शिक्षा मंत्री के आवास कूच किया कोविड कर्मचारियों ने

0
99

देहरादून(संवाददाता)। कोरोना संक्रमण काल के दौरान बेहतर सेवायें देने वाले कोविड कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के विरोध में अपनी बहाली की मांग को लेकर प्रदेश के शिक्षा मंत्री डाक्टर धन सिंह रावत के यमुना कालोनी स्थित सरकारी आवास कूच किया और जहां पर पुलिस ने बैरीकैडिंग लगाकर सभी को रोक लिया और इस दौरान पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोंकझोंक व धक्का मुक्की हुई और बाद में सभी वहीं धरने पर बैठ गये। इस दौरान शिक्षा मंत्री को खुला पत्र भेजा गया। यहां बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण काल के दौरान बेहतर सेवायें देने वाले कोविड 19 कर्मचारी संगठन के बैनर तले बिन्दाल पुल के पास इकटठा हुए और वहां से बहाली की मांग को लेकर नारेबाजी करते हुए प्रदेश के शिक्षा मंत्री डाक्टर धन सिंह रावत के यमुना कालोनी स्थित सरकारी आवास कूच किया और जहां पर पुलिस ने बैरीकैडिंग लगाकर सभी को रोक लिया और इस दौरान पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोंकझोंक व धक्का मुक्की हुई और बाद में सभी वहीं धरने पर बैठ गये। इस दौरान उन्होंने जमकर नारेबाजी की।
इस अवसर पर संगठन के अध्यक्ष संतोष राणा ने कहा कि सभी कर्मचारी एकता विहार सहस्त्रधारा रोड में 249 दिन से धरने पर बैठे है लेकिन उनकी मांगों का समाधान नहीं किया जा रहा है और न ही उन्हें बहाल किया जा रहा है।
इस अवसर पर उनका कहना है कि कोविड कर्मचारियों की सुनने वाला कोई नहीं है। नौकरी से निकाले गए कोविड कर्मचारी पिछले 249 दिन से एकता विहार में धरने पर बैठे हैं, लेकिन राज्य सरकार इनकी मांग को लगातार अनसुना कर रही है। कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें नौकरी पर रखा जाए। उनका आरोप है कि उत्तराखंड में कुछ जगहों पर अब तक कोविड कर्मचारी नौकरी कर रहे हैं, और लेकिन दून के कर्मचारियों को निकाल दिया गया है। उनका कहना है कि उपनल कर्मचारियों के मानदेय में बढोत्तरी कर दी गई है लेकिन उन्हें समायोजित नहीं किया जा रहा है और न ही बहाली के किसी भी प्रकार का कोई निर्णय लिया जा रहा है।
इस अवसर पर उनका कहना है कि कोरोना काल में जब सामान्य कर्मचारियों की कमी थी तो आउटसोर्स के कुछ कर्मचारियों को नौकरी पर रखा राक गया था और सामान्य के साथ कोरोना के माने मरीजों की भी इन कर्मियों ने सेवा की। उनका कहना है कि इस दौरान कोरोना संक्रमण का कहर समाप्त होते ही इन सभी पन कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया का गया। उनका कहना है कि ऐसे में यह सभी कर्मचारी बेरोजगार हो गए और नौकरी में सेवा विस्तार की मांग करने लगे। उनका कहना है कि कर्मचारियों ने 11० दिन का आमरण अनशन भी किया है और अनशन के दौरान कर्मचारियों की तबीयत लगातार बिगड़ रही थी। कर्मचारियों को अस्पताल में भती करवाना पड़ रहा था। कर्मचारी उच्च अधिकारियों से मिलने की मांग करते रहे लेकिन कोई मिलने नहीं आया। उनका कहना है कि सरकार कर्मचारियों के भविष्य को नहीं समझ रही है और उनके हितों के साथ लगातार खिलवाड किया जा रहा है। इस अवसर पर अनेकों कोविड कर्मचारी शामिल रहे।

LEAVE A REPLY