अनिल के विकास से अब ‘जगमगा’ रहा है गढ़वाल
राज्यसभा सांसद के रूप में लिखी एक नई इबारत
अमन वर्मा
दृढ़संकल्प के साथ अगर कुछ करने की ठान लो तो इसंान पहाड़ को चीरकर भी वहां से रास्ता बना लेता है। एक वक्त की बात थी जब बुद्धिजीवियों की भूमि कहे जाने वाले पौड़ी गढ़वाल की पहचान सिर्फ और सिर्फ पलायन के लिए होने लगी थी। पौड़ी के ग्रामीण इलाकों के जर्जर मकान अपनी दयनीय परिस्थिति पर खुद आंसू बहाते और अपने स्वामी के इंतजार में टकटकी लगाए रहते। दिन बीते, हफ्ते बीते, महीने बीते और बीते कई साल, मगर वो लौट के नहीं आए, जिनके इंतजार में जर्जर मकान हो रहे थे बेहाल। कहते है कि मायूसी के बादल कितने ही घने क्यों न हो, एक न एक दिन वह छट ही जाते है और एक नए प्रकाश के साथ सूरज अपनी दस्तक जरूर देता है। ऐसा ही एक सूरज पौड़ी जनपद में भी उदय हुआ और उसके प्रकाश से वहां के मायूसी के बादलों ने वहां से पलायन करना शुरू कर दिया। मजबूत इरादों और जूनून से किए गए प्रयास सदैव सफल होते है और इसका एक उदाहरण तब देखने को मिला जब ‘अपना गांव, अपना वोट’ जैसी एक खूबसूरत मुहिम ने पौड़ी के पलायान पर गहरी चोट की और यहां से पलायन कर चुके लोगों अपने पैतृक गांवों की ओर लौटने की याद दिला दी। इस मुहिम को धरातल पर उतारने वाली शख्सियत और कोई नहीं बल्कि पौड़ी के ही एक लाल अनिल बलूनी थे। अनिल बलूनी न केवल पलायन पर प्रहार किया बल्कि पहाड़ों से लुप्त होती पुरानी परंपराओं को नया जीवन देने का काम किया है। ईगास त्योहार की परंपरा को एक बार फिर से मुख्यधारा से जोड़कर अनिल बलूनी पहाड़ वासियों के हृदय में अपनी एक अलग ही पहचान बना ली है और अब बलूनी पौड़ी की चाहत बन चुके हैं। अपने द्वारा किए गए विकास कार्यों से अनिल बलूनी ने पौड़ी समेत उत्तराखण्ड को जगमगा दिया है। चर्चाएं उठ रही है कि यदि भाजपा इस बार पौड़ी लोकसभा सीट से अनिल बलूनी को मैदान में उतारती है, तो यह कहना गलता नहीं होगा कि इस सीट से भाजपा एक नया इतिहास लिख देगी।
देहरादून। लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। उत्तराखण्ड की पांच सीटों में से चार सीटों पर तो प्रत्याशी लगभग तय ही माने जा रहे हैं लेकिन जिस सीट पर पसोपेश की स्थिति बनी हुई है वह सीट है पौड़ी। मौजूदा समय में पौड़ी सीट से पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत सांसद है।
बता दें कि वर्ष 2021 में उत्तराखण्ड की राजनीति में एक सियासी भूचाल आया था। इस भूचाल का परिणाम यह निकला था कि भाजपा हाईकमान को प्रचंड बहुमत वाली सरकार में भी नेतृत्व परिवर्तन करना पड़ा था। वो भी एक बार नहीं दो बार। पहले त्रिवेन्द्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाकर उनके स्थान पर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था और जब हाईकमान को लगा कि यह प्रयोग भी सफल नहीं हो रहा है तो उसने तीरथ सिंह रावत के स्थान पर युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश की कमान सौंप दी थी। चर्चाओं का बाजार गर्म है कि एक तरफ तो पौड़ी लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद तीरथ सिंह रावत अपना दावा ठोक रहे है और वहीं उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी इस जुगत में लगे हुए हैं कि पार्टी हाईकमान इस बार उन्हें मैदान में उतारे। यह तो सिर्फ चर्चाओं की बात है, लेकिन वास्तव में यक्ष प्रश्न तो यह है कि पौड़ी की जनता किसे चाहती है? जानकारों का मानना है कि यदि भाजपा पौड़ी क्षेत्र में एक सर्वे करा ले तो उसको इस बात का आभास हो जाएगा कि वहां की जनता की ‘चाहत’ क्या है? कौन उनके दिलों में राज करता है? भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं के प्रमुख और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने उत्तराखण्ड में विकास के दृष्टिकोण ऐसा बहुत कुछ किया है जोकि एक राज्यसभा सांसद होते हुए पहले किसी ने नहीं किया। अनिल बलूनी ने अपने कार्यकाल के दौरान पलायन जैसी कुरीति पर प्रहार किया, ईगास त्योहार की परंपरा को पुनः मुख्यधारा से जोड़ा और प्रदेश के हित में केन्द्र सरकार से हर संभव मदद को धरातल पर उतारा है। राज्यसभा सांसद के रूप में अनिल बलूनी ने जो एक नई इबारत लिखी है वहीं उन्हें जनता का चहेता बनाती है।
जनसेवा के लिए कैंसर को दी मात
मार्च 2018 में राज्यसभा सांसद मनोनीत हुए भाजपा के अनिल बलूनी ने उत्तराखण्ड को कई सौगातों से नवाजा है। उत्तराखण्ड में कैंसर अस्पताल खोलने की पहल हो या सैनिक अस्पतालों में आम जनता को भी इलाज मिलने की सुविधा। स्वास्थ्य की क्षेत्र की दिशा में उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। उनके जीवन में एक दौर ऐसा भी आया था जब वह कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की चपेट में आ गए थे। उनकी बीमारी की खबर ने उत्तराखण्ड में ही नहीं अपितु पूरे देश में सनसनी मचा दी थी। कैंसर का मात दे चुके कई सेलेब्रिटी, उनकी बीमारी के दौरान उनका हौसला बढ़ाने के लिए भी उनसे मिले थे। अंततः अनिल बलूनी साहस का परिचय देते हुए कैंसर को हराया और फिर से जनसेवा के अपने धर्म को निभाने में जुट गए।