकसभा चुनाव के प्रचार की कमान खुद संभाली और उन्होंने आवाम के बीच जो संदेश दिया वह संदेश आवाम को मुख्यमंत्री की गारंटी नजर आई और इसी के चलते मुख्यमंत्री को पूर्ण विश्वास था कि उत्तराखण्ड मे लोकसभा की पांचो सीटों पर भाजपा प्रत्याशी जीत का परचम लहरायेंगे। उत्तराखण्ड मे जहां-जहां मुख्यमंत्री रोड-शो और जनसभायें करने के लिए पहुंच रहे थे वहां हर तरफ आवाम के बीच एक ही शोर मचा हुआ दिखाई दे रहा था कि आ गया भाई आ गया देखो धामी शेर आ गया। उत्तराखण्ड की जनता ने भाजपा के पांचो प्रत्याशियों को जीत का गिफ्ट देकर यह साबित कर दिया कि उत्तराखण्ड की राजनीति का शेर सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हैं। मुख्यमंत्री ने अपने आपको आवाम के सामने दो रूप मे रखा हुआ है जहां वह एक रूप मे आवाम के सामने फलावर हैं तो अपराधियों व माफियाओं के लिए वह हमेशा फायर दिखाई दिये। आवाम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इसलिए भी राजनीति का शेर मान रहा है क्योंकि उन्होंने जिस तरह से उत्तराखण्ड में वर्षों से चल रहे लैड और लव जिहाद पर बडा प्रहार किया था उससे आवाम को यह विश्वास हो गया था कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखण्ड की जनता के रक्षक भी हैं और यही कारण है कि राजनीति के धाकड़ बने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लोकसभा की पांचो सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों को जीत दिलाकर अब अपना राजनीतिक इकबाल और बुलंद कर गये हैं।

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