नई दिल्ली/ देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखंड के मतदाता 19 अप्रैल को अपने पांच सांसदों का चुनाव करेंगे। केंद्रीय निर्वाचन आयोग के मुताबिक उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीट के लिए 19 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे और 3० मार्च को नाम वापसी की आखिरी तिथि निर्धारित की गई है। यहां नई दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मीडिया से बातचीत करते हुए लोकसभा व विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सात चरण में चुनाव होंगे और चार जून को मतगणना होगी।
वहीं दूसरी ओर भाजपा ने उत्तराखंड की पौड़ी, टिहरी, हरिद्वार, नैनीताल व अल्मोड़ा संसदीय सीट पर पांचों उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। कांग्रेस ने हरिद्वार व नैनीताल को छोड़ शेष तीन सीटों पर प्रत्याशियों के नाम फाइनल कर दिये हैं। चुनाव के शुरुआती चरण में मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच देखा जा रहा है। 2०19 में पांचों लोकसभा सीट भाजपा कर खाते में गयी थी। हालांकि इस बार भाजपा ने दो पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान सांसद रमेश पोखरियाल निशंक व तीरथ सिंह रावत की जगह पूर्व सीएम त्रिवेंद्र और अनिल बलूनी को हरिद्वार व पौड़ी लोकसभा सीट से टिकट दिया है।
सांसद अनिल बलूनी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पूर्व, 2००5 के कोटद्वार उपचुनाव में अनिल बलूनी चुनाव हार गए थे। भाजपा हाईकमान ने बाकी तीन संसदीय क्षेत्र टिहरी, नैनीताल व अल्मोड़ा में मौजूदा सांसदों को ही चुनावी अखाड़े में उतारा है। उत्तराखंड के भाजपा उम्मीदवारों को इस बार भी मोदी नाम का ही मुख्य सहारा है। तीन सिटिंग सांसदों अजय भट्ट, माला राज्य लक्ष्मी व अजय टम्टा को क्षेत्रीय मतदाताओं की नाराजगी से भी रूबरू होना पड़ सकता है। इसके अलावा पौड़ी व हरिद्वार में पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत व निशंक समर्थकों की मायूसी भी पार्टी प्रत्याशियों की सेहत पर असर डाल सकती है। अभी तक की सूची के मुताबिक कांग्रेस से गणेश गोदियाल, जोतसिंह गुनसोला व भाजपा से त्रिवेंद्र रावत व अनिल बलूनी पहली बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं।
दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी से शैलेन्द्र रावत, विजयपाल सजवाण, मालचंद, मनीष खंडूडी, अशोक वर्मा समेत कई नेता व कार्यकर्ता भाजपा का दामन थाम चुके हैं। इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी बेरोजगारी, महंगाई, अंकिता भण्डारी हत्याकांड, अग्निवीर, जोशीमठ आपदा, भर्ती घोटाले, सांसदों के खिलाफ नाराजगी समेत अन्य मुद्दों को लेकर कड़ी टक्कर देने के मूड में दिख रही है। भाजपा प्रत्याशी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार की उपलब्धियों को कैश करेंगे। जबकि पहाड़ के हक हुकूक से जुड़े भू कानून, मूल निवास, गैरसैंण, भ्रष्टाचार, लोकायुक्त समेत कई अन्य क्षेत्रीय मुद्दे भी इस चुनाव में अपना असर दिखायेंगें। चुनाव की घोषणा के बाद अब उम्मीदवार अपने अपने मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे। इंडिया गठबन्धन के तहत कांग्रेस को सपा व वामपंथी दलों का साथ मिलना तय माना जा रहा है। बसपा व क्षेत्रीय दल उक्रांद अकेले ही चुनावी अखाड़े में उतरेगा। विपक्ष का यह वोट विभाजन भाजपा के लिए आक्सीजन का काम करेगा।