देहरादून(नगर संवाददाता)। आंदोलनकारियों की चिन्हीकरण की प्रक्रिया पूरी किये जाने, एक समान पेंशन पट्टा व पेंशन वृद्धि किये जाने, मूल निवास 195० से लागू करने व हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर राज्य में धारा 371 लागू किये जाने की मांग को लेकर उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद से जुड़े हुए आंदोलनकारियों, राजनैतिक दलों एवं संगठनों ने राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी के बीच प्रदर्शन करते हुए सचिवालय कूच किया और जैसे ही सुभाष रोड पर रैली के रूप में पहुंचे तो पुलिस ने बैरीकैडिंग लगाकर सभी को रोक लिया और इस बीच प्रदर्शनकारियों व पुलिस के बीच तीखी नोंकझोंक हुई और बाद में धक्का मुक्की करने के बाद सभी वहीं धरने पर बैठ गये।
यहां उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद के बैनर तले आंदोलनकारी, राजनैतिक दलों एवं संगठनों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता परेड ग्राउंड में इकटठा हुए और वहां से चार सूत्रीय मांगों के समाधान को लेकर सचिवालय कूच किया और जैसे ही सुभाष रोड पर रैली के रूप में पहुंचे तो पुलिस ने बैरीकैडिंग लगाकर सभी को रोक लिया और इस बीच प्रदर्शनकारियों व पुलिस के बीच तीखी नोंकझोंक हुई और बाद में धक्का मुक्की करने के बाद सभी वहीं धरने पर बैठ गये। इस अवसर पर आंदोलनकारियों ने कहा कि लगातार संघर्ष करने के बावजूद भी समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है जिससे आंदोलनकारियों में रोष बना हुआ है।
इस अवसर पर प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया। इस अवसर पर ज्ञापन में कहा गया कि आज राज्य को बने हुए लगभग 23 वर्ष होने को हैं उत्तराखंड के लोग वह आंदोलनकारी आज भी स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और राज्य गठन के बाद कुछ मु_ी भर भू माफिया शराब माफिया नकल माफिया खनन माफिया ऑन आदि ने एक गिरोह संगठन बनाकर उत्तराखंड राज्य का बे हिसाब दोहन किया है तथा खनिज संसाधनों पर अपना कब्जा कर लिया है और स्वयं को रुपए का मुनाफा प्राप्त किया है। ज्ञापन में कहा गया कि इससे उत्तराखंड राज्य के युवा महिला सहित आम जनता अपने को ठगा हुआ उपेक्षित महसूस कर रही है तथा एक बड़ा प्रश्न वाचक बन गया है कि यह राज्य आम उत्तराखंड के नागरिकों के मूलभूत विकास हेतु बना या भू माफियाओं के निजी विकास के लिए बनाया गया इन राष्ट्रीय दलों ने उत्तराखंड राज्य को मुख्यमंत्री की प्रयोगशाला बना रखा है और सरकार व मुख्यमंत्री से उत्तराखंड आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण शीघ्र पूरा हो तथा जिसमें छूटे हुए आंदोलनकारी का चिहिकरण शीघ्र किया जाए।
ज्ञापन में कहा गया कि उत्तराखंड आंदोलन में बहुत से सक्रिय रहे आंदोलनकारी चिन्हीकरण की प्रक्रिया से छूट गए हैं उनके चिन्हीकरण सरकार शीघ्र कराऐ क्योंकि बहुत से आंदोलनकारी साथी अपनी उम्र पूरी करते जा रहे हैं उनका चिन्हीकरण कारण समय से कर दिया जाए ताकि वहां सरकार की योजनाओं का लाभ उठा सके और पेंशन पट्टा सभी आंदोलनकारियों को समान पेंशन 15 हजार तथा पेंशन पट्टा प्रदान किया जाए सभी आंदोलनकारी को एक समान पेंशन दी जाए। ज्ञापन में कहा गया कि हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर धारा 371 उत्तराखंड राज्य में लागू की जाए और उत्तराखंड के लिए एक सशक्त भू कानून जल्द से जल्द बनाया जाए तथा इस भू कानून को शक्ति से लागू किया जाए तथा यहां के मूल निवासियों को स्वरोजगार हेतु सरकार द्वारा प्रशिक्षित किया जाए।
ज्ञापन में कहा गया कि आसान किश्तों में ग्रामीण अंचल में रोजगार सरजीत करने पर ऋण उपलब्ध कराया जाए और रोजगार सृजित करने वाले को सब्सिडी दी जाए जिससे राज्य में ग्रामीण अंचलों से पलायन को रोका जा सके और मूल निवास 195० से लागू किया जाये और आंदोलनकारी सरकार से एवं मुख्यमंत्री से मांग करते हैं की मूल निवास वर्ष 195० के आधार पर लागू किया जाए जो उच्चतम न्यायालय की गाइड लाइन के अनुसार है और 15 साल का अस्थाई निवास प्रमाण पत्र व्यवस्था अवैध है जिसे तुरंत समाप्त किये जाने की मांग की गई। इस अवसर पर सचिवालय कूच करने व ज्ञापन देने वालों में उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद के संरक्षक नवनीत गोसाई, प्रदेश अध्यक्ष विपुल नौटियाल, जिला अध्यक्ष सुरेश कुमार, पूर्व अध्यक्ष गणेश डंगवाल, अनुराग भट्ट, जगमोहन रावत, प्रभात डंडरियाल, एल रामपाल, अमित पवार, अनुराग भट्ट धर्मानंद भट्ट सुशील विरमानी महिला मंच से कमला पंत, निर्मला बिष्ट मुन्नी खंडूरी, पुष्प लता सिल्माना, जितेंद्र चौहान, बलेश बवानिया, प्रेम सिंह नेगी सुनील जुयाल, लोक बहादुर थापा सत्य पोखरियाल, पार्वती राठौड़, मधु डबराल प्रवीण गोसाई, कमला देवी, रेनू नेगी, प्रमोद मंद्रवाल, बॉबी पवार विशंभर दत्त बौंठियाल, मोहित डिमरी, चिंतन सकलानी, सुलोचना गोसाइ, इंदू नौडियाल अनंत आकाश व लेखराज, मोहन खत्री, राजेंद्र पुरोहित, लाखन सिंह चीलवाल नवीन नैथानी, शकुंतला देवी प्रमिला रावत, जबर सिंह पावेल, सुमित थापा, राजेंद्र थापा, लोक बहादुर थापा, संगीता रावत, आरती राणा बृजेश नवानी आशीष उनियाल, देवेश्वरी रावत, संगीता रावत, राजकुमार जायसवाल, विशाल बिष्ट अनीता रावत, सुभागा देवी फरस्वाण के साथ ही विभिन्न दलों व संगठनों के पदाधिकारी शामिल रहे।