प्रमुख संवाददाता
देहरादून। आज उत्तराखंड तेईस वर्ष का नौजवान युवा हो गया है। राज्य की वर्षगांठ पर प्रदेशभर में कार्यकर्म किए जा दे हैं। अब इस युवा राज्य की कमान युवा ही मुख्यमंत्री के हाथ में हैं। कभी पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम आए इसी अवधारणा के साथ लंबे समय तक अहिंसा के मार्ग पर चलकर एक निर्णायक आंदोलन खड़ा हुआ और आज ही के दिन 9 नवंबर सन् 2000 में पहाड़ के लोगो को अपना पृथक राज्य मिला। जिसका पहले नाम उत्तरांचल रखा गया और उसके बाद प्रथम निर्वाचित कांग्रेस सरकार द्वारा नाम बदलकर उत्तराखंड रख दिया गया। राज्य निर्माण के उद्देश्यों के लिए भाजपा एवं कांग्रेस दोनों सरकारों ने बड़े बड़े दावे और वादे किए । दोनों दलों की सरकार ने बराबर अपने कार्यकाल तो पूरे किए लेकिन प्रथम मुख्यमंत्री नारायण दत्त पार्टी को छोड़ दें तो कोई मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नही कर पाया। राज्य अपनी मूल अवधारणा से भी हटता जा रहा था। उसके बाद वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जिम्मेदारी सौंप भाजपा ने सभी को चौंका दिया। धामी केवल दो बार के विधायक ही थे । सरकार संचालन का शून्य अनुभव वाले व्यक्ति को जिम्मेदारी मिलना किसी बड़े आश्चर्य से कम नहीं था। सभी लोग भौचक्के थे की भाजपा हाईकमान ने यह कैसा फैसला लिया और राज्य के प्रति उनकी गंभीरता नही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का चयन भले ही चौंकाने वाला हो लेकिन उन्होंने कुर्सी संभलते ही अफसरशाही को झटका दिया और मुख्य सचिव ओमप्रकाश की छुट्टी कराने में देर नहीं लगाई। उसके बाद तो मानों धामी उत्तराखंड के तेंदुलकर बन गए हो। एक के बाद एक राज्य हित में बड़े फैसले किए। चुनाव सर पर था उसके बाद भी धामी जमकर प्रदेशभर में दौड़े और अपना चुनाव हारने के बाद भी राज्य की परंपरा को तोड़ते हुए पुनः भाजपा को सत्ता दिलवाने में कामयाब हो गए। इस बात का इनाम देने में भाजपा हाईकमान ने देर नही लगाई और पुष्कर सिंह धामी को एक बार फिर बागडोर दे दी गई। अब तो धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवम् राज्यवासियों के विश्वास को जीतने के लिए कमर कस ली है । राज्य की सबसे बड़ी समस्या पलायन को रोकने की लिए सारा ध्यान केंद्रित किया हुआ है। राज्य में तीर्थाटन, पर्यटन कसे बड़े, उद्योग कैसे स्थापित हो, राज्य का युवा स्वावलंबी कैसे बने इन सभी विषयों पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का जोर है। 8 – 9 दिसंबर को होने वाले इन्वेस्टर समिट को लेकर अभी तक एक लाख चौबीस हजार करोड़ का एमओयू साइन हो चुके हैं। उद्योगपतियों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न देशों तथा राज्यों का तो दौरा कर ही रहे हैं। फिल्म जगत के लिए अपार संभावनाएं होने के चलते राज्य की ओर फिल्म जगत का आकर्षण कैसे बड़े , राज्य की प्रतिभाओं तथा निवासियों को कैसे लाभ मिले इस पर ही धामी की कार्ययोजना सराहनीय है। किसानों के उत्पाद की ब्रेंडिंग राज्य से बाहर कैसे आकर्षित बने इस पर भी धामी का रोडमैप सबसे प्रभावशाली है। उन्नत खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि तो कृषि यंत्रों की खरीद पर छूट जैसे कार्य किए जा रहे हैं। राज्य में कैसे प्रवासी उत्तराखंडियों को राज्य के प्रति जोड़ने के लिए बकायदा प्रवासी आयोग स्थापित किया जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में राज्य शिक्षा हब बन चुका है यह धामी का ही स्कारात्मक भविष्य खोज की योजना का हिस्सा है। पुष्कर सिंह धामी की सोच उन सभी उद्देश्यों को पूरा करने की है जिन उद्देश्यों के साथ राज्य का निर्माण हुआ था। धामी वादों से आगे निकलकर इरादे बताने में कामयाब होते दिख रहे है।