उत्तराखंड़, हिमालय, गंगा और आयुर्वेद का अद्भुत संयोग

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ऋषिकेश(के.के सचदेवा। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, डा कृष्ण गोपाल का 43 वां राष्ट्रीय अधिवेशन नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन में भारत के विभिन्न राज्यों से आये वरिष्ठ ख्याति प्राप्त चिकित्सकों और 1800 से अधिक मेडिकल के छात्रों को आशीर्वाद व पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ। एम्स में आयोजित 43 वां राष्ट्रीय अधिवेशन नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन का स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, डा कृष्ण गोपाल ,मुख्यमंत्री उत्तराखंड़, पुष्कर सिंह धामी, स्वास्थ्य मंत्री, उत्तराखंड सरकार धन सिंह रावत , वित्तमंत्री, उत्तराखंड सरकार प्रेमचंद अग्रवाल, एम्स ऋषिकेश की डायरेक्टर डॉ मीनू सिंह और भारत के विभिन्न राज्यों से आये चिकित्सकों ने दीप प्रज्वलित कर राष्ट्रीय अधिवेशन का विधिवत शुभारम्भ किया।
एम्स, ऋषिकेश में नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाईजेशन का 43 वें वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन में देशभर के 250 से अधिक मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सा विशेषज्ञ और 1800 से अधिक छात्र दो दिवसीय सम्मलेन के माध्यम से डिजिटल हेल्थ, इंटीग्रेटेड हेल्थ सहित स्वास्थ्य क्षेत्र से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर विचार मंथन कर रहे हैं। इस अधिवेशन में चिकित्सा क्षेत्र के अलावा अनुसंधान, योग और आयुर्वेद आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञ अपने-अपने अनुभवों और विचारों को साझा कर रहे हैं। साथ ही विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ भारतीय ज्ञान, दर्शन और अनुसंधान को समाजोपयोगी बनाने पर मंथन कर रहे हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि उत्तराखंड ऐसी धरती है जो ’शोर से दूर होकर शान्ति की ओर लौटने का संदेश देती है। इनर हीलिंग और भीतर की शान्ति प्रदान करती है। स्वामी जी ने कहा कि योग और ध्यान में स्वस्थ जीवन के सूत्र समाहित हे। योग जीवन में रामबाण और संजीवनी बूटी की तरह काम करता है। योग से हम अपने सच्चे स्व को जान सकते हैं तथा योग से भय भागता है और भाव जागता है। स्वामी ने कहा कि योग के माध्यम से हम अपने प्लानेट से भी जुड़ सकते हैं, आप इसके दर्शन परमार्थ निकेतन में होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव मंे ंकर सकते हैं। योगमय जीवन हमेें प्रेम करना सिखाता हैं। योग सभी को प्रेम के सूत्र में बांधता है। सेवा और समर्पण से जोड़ता है। योग केवल फिजिकल अभ्यास नहीं बल्कि स्वयं से और फिर पूरे प्लानेट से जुड़ने की एक कला है।
स्वामी ने कहा कि जीवन में योग ’ऑन द मैट’ और दूसरा ’ऑफ द मैट’ दोनों की आवश्यकता है। योग से जीवन में इम्युनिटी और भारतीय संस्कारों से हृयुमैनिटी को जिन्दा रखा जा सकता है, चिकित्सा के क्षेत्र में दोनों की ही आवश्यकता है। स्वामी ने सभी चिकित्सकों का आह्वान करते हुये कहा कि योग तो रोज करते ही हैं परन्तु अब धरती योग भी करें और अपनी धरती को बचायें, पेड़ लगायें, प्राण बचायें क्योंकि पेड़ है तो वायु हैय वायु है तो आयु है और आयु है तो जीवन है। सम्पूर्ण मानवता की रक्षा में चिकित्सकों का महत्वपूर्ण योगदान है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारत के विभिन्न राज्यों से आये चिकित्सकों को सम्बोधित करते हुये कहा कि उत्तराखंड़, हिमालय, गंगा और आयुर्वेद का अद्भुत संयोग है। जब ये सब मिल जाते हैं तो एक नई पैथी का जन्म होता है वही उत्तराखंड की पूरे विश्व को देन है। सह सरकार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, डा कृष्ण गोपाल ने कहा चिकित्सा एक अद्भुत सेवा है। भारतीय संस्कृति में भगवान धनवंतरी से लेकर वर्तमान पीढ़ी तक चिकित्सकों को ईश्वर का दर्जा दिया गया है इसलिये इसका निर्वहन कर्तव्य के रूप मेंय सेवा के होना चाहिये।
स्वास्थ्य मंत्री, उत्तराखंड सरकार धनसिंह रावत और वित्तमंत्री, उत्तराखंड सरकार प्रेमचंद अग्रवाल ने भारत के विभिन्न राज्यों से आये विख्यात चिकित्सकों और छात्रों का उत्तराखंड की दिव्य भूमि में स्वागत व अभिनन्दन किया। राष्ट्रीय अधिवेशन के आयोजक सचिव और एम्स ऋषिकेश के फार्मोकॉलोजी विभाग के डॉ. विनोद कुमार सिंह ने बताया कि अधिवेशन में चिकित्सा पद्धति, सुविधाओं के साथ स्वास्थ्य जीवनशैली पर भी मंथन किया जा रहा है।

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