देहरादून(नगर संवाददाता)। डीजीपी ने जनपदों के सभी पुलिस कप्तानों को साफ संदेश दिया है कि सोशल मीडिया के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार से चार धाम यात्रा से जुडे पवित्र तीर्थ स्थलों के बारे में गलत, भ्रामक, शरारतपूर्ण एवं आहत करने वाली सूचना फैलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इस ध्येय को दृष्टिगत रखते हुए उपरोक्त आदेशों व अधिनियमों में दी गई व्यवस्था का कड़ाई से अनुपालन करें व स्थानीय सूचना इकाईयों के माध्यम से सोशल मीडिया की सतत निगरानी करें।
पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने प्रदेश के सभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों व पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर चार धाम के दौरान मंदिरों के 5० मीटर के दायरे में वीडियोग्राफी और सोशल मीडिया रील बनाने पर प्रतिबंध लगाने निर्देश दिये है।
उन्होंने कहा कि सभी अवगत है कि मन्दिर परिसरों में भीड़ के एक जगह एकत्रित हो जाने से चार धाम यात्रा के श्रद्धालुओं को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है एवं पुलिस-प्रशासन को भी कुप्रबंधन से जूझना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जिस हेतु राज्य सरकार द्वारा 16 मई 2०24 को तीर्थ परिसरों के 5० मीटर के दायरे में वीडियोग्राफी एवं सोशल मीडिया रील्स बनाने पर प्रतिबन्ध लगाये जाने के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा निर्गत उक्त दिशा-निर्देशों एवं उत्तराखण्ड पुलिस अधिनियम-2००7 की धारा-21 में दी गयी शक्तियों के अधीन आप सभी को निर्देशित किया जाता है कि यह सुनिश्चित कर लिया जाये कि किसी भी व्यक्ति को चार धाम यात्रा के दौरान मंदिर परिसर के 5० मीटर के दायरे में वीडियोग्राफी करने एवं सोशल मीडिया रील्स बनाने की अनुमति किसी भी दशा में न दी जाये।
उन्होंने कहा कि यदि कोई उक्त निर्देशों का उल्लंघन करता पाया जाता है तो वह उत्तराखण्ड पुलिस अधिनियम की धारा-81 के अंतर्गत उपद्रव करने वाला माना जायेगा और वह सपठित धारा-83 के अन्तर्गत की जाने वाली कार्यवाही तथा धारा-296 भादवि के अधीन अपराध पंजीकृत किये जाने हेतु उपयुक्त होगा।
उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में जहाँ इस बात का सबूत है कि कोई व्यक्ति जानबूझकर और दुर्भावना पूर्णरूप से भारत के नागरिकों के एक वर्ग की धार्मिक मान्यताओं या धर्म का अपमान करने हेतु उक्त निर्देशों का उल्लंघन करता है तब ऐसे व्यक्ति, व्यक्तियों के विरूद्ध भादवि की धारा 295 ए के अंतर्गत भी अपराध पंजीकृत किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि उक्त के अतिरिक्त जहां वीडियो ग्राफी या रील्स की सामग्री ऐसे प्रकृति की है जहां धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, समुदाय या अन्य आधारों पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढावा देती है वहां ऐसे व्यक्ति, व्यक्तियों के विरूद्ध भादवि की धारा 153 ए (2) के अंतर्गत भी अपराध पंजीकृत किया जा सकता है।
उन्होंने जनपद के पुलिस प्रभारियों से अपेक्षा की है कि सोशल मीडिया के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार से चार धाम यात्रा से जुड़े पवित्र तीर्थ स्थलों के बारे में गलत, भ्रामक, शरारत पूर्ण एवं आहत करने वाली सूचना फैलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और इस ध्येय को दृष्टिगत रखते हुए उपरोक्त आदेशों व अधिनियमों में दी गई व्यवस्थाओं का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाये व स्थानीय अभिसूचना इकाईयों के माध्यम से सोशल मीडिया की सतत निगरानी करेंगें।