नेताओं की आंखों में ‘खटकती मीडिया’

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मीडिया को भी एक्स विधायक भण्डारी ने भी कोसा था
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में पिछले लम्बे समय से काफी राजनेताओं की आंखों मंे मीडिया के लोग खटकते आ रहे हैं। हैरानी वाली बात है कि पहले मीडिया के सामने अपने आपको पॉवरफुल दिखाने के लिए कुछ भी बोलने से गुरेज नहीं करते और जब वह अपने बयान को लेकर राजनीतिक चक्रव्यूह में फंसने लगते हैं तो शोर मचा देते हैं कि मीडिया ने उनका बयान तोड-मरोडकर आवाम के सामने पेश किया है? हैरानी वाली बात है कि चंद दिन पूर्व कांग्रेसी विधायक राजेन्द्र भण्डारी ने एक जनसभा मंे खुलेतौर पर मीडिया को कोसा था कि उनके बारे में अफवाह फैलाई जा रही है कि वह भाजपा में जा रहे हैं। मीडिया को कोसने वाले राजेन्द्र भण्डारी ने अपने भाषण के चौबीस घंटे बाद ही जब भाजपा का दामन दिल्ली मंे जाकर थाम लिया तो वह इन दिनों सोशल मीडिया की सुर्खियां बने हुये हैं तो वहीं कांग्रेसी नेता भी राजेन्द्र भण्डारी पर हमलावर हो रखे हैं कि क्या भाजपा की मशीन में जाकर वह पवित्र हो जायेंगे? एक राजेन्द्र भण्डारी ही नहीं बल्कि कई राजनेता ऐसे हैं जो हमेशा अपना दामन साफ रखने के लिए मीडिया के लोगों को अपनी रडार पर लेने से नहीं चूक रहे जिससे सवाल खडे हो रहे हैं कि जब राजनेता अपने ही बयान को लेकर मीडिया को कटघरे में खडा करने से नहीं चूकते तो वह अपने बयान की कॉपी क्यों मीडिया को देने से गुरेज करते हैं?
गौरतलब है कि सीमांत चमोली क्षेत्र के विधायक रहे राजेन्द्र भण्डारी का वो पुराना बयान भी वायरल हो रहा है जिसमें वह साफ कह रहे हैं कि वह देख रहे थे कि यह प्रचार हो रहा है कि गढवाल का लाल आ गया है लेकिन वह कहना चाहते हैं कि गणेश गोदियाल ही गढवाल का लाल है। राजेन्द्र भण्डारी ने जनसभा मंे मीडिया व सोशल मीडिया को भी निशाने पर लिया था और कहा था कि उनके बारे में अखबारों और सोशल मीडिया में चल रहा है कि राजू भण्डारी भाजपा मंे शामिल हो गया है और कोई कह रहा है हो गया है और कोई कह रहा है कि होने वाला है। यह अफवाहें चलती रहती हैं हम नेता हैं और हम नेताओं के खिलाफ ऐसी अफवाहें चलती रहती हैं। राजेन्द्र भण्डारी ने यह भी दावा किया था कि हम वफादारी से बताना चाहते हैं कि जब तक हम लोग हैं हम राजनीति मे हैं हम इस कांग्रेस पार्टी का दामन थामकर ही काम करेंगे और उन्हांेने जिस अंदाज मंे जनसभा में सोशल मीडिया को निशाने पर लेकर कार्यकर्ताओं से कहा कि वह भी ऐसी अफवाहों का जवाब दंे। गजब की बात है कि अखबारों और सोशल मीडिया को कोसने वाले कांग्रेस के एक्स विधायक राजेन्द्र भण्डारी अपने ही बयान से चौबीस घंटे के अन्दर ही पलट गये और उन्होंने उसी गढ़वाल के लाल अनिल बलूनी के कसीदे पढ़ने शुरू कर दिये जिन्हें वह चौबीस घंटे पहले निशाने पर ले रहे थे?
उत्तराखण्ड में एक लम्बे समय से देखने में आ रहा है कि काफी राजनेता पहले मीडिया के सामने जोशीले बयान दे देते हैं और जब उनके इस बयान पर बवाल मचता है तो वह अपने बोल का सारा ठीकरा मीडिया पर फोड देते हैं कि उनके बयान को मीडिया ने तोड मरोड कर आवाम के सामने पेश किया है। सवाल उठता है कि क्या मीडिया किसी राजनेता के खिलाफ उसके दिये गये बयान को लेकर साजिश के तहत उसे तोड मरोड सकती है जैसा उस पर अकसर आरोप लगा दिया जाता है? अब राजनेताओं के ऐसे बोल को देखते हुए यह बहस भी शुरू हो रही है कि जब भी कोई राजनेता अपना बयान मीडिया मंे देने के लिए आगे आये तो उससे पहले उसके लेटर पैड पर उसका लिखित बयान ले लिया जाये जिससे भविष्य मंे कभी मीडिया को नेता जी अपने बयान को लेकर उस पर निशाना साधे तो उन्हें आईना दिखाते हुए उनका लिखित बयान मीडिया में प्रकाशित कर दिया जाये?

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