प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड मे लोकसभा की पांचो सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों को चुनाव जीताने के लिए भाजपा के दिग्गज नेताओं ने जमकर प्रचार कर उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के हाथ मजबूत करने का आह्वान किया था। लोकसभा चुनाव मे भाजपा और कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं का राजनीतिक भविष्य तय होगा और यह देखना होगा कि आवाम ने किस-किस पर ताज सजाया और किसे उन्होंने उत्तराखण्ड की राजनीति से नकार दिया? सुबह से चल रहे मतदान मे मतदान प्रतिशत अधिक होने से आवाम इस चुनावी गणित का गुणा-भाग करने मे लगा हुआ है और चार जून को यह साफ हो जायेगा कि उत्तराखण्ड की जनता की अदालत में कौन-कौन राजनेता सफल हुआ है?
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने टिहरी से महारानी माला राज्यलक्ष्मी को एक बार फिर चुनाव मैदान मे उतारा तो वहीं पौडी लोकसभा सीट से उत्तराखण्ड के पूर्व राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी को चुनाव मैदान मे उतारा गया। हरिद्वार लोकसभा सीट से रमेश पोखरियाल निशंक के स्थान पर उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को चुनाव मे टिकट दिया गया। वहीं नैनीताल से एक बार फिर अजय भट्ट और अल्मोडा से अजय टम्टा को फिर चुनावी रणभूमि मे उतारा गया था। उत्तराखण्ड मे आज हो रहे मतदान पर राज्यवासियों की नजरें लगी हुई हैं और इस चुनाव मे आधा दर्जन राजनेताओं का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा हुआ है? टिहरी लोकसभा सीट से चुनाव लड रही माला राज्यलक्ष्मी शाह के समर्थन मे मुख्यमंत्री ने ताबडतोड जनसभायें की और उन्हें चुनाव जीतवाने का आह्वान किया लेकिन वह जिस तरह से चुनाव जीतने के बाद आवाम के बीच जाने से हमेशा कतराती रही उसको लेकर यह सवाल खडे हो रहे हैं कि क्या वह पिछली बार की तरह इस बार भी चुनावी रण जीत जायेंगी? वहीं पौडी लोकसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार अनिल बलूनी व कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है और भाजपा के दिग्गज नेताओं ने अनिल बलूनी को चुनाव जीतवाने के लिए पौडी में कई जनसभायें कर उन्हें चुनाव जीतवाने का बडा आह्वान किया। वहीं हरिद्वार लोकसभा सीट पर उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है तो वहीं कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की भी प्रतिष्ठा अपने बेटे विरेन्द्र को चुनाव जीतवाने को लेकर लगी हुई है? दोनो रावतों के बीच वहां एक बडा रोचक मुकाबला माना जा रहा है तो वहीं नैनीताल सीट पर चुनाव लड रहे अजय भट्ट और अल्मोडा से चुनाव लड रहे अजय टम्टा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। आवाम इस चुनाव मे जिस तरह से खामोश नजर आया उसको लेकर भाजपा व कांग्रेसी नेताआंे मे बेचैनी बडी हुई है कि चुनावी रण मे आवाम किन राजनेताओं के सिर पर सेहरा सजायेगा और किन राजनेताओं को वह चुनावी रण मे नकारने के लिए आगे खडा होगा? भाजपा के सभी प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा इसलिए भी दांव पर लगी हुई है क्योंकि उनके प्रचार प्रसार के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर देश के बडे-बडे भाजपा नेताओं ने उन्हें चुनावी समर मे जीत दिलाने के लिए बडी-बडी रैलियां की थी। अब सबकी नजरें चार जून पर टिकी हुई हैं कि उस दिन किस-किस राजनेता का राजनीतिक भविष्य चमकेगा और किसके राजनीतिक जीवन पर ग्रहण लगेगा?