देहरादून(प्रमुख संवाददाता)। उत्तराखण्ड में वर्षों से देखने में आ रहा था कि काफी कोतवाली और थाने में अनुभवी निरीक्षक और दरोगा को कमान नहीं मिल जाती थी जिससे ऐसे निरीक्षकों और दरोगाओं की कार्य क्षमता के साथ-साथ उनके मनोबल पर भी प्रतिकूल प्रभाव पडता है लेकिन उनकी इस पीडा को कभी भी किसी पूर्व डीजीपी ने महसूस नहीं किया लेकिन अब राज्य में नये डीजीपी की तैनाती के बाद पुराने ढर्रे पर ‘हंटरÓ चलने लगा है और इसी के चलते अब अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून ने सभी जिलों के पुलिस कप्तानों और रेलवेस के पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर उन्हें उत्तराखण्ड पुलिस अधिनियम में उल्लेखित प्रावधानों का पालन करने का निर्देश दिया है।
अपर पुलिस महानिदेशक एपी अंशुमान ने पत्र में कहा है कि देखने में आ रहा है कि कतिपय जनपदों के थाना प्रभारियों की नियुक्ति के दौरान वरिष्ठता एवं उत्तराखण्ड पुलिस अधिनियम में उल्लेखित प्राविधानों को नजर अंदाज किया जा रहा है, जिससे योग्य एवं अनुभवी निरीक्षक, उप निरीक्षकों की कार्य क्षमता के साथ-साथ उनके मनोबल पर भी प्रतिकूल प्रभाव पडता है। कप्तानों को लिखे पत्र में आदेशित किया गया है कि भविष्य में वे अपने-अपने जनपदों में थाना प्रभारियों के नियुक्ति के समय निरीक्षक-उप निरीक्षक की वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए तथा उत्तराखण्ड पुलिस अधिनियम में उल्लेखित प्राविधानों का पालन करें।