मेहनतकश अभ्यर्थियों के लिए देवदूत बने धामी

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अदम्य साहस से पुष्कर ने तोड़ी नकल की कमर
नकलरोधी कानून बनाकर देश भर में मनवाया लोहा
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उस परिक्षार्थी के दिल पर क्या गुजरती होगी जब उसे पता चलता होगा कि जिस प्रतियोगिता के लिए वह दिन रात परिश्रम कर रहा है, वह परीक्षा अपरिहार्य कारणों से रद्द हो गई है। कुछ ऐसा ही हाल उन परिक्षार्थियों का भी होता है, जिन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता के बल पर किसी बड़ी प्रतियोगिता की परीक्षा दी हो और उस परीक्षा के परिणाम आने से पूर्व उन्हें यह ज्ञात हो कि उस परीक्षा में कुछ शरारती तत्वों ने नकल का सहारा लिया है, और इस कारण से शासन ने उस परीक्षा को कथित रूप से अवैध करार कर दिया हो। परीक्षा में नकल करने की परंपरा कोई नई नहीं है बल्कि यह तो सिस्टम में सदियों से व्याप्त है। इसी गलत परंपरा के चलते ही अनगिनत मेहनतकश अभ्यार्थियों को अपने असली हक से पिछले लंबे समय से वंचित होना पड़ा है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि समाज का आईना कहे जाने वाली फिल्में में से भी कुछ में नकल का कथित रूप से साकारात्मक पहलू ही दिखाया जाता है, फिर चाहे वह ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ हो या ‘जॉनी एलएलबी-2’। हालांकि, हाल ही में एक फिल्म ‘12वीं फेल’ ऐसी भी नजर आई जिसने यह सबक दिया है कि नकल(चीटिंग) से प्राप्त की हुई सफलता आपको जीवन में सफल नहीं बना सकती। यह बात तो सच है कि नकल करने की प्रेरणा हमारे युवाओं को भीतर से खोखला कर रही है और उनकी बौद्धिक क्षमता का नाश कर रही है। नकल के दुश्प्रभाव की मारक क्षमता को संजीदगी से लेते हुए उत्तराखण्ड सरकार के मुखिया ने इसके खिलाफ कठोर कदम उठाएं है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में नकलरोधी कानून लाकर पूरे देश के सामने एक नजीर पेश की है। इस क्षेत्र में देश का सबसे सख्त कानून बनाकर सीएम पुष्कर ने नकल की कमर ही तोड़ दी है। धामी की इस पहल ने उन्हें मेहनतकश अभ्यर्थियों के लिए देवदूत बना दिया है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड राज्य में भर्ती परिक्षाओं में गड़बड़ी के मामलों में पिछले लंबे समय से लगातार बढ़ौतरी देखने को मिल रही थी। बात इतिहास की करें तो पूर्व में हुई दरोगा भर्ती परीक्षा से लेकर यूकेएसएसएसी की परीक्षाओं तक कई प्रकार की अनियमित्ताएं और गड़बड़ी देखने को मिलती रही थी। परीक्षाओं में हो रही इन गड़बड़ियों के चलते राज्य की छवि भी धूमित होती हुई नजर आ रही तो चर्चाओं में उत्तराखण्ड राज्य की तुलना उन राज्यों से होने लगी थी, जो राज्य ऐसे गड़बड़ियों के लिए विख्यात रहे हैं? परीक्षाओं में हो रही गड़बड़ियों की सूचनाओं को सुनकर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह प्रण लिया कि वह इस समस्या को जड़ से ही मिटाकर दम लेंगें और यही कारण है कि वह उत्तराखण्ड में एक मजबूत नकलरोधी कानून लेकर आए जोकि देश का सबसे सख्त नकलरोधी कानून है। परीक्षाओं में पेपर लीक, नकल कराने के अनुचित साधनों का उपयोग करने वालो पर इस कानून के तहत कड़ी सजा का प्रवाधान है। बताते चलें कि विभिन्न परीक्षाओं की विवेचना में यह बात प्रकाश में आई हैं कि परीक्षा एजिंसियों के कर्मचारियों की ही मिली भगत से नकल माफिया अपने काले कारनामों में सफल होते आए हैं। ऐसे कर्मचारियों और नकल माफियाओं को सबक सिखाने के लिए सरकार ने एसआईटी का गठन किया हुआ है और एसआईटी ने कई आरोपियों को सलाखों के पीछे भी भेजा दिया है। पेपर लीक, नकल जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए ही पुष्कर सिंह धामी सरकार सख्त नकलरोधी कानून लेकर आई है, जिसमें नकल कराने और अनुचित साधनों के प्रयोग में लिप्त पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रवाधान है और करोड़ों रुपए के जुर्माने का भी प्रवाधान है। इसके साथ साथ आरोपितों की संपत्ति जब्त करने की व्यवस्था भी इस कानून में की गई है।
धामी सरकार के इस कानून से उन सभी अभ्यार्थियों के चेहरे खिले हुए है जोकि दिन रात कड़ी मेहनत करके प्रतियोगिता की तैयारी यह सोचकर करते है कि एक न एक दिन उनकी मेहनत रंग लाएगी। नकलरोधी कानून लाकर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने केवल नकल की कमर तोड़ी है बल्कि वह कई मेहनतकश प्रतियोगियों के लिए देवदूत बनकर सामने आए हैं।

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