ग्राम गल्जवाडी के निवासियों ने मांगों को लेकर किया सचिवालय कूच

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देहरादून(नगर संवाददाता)। ग्राम गल्जवाड़ी में वर्षों से बसे हुये ग्रामवासियों की आवासीय भूमि को राजस्व अभिलेखों में आबादी में दर्ज करने के लिये शासनदेश घोषित किये जाने की मांग को लेकर क्षेत्रवासियों ने राजधानी में रैली निकालकर सचिवालय कूच किया और पुलिस ने बैरीकैडिंग लगाकर सभी को रोक लिया और दौरान पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोंकझोंक धक्का मुक्की हुई और काफी देर तक हंगामा होने के बाद सभी वहीं धरने पर बैठ गये। बाद में प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से सचिव को ज्ञापन प्रेषित किया गया।
यहां ग्राम गल्जवाडी की ग्राम प्रधान लीला शर्मा के नेतृत्व में क्षेत्रवासी सुभाष रोड के पास इकटठा हुए और वहां से ग्राम गल्जवाड़ी में वर्षों से बसे हुये ग्रामवासियों की आवासीय भूमि को राजस्व अभिलेखो में आबादी में दर्ज करने के लिये शासनदेश घोषित किये जाने की मांग को लेकर क्षेत्रवासियों ने राजधानी में रैली निकालकर सचिवालय कूच किया और पुलिस ने बैरीकैडिंग लगाकर सभी को रोक लिया और दौरान पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोंकझोंक धक्का मुक्की हुई और बाद में सभी वहीं धरने पर बैठ गये।
इस अवसर पर ग्राम प्रधान लीला शर्मा ने बताया कि ग्राम गल्जवाडी में 6०-7० वर्षों से बसे हुये ग्रामवासियों की जमीन आबादी भूमि घोषित किये जाने के सम्बन्ध में पिछले 16 वर्षों से संघर्षरत है। उन्होंने कहा कि ग्राम के लगभग 35० परिवार भूमि के मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रहे है, और जिसके सम्बन्ध में ग्रामवासियों ने कई बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं जिलाधिकारी सोनिका के समक्ष उपस्थित होकर अपनी समस्या से अवगत कराया किन्तु उस पर भी कोई कार्यवाही शासन द्वारा नहीं हुई।
उन्होंने बताया कि ग्रामवासियों ने पिछले 16 वर्षों से बसे हुये आवास को आबादी भूमि घोषित कराने के सम्बन्ध में उच्च न्यायालय नैनीताल में वाद योजित किया गया और उच्च न्यायालय ने भी 14 मार्च 2०19 को ग्राम पंचायत गल्जवाडी में बसे हुये ग्रामवासियों की इस समस्या का चार माह के अन्दर निस्तारण करने का आदेश सरकार को दिया था, शासन द्वारा अभी तक उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया गया है।
उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश का पालन न होने पर ग्रामवासियों ने इसका जवाब शासन से मांगा है। उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को ग्रामवासियों की भूमि को आबादी घोषित करने के लिये उचित कार्यवाही करने के लिये कहा किन्तु काफी समय व्यतीत होने के बावजूद भी राज्य सरकार द्वारा ग्रामवासियों की भूमि को अभी तक आबादी भूमि घोषित नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा भी घोषणा में ग्राम गल्जवाडी में काबिज व्यक्तियों जिसमें ग्रामवासियों के आवास बने हैं को आबादी भूमि में घोषित करने की घोषणा करने की गयी किन्तु राज्य सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का कोई शासनादेश अभी तक जारी नहीं हुआ है।
उन्होंने बताया कि ग्रामवासी वर्षों से इस आस में बैठे हैं कि सरकार द्वारा शासनादेश पारित कर ग्रामवासियों की भूमि को आबादी में घोषित कर ग्रामवासियों को स्वामित्व प्रदान किया जायेगा, किन्तु आज भी स्थिति पुरानी जैसी ही है। ग्रामवासियों की दो तीन पीढियां गांव में रहते हुये बीत गयी हैं और ग्रामवासी केवल अपनी जमीन जिसमें आबादी बसी है, उसको आबादी भूमि घोषित कराने की प्रार्थना करते आ रहे हैं।
