बेदाग बादशाहत कायम करते धामी

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चुनाव कोई लडे़ः जीत की नैय्या तो मोदी-पुष्कर लगायेंगे पार
आवाम को पुष्कर पर अभेद भरोसा
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड मंे सियासत के कई रूप राज्य की जनता तेइस सालों से देखती आ रही है और राज्य की कमान जिस भी पूर्व मुख्यमंत्री को मिली उसने अपने आपको बादशाह समझकर राजाओं की तरह सत्ता चलाने का अंदाज दिखाया। आवाम और पूर्व मुख्यमंत्रियों के बीच एक बडी दूरी ने कभी भी पूर्व मुख्यमंत्रियों को उस कसौटी पर कभी खरा नहीं पाया जहां उनके होने से आवाम को एक सुकून मिलता है। उत्तराखण्ड की तीन साल से कमान संभालने वाले युवा मुख्यमंत्री ने सरकार चलाने के लिए स्वच्छता और ईमानदारी का चोला पहना और अपनी किचन टीम को भी उन्हांेने ईमानदारी का चोला पहनाकर साफ संदेश दिया था कि उन्हंे उत्तराखण्ड को उस दिशा मंे ले जाना है जहां भ्रष्टाचार और घोटालों का काला साया आवाम को नजर न आये। मुख्यमंत्री बेदाग बादशाहत कायम करते हुए जिस तरह से उत्तराखण्ड को आदर्श राज्य बनाने की दिशा में तेजी के साथ आगे बढ़ चले हैं उससे आवाम को मुख्यमंत्री पर अभेद भरोसा है और अब तो राज्य के अन्दर लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह आवाज भी उठने लगी है कि चुनाव चाहे कोई भी राजनेता लडे लेकिन उनकी जीत की नैय्या तो मोदी और पुष्कर सिंह धामी ही पार लगायेंगे। मुख्यमंत्री की बेदाग छवि से आवाम को अब डबल इंजन सरकार पर भरोसा ही भरोसा नजर आ रहा है और वह मुख्यमंत्री को उत्तराखण्ड का राजनीतिक युग पुरूष मान रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब सत्ता की कमान अपने हाथों में ली थी तो उनके सामने कई बडी-बडी चुनौतियां थी। इन चुनौतियों में भ्रष्टाचार और घोटालों का अंत करना उनके लिए सबसे अह्म अग्निपरीक्षा माना जा रहा था तो वहीं युवाओं को सरकारी नौकरियों में सामायोजित करने के लिए भी मुख्यमंत्री को उस दौर से गुजरना था जहां हर तरफ उनके सामने एक बडी चुनौती बनी हुई थी। मुख्यमंत्री ने सबसेे पहले अपनी किचन टीम मंे जब एक से एक धुरंदर और ईमानदार अफसरों को शामिल किया तो उससे साफ झलक गया था कि मुख्यमंत्री सरकार चलाने के लिए किस विजन के तहत काम करने का खाका तैयार कर चुके हैं। मुख्यमंत्री अपने सौम्य रूप से आवाम का दिल जीतने में टॉपर बन गये और वह अपने अल्प कार्यकाल में बच्चों के अंकल मामा बनकर उनके बीच जिस तरह से प्रसिद्धि की एक बडी सीढ़ी पर चढ़ गये उसे देखकर राज्य की जनता भी यह सोचने को मजबूर हो गई कि जो मुख्यमंत्री बच्चों के बीच बच्चा बनकर उनका दिल जीतने में अव्वल आ गया है वह मुख्यमंत्री राज्यवासियों के बीच आकर उन्हें अपना परिवार मानकर उनके सुख-दुख में उनके साथ खडा हुआ है।
उत्तराखण्ड भाजपा मंे एक से एक धुरंदर राजनेता मौजूद हैं लेकिन उनमंे आवाम का दिल जीतने का वो हुनर कभी देखने को नहीं मिला जो हुनर मुख्यमंत्री में राज्य की जनता पिछले तीन सालों से देखती आ रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीन सालों से बेदाग होकर सत्ता चलाने का जो सिलसिला शुरू कर रखा है उससे उनकी बेदाग बादशाहत उत्तराखण्ड से लेकर देशभर मंे देखने को मिल रही है। आवाम के लिए फ्लावर और अवैध धंधेबाजों और माफियाओं के सामने मुख्यमंत्री का फायर रूप यह साबित कर रहा है कि वह सत्ता चलाने के लिए उसी संकल्प को धारण किये हुये हैं जिसे धारण कर उन्होंने राजनीति को अपना आईना बनाया हुआ है। उत्तराखण्ड के अन्दर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का राजनीतिक इकबाल बुलंदियों पर है और आज राज्य की जनता उनके रोड-शो में जिस तरह से उमड़ रही है उसे देखकर साफ झलक रहा है कि लोकसभा चुनाव में भले ही कोई भी राजनेता चुनावी मैदान मंे उतर गया हो लेकिन उन सबकी जीत का सफर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पुष्कर सिंह धामी ही पूरा करेंगे।

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