पुष्कर राज मे बदमाशों का शुरू हुआ कालयुग

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड मे पूर्व मुख्यमंत्रियों के पास राज्यवासियों की सुरक्षा का जिम्मा था और वह पुलिस महकमे के मुखिया होने के बावजूद भी अपराधियों और माफियाओं के मन मे डर पैदा करने के लिए कभी अगली पक्ति मे खडे नहीं रहे जिसके चलते उत्तराखण्ड मे अपराधियों और माफियाओं की सलतनत के चलते आवाम को अपनी बेशकीमती जमीने कोडियो के भाव भेजने के लिए मजबूर होना पडा? अधिकांश पूर्व मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल मे ऐसे चंद पूर्व डीजीपी तैनात रहे जो चापलूसी की चासनी मे लिपट कर राजनेताओं की ही परिक्रमा कर अपनी कुर्सी बचाने के खेल मे जुटे रहते थे। आवाम को हमेशा इस बात की बडी नाराजगी रहती थी कि मुख्यमंत्री जिनके पास आवाम की सुरक्षा का जिम्मा रहता है वह अपराधियों और माफियाओं की नाक मे नकेल डालने से आखिर क्यों कुम्भकरण की नींद हमेशा सोते रहे? उत्तराखण्ड का कितना बडा दुर्भाग्य ही रहा कि एक पूर्व मुख्यमंत्री अपने दरबार मे एक दो आईपीएस अफसरों के साथ भोजन और टी-पार्टी कर उन्हें अपनी आंखो मे खटकने वाले लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमे कायम कराकर लोकतंत्र की खुलकर धज्जियां उडाई थी? उत्तराखण्ड की कमान अब युवा मुख्यमंत्री के हाथो मे है और वह पहले ऐसे मुख्यमंत्री दिखाई दे रहे हैं जिन्होंने उत्तराखण्ड को अपराधमुक्त करने का संकल्प लिया है और अपराधियों और माफियाओं को दहाड लगाई है कि अगर उन्होंने उनके राज मे अपराध करने का ख्वाब भी पाला तो उनका सामना सीधा काल से होगा। मुख्यमंत्री ने अपने वचन के अनुसार ‘ऑपरेशन क्रिमनलÓ की शुरूआत कर दी है और अब पुष्कर राज मे बदमाशों का कालयुग शुरू हो गया है जिससे जेलो से गैंग चलाने वाले काफी कुख्यात बदमाशों मे दिन-रात डर बना हुआ है।
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ऐसे मुख्यमंत्री दिखाई दिये हैं जिन्होंने राज्य को धरातल पर अपराधमुक्त करने का संकल्प लिया है और उन्होंने 2०25 तक उत्तराखण्ड को अपराधमुक्त करने का वचन राज्य की जनता को बार-बार दिया है जिससे आवाम के मन मे एक आशा की किरण जाग चुकी है कि अब उनका उत्तराखण्ड अपराधियों से आजादी पायेगा। मुख्यमंत्री ने दिलेरी के साथ राज्य बनने के बाद से ही पनपते आ रहे लव जिहाद और लैंड जिहाद को लेकर अपना चाबुक उठाकर उनके नेटवर्क को नेस्तनाबूत करने का जो सिलसिला शुरू कर रखा है उससे अब उत्तराखण्ड की वादियों मे लव और लैंड जिहाद का चक्रव्यूह रचने वाले उत्तराखण्ड से गायब हो गये हैं। उत्तराखण्ड मे मजाक चल रहा था कि अपराधी उद्यमियों को फिरौती के लिए धमकी और उन्हें आतंकित करने के लिए उन पर गोलियां चलाकर उनसे वसूली करने का खेल खेलने मे सफल होते थे और पुलिस मुख्यालय मे बैठे पूर्व मे कुछ पुलिस अफसर सिर्फ सोशल मीडिया पर ही बयानबाजी का ढोल पीटने मे आगे खडे रहते थे?
उत्तराखण्ड के अन्दर अगर जेलो से अपराधियों का नेटवर्क चलता रहा और वह जेलों से मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर उधमियों को धमकी और बडी-बडी वारदातें कराने के खेल मे सफल होते रहे तो उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तराखण्ड मे वो दौर कैसा रहा होगा जब कुछ पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व डीजीपी अपराधियों पर दहाडने के बजाए अपनी आंखो मे खटकने वालों को ही सबक सिखाने मे रात-दिन एक कर दिया करते थे? उत्तराखण्ड मे अगर चंद पुलिस के बडे अफसरों के कारनामो का इतिहास भूगोल खंगाला जाये तो उससे पता चल जायेगा कि वह किस तरह से विवादित जमीनो मे पर्दे के पीछे रहकर अपने कुछ चुनिंदा अफसरों की बदौलत दौलत कमाने के खेल मे अपनी तिजोरियां भरते चले गये थे? युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उत्तराखण्ड को अपराधमुक्त करने के संकल्प को पूरा करने की दिशा मे डीजीपी अभिनव कुमार ने पुलिस मे एक नया जोश भर दिया है जो रणबीर मुठभेड कांड के बाद से पुलिस महकमे मे हवा-हवाई हो गया था। आज के इस दौर मे लूट व जघन्य अपराध करने वाले कुख्यात अपराधियों को सीएम पुष्कर सिंह धामी का वो संकल्प जरूर याद आ रहा होगा कि अगर किसी ने भी उत्तराखण्ड के अन्दर अपराध करने का दुसाहस किया तो उसका सामना काल से होगा। उत्तराखण्ड के चंद जनपदो मे कुख्यात बदमाशों ने जब भी संगीन अपराध करने का तांडव किया तो उनका सामना काल से हो गया और आज जिस तरह से पुलिस व बदमाशों के बीच होने वाली मुठभेडों मे अपराधियों को खाकी का इकबाल दिखाई देने लगा है उससे अब कुछ जेलो मे बंद उन अपराधियों मे डर बन गया है जो अपने डर से उत्तराखण्डवासियो ंको फिरौती के लिए डराया करते थे।

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