इस अवसर पर ज्ञापन में कहा गया कि पूर्व में भी सर्वे नायब तहसीदार देहरादून ने अपनी आख्या जिलाधिकारी को प्रदान की थी जिसमें ग्रामवासियों के नाम पुराना भूमि खसरा नम्बर, नया खसरा नम्बर क्षेत्रफल सहित मय नक्शा सूची बनाकर ग्रामवासियों द्वारा सरकार को सौंप दिया गया था जिसमें सर्वे नायब तहसीलदार देहरादून द्वारा मौके पर कब्जे का भौतिक सत्यापन किया गया जिसकी आख्या जिलाधिकारी देहरादून को प्रदान की गयी।
ज्ञापन में कहा गया कि ग्राम गल्जवाड़ी में दो तीन पीढिय़ों से बसे हुए ग्रामवासी भूमि पर बने अपने आवासीय भवनों को राजस्व अभिलेखों में आबादी दर्ज कराने की प्रार्थना करते आये हैं किन्तु ग्रामवासियों की भूमि को आज भी राजस्व अभिलेखों में आबादी दर्ज नहीं किया गया है। ग्राम प्रधान गल्जवाड़ी लीला शर्मा द्वारा राजस्व विभाग में कई मर्तबा आबादी भूमि घोषित किये जाने के संबंध में राजस्व कर्मचारियों एवं अधिकारियों से सम्पर्क किया गया परन्तु राजस्व विभाग द्वारा कोई भी संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया।
ज्ञापन में कहा गया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री जी द्वारा भी घोषणा में ग्राम गल्जवाड़ी को उत्तराखण्ड द्वारा वर्ष 2०15 में आबादी क्षेत्र दर्शाने की अधिसूचना जारी की गयी थी उसके बावजूद भी ग्राम गल्जवाड़ी में बसे आबादी भूमि पर सैकड़ों परिवारों को अभी तक आबादी में दर्ज नहीं किया गया है और आबादी भूमि को उच्च न्यायालय नैनीताल ने भी उत्तराखण्ड शासन को ग्राम गल्जवाडी की आबादी भूमि दर्शाने हेतु आदेश जारी किया गया था उसके बावजूद भी शासन द्वारा ग्राम में बसे हुये आबादी भूमि को अभी तक आबादी नहीं दर्शाया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि जबकि वर्ष 2००9 में आबादी भूमि में बसे परिवारों की सूची बनायी गयी थी और जो कि पटवारी, कानूनगो, तहसीलदार, एस.डी.एम. व जिलाधिकारी द्वारा बसी हुई आबादी की सूची बनाकर शासन को सौंप दी गयी थी। ग्रामवासी बार-बार शासन को आबादी दर्शाने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल करते रहे। ज्ञापन में कहा गया कि इसके बावजूद भी शासन ने ग्रामवासियों की आबादी वाली भूमि को अभी तक आबादी घोषित नहीं किया है। ज्ञापन में कहा गया कि ग्रामवासियों द्वारा पिछले छह वर्षों से आबादी भूमि घोषित कराने के लिये शासन प्रशासन से लेकर न्यायालय तक के दरवाजों तक पहुंच गये हैं।
ज्ञापन में कहा गया कि किन्तु आबादी क्षेत्र की भूमि में किसी भी प्रकार का कोई वाद-विवाद, मुकदमा आदि नहीं है और ना ही किसी न्यायालय द्वारा कोई स्थगन (स्टे) आदेश पारित हुआ है और फिर भी ग्रामवासियों के आबादी भूमि को राजस्व अभिलेखों में आबादी क्षेत्र की भूमि घोषित नहीं किया गया है, जिससे ग्रामवासियों के साथ अत्यन्त अन्याय हो रहा है। ग्रामवासियों का अंगेलिया हाउस सोसायटी को 5०० रूपये प्रति बीघा लेकर बिठाया था। यह गांव मुख्यमंत्री आवास से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तथा गांव का जो क्षेत्रफल है 45 किलोमीटर के दायरे में आता है। यह भूमि राजस्व विभाग वर्ग 2 व वर्ग 4, बंजर एवं कृषि भूमि है. जिसे आज तक आबादी में दर्ज नहीं किया गया है। ग्रामवासियों की ग्राम गल्जवाड़ी में बने आवासों को राजस्व अभिलेखों में जल्द से जल्द आबादी में दर्ज कराते हुए ग्रामवासियों को मालिकाना हक प्रदान किया जायेगा। इस अवसर पर प्रदर्शन करने वालों में ग्राम प्रधान लीला शर्मा, बिमला देवी , पूनम अधिकारी, कोपिला, सावित्री, दीपा देवी, राजू थापा, थम बहादुर, विष्णु प्रसाद, रेनू सहित अनेकों ग्रामवासी शामिल रहे।

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