प्रमुख संवाददाता
देहरादून। राज्यपाल ने शुरू हुये बजट सत्र में सरकार की योजनाओं, उपलब्धियों व प्राथमिकताओं का खाका खींचा और सोलह पेज के अभिभाषण में समान नागरिक संहिता का उल्लेख करते हुए महिला, युवा, विभिन्न सेक्टर से जुडी योजनाओं का ब्यौरा पेश किया और लगभग एक घंटे तक अभिभाषण पढ़ा। सदन के अन्दर राज्यपाल सरकार का आईना बने।
महिला सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड सरकार कृतसंकल्पित हैं। राज्य सरकार का इस पर विशेष फोकस है। राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) के अभिभाषण में भी इसके लिए प्रतिबद्धता देखने को मिली है। महिलाओं की शिकायत आसानी से दर्ज हो सके इसके लिए राज्य के प्रत्येक थाने में महिला डेस्क स्थापित की गई हैं। महिलाओं को शिकायत दर्ज करने के लिए थाना-चौकियों के चक्कर न काटने पड़े इसके लिए जिला स्तर पर भी व्हाट्सएप नंबर जारी किए गए हैं। महिलाओं की शिकायत सुनने के लिए भी महिला डेस्क के सुव्यवस्थित गठन पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। महिला डेस्क पर महिला पुलिस अधिकारियों और कर्मचाारियों की तैनाती की गई है। जो महिलाओं की शिकायत सुनने और उनके समाधान का कार्य कर रही हैं। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि थाना स्तर पर ही महिलाओं को सुरक्षित माहौल और हर संभव मदद दी जाए। महिला डेस्क इसमे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इसके अलावा गृह विभाग द्वारा महिलाओं की शिकायत आसानी से दर्ज करने के लिए राज्य स्तर पर भी पुलिस मुख्यालय में वाट्सएप मोबाइल नंबर जारी किया गया है। ताकि पुलिस मुख्यालय के स्तर पर भी महिलाओं की शिकायत का संज्ञान लिया जाए। साथ ही महिलाओं की सुरक्षा की भी उच्च स्तर पर भी मॉनीटरिंग सुनिश्चित की जा सके।
पुलिस के आधुनिकीकरण पर भी सरकार का विशेष ध्यान राज्यपाल के अभिभाषण में पुलिस के आधुनिकीकरण की झलक देखने को भी मिली। पुलिस कार्मिकों को निगरानी, आपदा राहत कार्य, यातायात प्रबंधन, मैपिंग, ई चालान, एनाउंसमेंट, लाइव ट्रैकिंग आदि कार्यो के लिए ड्रोन परिचालन एवं टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण दिया गया है। अपराध नियंत्रण, कानून व्यवस्था बनाने, अपराधियों को पकडऩे, आपदा राहत कार्यों, यातायात प्रबंधन जैसे कार्यों के वक्त इसका असर देखने को भी मिलता है। वहीं, कैदियों का ध्यान आपराधिक मनोवृत्ति से हटाने के लिए भी सरकार द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। कैदियों में उधमशीलता विकसित किए जाने और उन्हें प्रशिक्षित कर स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जेल विकास बोर्ड का गठन किया गया है।
वर्ष 2०23-24 में पुलिस विभाग में निर्माण और अन्य कार्यों के लिए 24०० करोड़ से ज्यादा का बजट रखा गया था। जबकि, जेलों में निर्माण और अन्य कार्यों के लिए 95 करोड़ का प्रावधान किया गया था। पिछली बार राज्य सरकार ने ट्रेनिंग के लिए 17.8 करोड़, इंवेस्टिगेशन में 13 करोड़, विशेष पुलिस के लिए 45 करोड़, ग्राम पुलिस के लिए 11 करोड़, रेलवे पुलिस में 22 करोड़, पुलिस कल्याण के लिए 82 करोड़, फोरेंसिक में 44 करोड़, आंतरिक सुरक्षा के लिए 11 करोड़ के बजट का प्रावधान रखा गया था।