प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड की सियासत में कब कौन राजनेता अपने फायदे के लिए पार्टी बदलने के लिए आगे बढ़ जाये यह किसी से छिपा नहीं है? कांग्रेस व भाजपा में चलते आ रहे इस खेल को राज्य की जनता बहुत करीब से देखती आ रही है और उसी के चलते यह बहस भी हमेशा चली है कि किसी भी राजनेता का किसी दल में मोह बढने लगे और किसी दल से उसका मोह अचानक भंग हो जाये यह एक नियती सी बन गई है? ईडी ने जैसे ही राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और उनकी करीबी राजनेता लक्ष्मी राणा पर शिकंजा कसा गया तो एकाएक लक्ष्मी राणा ने कांग्रेस से यह कहकर पार्टी छोड दी कि पार्टी ने उसका साथ नहीं दिया? अब राजनीतिक गलियारों में सवाल खडे हो रहे हैं कि क्या अब लक्ष्मी राणा भी भाजपा का दामन थामने के लिए कभी भी उसमें अपनी एंट्री करा सकती हैं? वहीं यह बहस भी राज्य के अन्दर चल पडी है कि क्या ईडी की रडार पर आ चुके हरक सिंह रावत एक बार फिर भाजपा का हाथ थामने में सफल हो जायेंगे या फिर उन्हें भाजपा में एंट्री नहीं मिल पायेगी? मीडिया का एक धराना दम भर रहा है कि हरक की भाजपा में एंट्री सम्भव नजर आ रही है और चुनाव की बेला से पूर्व वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं? हालांकि यह तो आने वाला समय ही बतायेगा कि ईडी की रडार पर आये हरक को भाजपा एक बार फिर पार्टी में शामिल करेगी या फिर उनसे दूरी बनाकर रखेगी? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दयालु राजनेता भी माना जाता है जिसको देखते हुए यह चर्चाएं भी जन्म ले रही हैं कि विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा से बेवफाई करने वाले हरक सिंह रावत को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शायद लोकसभा चुनाव से पूर्व माफ भी कर सकते हैं?
लोकसभा चुनाव से पूर्व उत्तराखण्ड के अन्दर काफी कांग्रेसी नेता पार्टी को बॉय-बॉय कहकर भाजपा में अपनी एंट्री कराने में सफल हो गये हैं। भले ही इन राजनेताओं का आवाम के बीच राजनीतिक इकबाल कभी देखने को न मिला हो लेकिन विपक्षी दलों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त दिखाने के लिए इन राजनेताओं की भाजपा में एंट्री महत्वपूर्ण मानी जा रही है? भाजपा उत्तराखण्ड के अन्दर पॉवरफुल दिखाई दे रही है और राज्य के अन्दर भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार है लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को जीत के शीर्ष पर ले जाने के लिए भाजपा के दिग्गज नेता कंाग्रेस छोडकर आने वाले राजनेताओं का अपने दल में खुलकर वैलकम कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व ईडी ने उत्तराखण्ड के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और उनके करीबी लक्ष्मी राणा पर अपना शिंकजा कसा और उसके बाद लक्ष्मी राणा ने कांग्रेस को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया जिसके बाद से ही राज्य के अन्दर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया कि लक्ष्मी राणा भी भाजपा में अपनी आस्था दिखाकर वहां अपनी एंट्री कराने में सफल हो सकती हैं? लक्ष्मी राणा के कांग्रेस छोडने के बाद से ही एक बार फिर उत्तराखण्ड के अन्दर तेजी के साथ बहस शुरू हो गई कि ईडी की रडार पर आये पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी भाजपा में शामिल होने के लिए उत्तराखण्ड से लेकर दिल्ली तक में अपनी जोर अजमाइश कर रहे हैं? सवाल तैर रहे हैं कि लोकसभा चुनाव से पूर्व हरक सिंह रावत को भाजपा अपने दल में शामिल कर उनके वोट बैंक को अपने प्रत्याशी के पाले में लाने के लिए रणनीति बना चुके हैं या फिर अभी यह सब कयासबाजी का खेल माना जा रहा है? मीडिया का एक धराना दम भर रहा है कि हरक सिंह रावत की भाजपा में एंट्री होना तय है और आने वाले कुछ दिनों के भीतर वह कांग्रेस को बॉय-बॉय कहकर फिर भाजपा में शामिल हो सकते हैं? अब आने वाले दिनों में ही यह सब तस्वीर साफ होगी कि लक्ष्मी राणा और हरक सिंह रावत जो कि मौजूदा दौर में ईडी की रडार पर हैं क्या वह भाजपा में शामिल होने का पूरा लेखाजोखा तैयार कर चुके हैं?