अकेला धामी, सब पर भारी!

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पांचों सीटों पर दिखा पुष्कर का जलवा
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। इतिहास की बात करें तो उत्तराखण्ड की जनता ने हमेशा ही अलग-अलग अंतराल में सत्ता की बागडोर कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा को सौंपती रही है। हालांकि की इस परंपरा को अब यहां की जनता ने बदल दिया और उसने अपना विश्वास भाजपा पर ही बरकार रखा है। इस विश्वास की रचना करने वाले और कोई नहीं बल्कि खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ही हैं, जिन्होंने जनता को किए गए अपने वादों को पूरा करते हुए इसे हासिल किया है। बीते दिन संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का जलवा राज्य की पांचों सीटों पर देखने को मिला। मतदान के दिन एक ओर जहां कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं में जोश फीका नजर आ रहा था, वहीं दूसरी ओर भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश की कोई कमी नजर नहीं आई। अपने कार्यकर्ताओं में इस जोश को भरने का काम भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ही किया और उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी कड़ी मेहनत रंग लाएगी और भारतीय जनता पार्टी इस बार भी लगातार तीसरी बार उत्तराखण्ड की पांचों की सीटों पर विजय पताका फहराएगी। चुनाव से पूर्व प्रचार के दौरान जो दृश्य सामने आ रहे थे वह भी इस ओर ही इशारा कर रहे थे। उत्तराखण्ड की वादियों में यह साफ नजर आ रहा था कि भले ही विपक्षी राजनीतिक दलों के पास बड़े राजनेताओं की एक बड़ी सूची क्यों न हो लेकिन उन सब पर अकेला धामी ही भारी पड़ेगा? भाजपा को उत्तराखण्ड पांचों सीटें जीताने के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दिन रात एक कर रखा था और राज्य का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं था जहां जाकर उन्होंने अपने प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान के लिए प्रचार न किया हो। सीएम धामी की इस कड़ी मेहनत ने देखकर विपक्षी दलों हतोत्साहित चेहरे भी यह बयान कर रहे थे कि सीएम के साहस के सामने उन्होंने भी घुटने टेक दिए हैं? पुष्कर सिंह धामी ने जिस रचानात्मक तरीके से इस पूरे चुनाव का संचालन किया और जनता को भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए जागरूक किया है, उसको देखकर पार्टी हाईकमान भी काफी गदगद नजर आ रहा है।
किसी ने क्या खूब कहा है, ‘‘जीत कर दिखाओ उनको, जो आपकी हार की इंतजार में बैठे हैं….।’’ लोकसभा चुनाव-2024 का पहला चरण कल संपन्न हो गया। इस चरण में देश की 102 सीटों पर हुए चुनाव हुए। उत्तराखण्ड की पांचों सीटों पर भी चुनाव इसी चरण में संपन्न हो गए। मतदाताओं के मन की बात जब ईवीएम कैद हो गई तो उसके बाद चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। लोग इस बात को लेकर गुणाभाग में जुट गए कि किस सीट से कौन सा प्रत्याशी विजयी होगा। इस चुनावी चर्चाओं मे से एक बात यह भी निकलकर सामने आई कि जिस व्यक्ति ने अपने राजनीतिक दल को तब जीत का स्वाद चखा दिया था जब राज्य में लहर उसके राजनीतिक दल के विपरीत थी, उस आदमी को कोई कैसे हरा सकाता है। बता दें कि वर्ष 2022 में उत्तराखण्ड के अंदर विधानसभा चुनाव हुए थे। इस चुनाव से 6-8 महीने पूर्व उत्तराखण्ड की राजनीति में जो कुछ घटा था उसको देखकर यह आभास होने लगा था कि आने वाले विधानसभा चुनाव में तत्कालीन सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी का फिर से सत्ता में आना लगभग असंभव है। ऐसे विषम परिस्थिति में जब भाजपा हाईकमान ने सत्ता की कमान पुष्कर सिंह धामी को सौंपी थी तब शायद ही किसी ने यह कल्पना की होगी कि वर्ष 2022 में भाजपा एक बार फिर प्रचंड बहुमत की सरकार बनाएगी। ऐसा कुछ जो हुआ था, वह कईयों को ऐसा लग रहा था मानो कि फिल्म की पटकथा हो। इस लगभग असंभव लगने वाले कार्य को सफलतापूर्वक पूर्ण करने का पूरा श्रेय सूबे के मुखिया पुष्कर सिंह धामी को ही गया। कहने वाले ने बिलकुल सही कहा है, ‘‘जीत कर दिखाओ उनको, जो आपकी हार की इंतजार में बैठे हैं….।’’
चर्चाओं का बाजार लोकसभा चुनाव के बाद इस बात को लेकर भी गर्म हो चला है कि जो व्यक्ति अकेला ही विधानसभा चुनाव में समूचे उत्तराखण्ड की राजनीतिक फ़िज़ा को बदल सकता है, उसके लिए लोकसभा चुनाव में पांचों सीटें जीतना कौन सी बड़ी बात है?

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