उत्तराखंड में शीघ्र ही लागू किया जाये धारा 371 को

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देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी संयुक्त परिषद, सामाजिक संगठनों व राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने इन्द्रमणि बडोनी के प्रतिमा के समक्ष सुभाष चन्द्र बोस की जयन्ती के अवसर पर हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर धारा 371 लागू करने व मूल निवास 195० लागू करने, आन्दोलनकारियों की चिन्हीकरण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए व समान पेंशन पट्टा मांगों को लेकर प्रदर्शन कर धरना किया और राज्य सरकार जल्द लागू किये जाने की मांग की। यहां घंटाघर स्थित इन्द्रमणि बडोनी की प्रतिमा के समक्ष उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी संयुक्त परिषद्, सामाजिक संगठनों व राजनैतिक दलों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता एकत्रित हुए और वहां अपनी मांगों के समाधान के लिए धरना प्रदर्शन किया। इस अवसर पर वर्षों से इन मांगों के लिए संघर्षित है इन मांगों पर भाजपा सरकार द्वारा गम्भीरतापूर्वक विचार नहीं किया जा रहा है जिससे उत्तराखण्ड की जनता में बहुत ही आक्रोश है। यहां की जनता का आक्रोश कभी भी ज्वालामुखी की तरह फट सकता है जिसकी जिम्मेदारी स्वयं भाजपा सरकार की होगी।
इस अवसर पर परिषद के संरक्षक नवनीत गुसाई ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर धारा 371 उत्तराखण्ड को बने हुए 23 वर्ष हो चुके हैं यहां की समस्या जस की तस बनी हुई है क्योंकि 371 नहीं लगने के कारण यहां पर विभिन्न प्रदेशों के लोग आकर बस रहे हैं जिससे यहां के मूल निवासी अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं यहां पर बाहर के भूमाफिया, शराब माफिया सक्रिय होते जा रहे हैं। यहां की भोली भाली जनता की जमीनें खुर्द बुर्द कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा बाहर के लोगों को प्रलोभन देकर यहां के किसानों की कृषि भूमि बाहर के माफियाओं व बाहर के लोगों को दे रहे हैं और भाजपा यहां पर जानबूझ के धारा 371 लागू नहीं कर रही है उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी व शहीदों ने जो सपने उत्तराखण्ड को बचाने के लिए जल, जंगल, जमीन व संस्कृति को बचाने के लिए अपनी शहादतें दी उसको भाजपा सरकार ने भुला दिया है। उन्होंने कहा कि अगर धारा 371 नहीं लगाई गई तो एक लम्बे संघर्ष के लिए उत्तराखण्ड की जनता तैयार है। इस अवसर पर परिषद के प्रवक्ता चिंतन सकलानी ने कहा है कि मूल निवास 195० से लागू किया जाना भाजपा सरकार द्वारा मूल निवास 195० से लागू नहंीं किया जा रहा है जिससे बाहर की जनता व विदेशों से भी लोग यहां पर मूल निवासी बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां पर 15 साल की स्थाई निवास देकर यहां के लोगों का रोजगर बाहर से आने वाले लोगों को जिसने रोहिंग्या, बांग्लादेशी, बर्मा, पाकिस्तान आदि देशों के लोगों को यहां का मूल निवासी बनाया जा रहा है जिससे आने वाले समय में उत्तराखण्ड को एक हिंसक राज्य बनाने की कोशिश की जा रही है हम उत्तराखण्डी लोग मूल निवास 195० से लागू करने के लिए हिमायती दें।
इस अवसर पर परिषद के जिलाध्यक्ष सुरेश कुमार ने कहा कि उत्तराखण्ड आन्दोलनकारियों की चिन्हीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाए व समान पेंशन पट्टा लागू किया जाये और हम लोग उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारी यह भी मांग करते हैं जो आन्दोलनकारी चिन्हीकरण से वंचित रहे गये हैं उनका चिन्हीकरण तुरन्त किया जाये और ऐसे आन्दोलनकारी जो सरकार की कमी से छूट गये हैं तथा सरकार द्वारा बनाये हुए मानक भी सही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन लोगों का चिन्हीकरण तुरन्त किया जाये। आन्दोलनकारियों को दी जा रही पेंशन एक समान की जाए व इसका पेंशन पट्टा लागू किया जाये। उन्होंने कहा कि रोडवेज कर्मचारियों का उत्पीडऩ बंद किया जाये। इस अवसर पर अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी संयुक्त परिषद्, राष्ट्रीय उत्तराखण्ड पार्टी, उत्तराखण्ड महिला मंच, जनवादी महिला समिति, नेताजी संघर्ष समिति, उत्तराखण्ड कर्मचारी आन्दोनलकारी संगठन, उत्तराखण्ड किसान सभा, माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, सीटू, एसएफआई, प्यूपिल्स् फोरम, दिशा सामाजिक संस्था, यूकेडी, विभिन्न जन संगठन, राजनैतिक दल एवं सामाजिक संगठनों ने समर्थन दिया।
इस अवसर पर धरना प्रदर्शन करने वालों में परिषद के संरक्षक नवनीत गुसाईं, अध्यक्ष विपुल नौटियाल, पूर्व अध्यक्ष गणेश डंगवाल, जिलाध्यक्ष सुरेश कुमार, प्रवक्ता चिन्तन सकलानी, अनुराग भट्ट, जगमोहन रावत, प्रभात डण्डरियाल, रामपाल, अमित पंवार, धर्मानन्द भट्ट, सुशील विरमानी, निर्मला बिष्ट, पुष्पलता सिरमाना, बालेश भवानिया, प्रेम सिंह नेगी, सुनील जुयाल, सत्या पोखरियाल, पार्वती राठौड़, मधु डबराल, प्रवीन गुसाईं, कमला देवी, प्रमोद मन्द्रवाल, सुलोचना गुसाईं, इन्दू नौडियाल, अनन्त आकाश, लेखराज, राजेन्द्र पुरोहित, प्रभा नैथानी, शकुन्तला देवी, जबर सिंह पावेल, सुमित थापा, राजेन्द्र थापा, संगीता रावत, आरती राणा, विजय प्रताप मल्ल, आशीष उनियाल, बृजेश नवानी, देवेश्वरी रावत, राजकुमार जायसवाल, विशाल बिष्ट, कल्पेश्वरी नेगी, शान्ति बुटोला, पुष्पलता, अनिता रावत, पुष्पा नेगी, विरेन्द्र पोखरियाल, महेन्द्र गुसाईं, अनिता रावत, अनिता कोरी, दुर्गा ध्यानी, मुकेश मोगा, अभय कुकरेती, रविन्द्र कुमार प्रधान, सतीश धोलाखण्डी, प्रमिला रावत, मुन्नी खंडूरी, भूपेन्द्र सिंह नेगी, राकेश भट्ट, विशम्भर दत्त बौंडियाल, लोक बहादुर थापा, बीना देवी, इन्दू देवी, कमलेश थापा, पार्वती रतूड़ी, मुकेश, कमलेश, जमुना देवी, चन्द्रा सुन्दरियाल, बैशाखी, धर्मानन्द भट्ट, लीला बोहरा, सुभाष शाह, संगीता रावत पारूल, वेदानन्द कोठारी आदि शामिल रहे।

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