देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड में भाजपा की पूर्व सरकारों में अकसर सरकार और संगठन के बीच तालमेल को लेकर छत्तीस का आंकडा देखने को मिलता था और इसकी गूंज अकसर दिल्ली भाजपा हाईकमान के सामने भी खूब गूंजती थी? एक्स सीएम भुवन चंद खण्डूरी, रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेन्द्र रावत के शासनकाल में कई बार सरकार और संगठन अलग-अलग नाव में सवार होते हुए दिखाई देते थे जिसका संदेश राज्य की जनता के सामने सही नहीं जाता था? हालांकि जबसे राज्य की कमान युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संभाली है तबसे सरकार और संगठन एक नाव में ही सवार होकर राज्यहित में काम करते हुए दिखाई दे रहे हैं। पुष्कर के ढाई साल के कार्यकाल में कभी भी सरकार और संगठन के किसी भी राजनेता ने किसी भी बात को लेकर ‘कोप भवनÓ की ओर अपने कदम आगे नहीं बढाये और दो दिन पूर्व जब भाजपा विधायक और वन मंत्री के बीच एक विवाद ने जन्म लिया तो इस मामले की हवा दिल्ली भाजपा हाईकमान तक न पहुंच पाये इसको लेकर मुख्यमंत्री ने परिवार का मुखिया बनकर मंत्री और विधायक को आमने-सामने बिठाकर बेवजह तूल पकड रहे मामले को शांत कराकर विवाद का अंत कर दिया। मुख्यमंत्री के इस कदम से यह बात साफ हो गई है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार ही नहीं संगठन के लिए भी कारगर हैं। उल्लेखनीय है कि दो दिन पूर्व पुरोला से भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल ने वन मंत्री सुबोध उनियाल पर आरोप का अम्बार लगाकर भाजपा के अन्दर एक बडी खलबली मचा दी थी। बताया गया कि उत्तरकाशी के दो डीएफओ को हटाने की मांग को लेकर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल के बीच तीखी बहस हो गई थी। यहां तक बात सामने आई कि जिस कागज पर वन मंत्री ने जांच के आदेश दिये थे विधायक ने मंत्री के सामने ही वह कागज फाड कर हवा में उछाल दिया था? इसके बाद विधायक मंत्री के आवास पर ही धरने पर बैठ गये थे और यह मामला राज्य के गलियारों में जब तेजी के साथ गूंजने लगा तो मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट के सामने यह विवाद आया। इस मामले का अंत करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने मोर्चा संभाला और दिल्ली तक इस विवाद की गूंज न पहुंचे उसको लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वन मंत्री सुबोध उनियाल और भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल को आमने-सामने बिठाया और उसके बाद उन्होंने परिवार के मुखिया का रोल अदा करते हुए दोनो पार्टी नेताओं के विवाद का सुखद रूप में अंत करा दिया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिस अंदाज से मंत्री और विधायक का विवाद मात्र कुछ समय के भीतर ही हवा-हवाई कर दिया उससे राज्यभर में यह संदेश चला गया कि मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी सरकार ही नहीं बल्कि संगठन में भी कामगार हैं और वह सरकार और संगठन को एक साथ लेकर चलने में ही विश्वास रख रहे हैं जिससे उत्तराखण्ड के अन्दर यह संदेश दिया जाये कि सरकार और संगठन राज्य को नई ऊचाई पर ले जाने के लिए ही काम करने में विश्वास रख रहे हैं। मंत्री व विधायक के विवाद का अंत होने के बाद विधायक ने बगावत के सुर त्यागकर सुबोध उनियाल को पिता तुल्य बताते हुए अपने व्यवहार पर खेद जताया और यहां तक कह दिया कि यह पारिवारिक मामला था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यही विजन है कि वह उत्तराखण्ड के अन्दर स्वच्छ राजनीति के एजेंडे पर आगे रहे और सरकार और संगठन का एक मात्र विजन रहे कि 2०25 तक उत्तराखण्ड को आदर्श राज्य बनाना है।