पूरी तरह से भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है ऋषिकेश एम्स

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देहरादून(संवाददाता)। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने प्रदेश के सरकारी संस्थानों एवं विभिन्न विभागों में बढ़ते भ्रष्टाचार पर चिन्ता प्रकट करते हुए कहा है कि जिस प्रकार एम्स ऋषिकेश में गुजरात के गांधीनगर बेस राजदीप इंटरप्राइस को मानव संसाधन की जिम्मेदारी सौंपी गई है वह सरकारी संस्थाओं में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का जीता जागता उदाहरण है। उन्हांने कहा कि आज विश्व स्तरीय चिकित्सा संस्थान ऋषिकेश स्थित एम्स पूरी तरह से भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है। उन्होंने कहा कि तीन साल से यहां पर सीबीआई जांच चल रही है जो आज तक पूरी नहीं हुई है और विपक्ष के नेताओं को ईडी व सीबीआई के नाम पर लगातार प्रताडि़त किया जा रहा है। यहां कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि सीबीआई से जांच के आदेश भी उच्च न्यायालय को देने पड़े हैं। कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि ऋषिकेश स्थित एम्स चिकत्सालय में अब तक हुए इन सभी भ्रष्टाचारों की सीबीआई द्वारा की गई जांच सार्वजनिक की जाय तथा नये मामलों क उच्च न्यायालय के सिटिंग जज की निगरानी में सीबीआई जांच कराते हुए भ्रष्टाचार में संलिप्त लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाये।
उन्होंने कहा कि गुजरात बेस राजदीप इंटरप्राइस नामक जिस कम्पनी को ऋषिकेश जैसे विश्व स्तरीय चिकित्सा संस्थान में मानव संसाधन विभाग का मुख्य काम सौंपा गया है यह न्यायालय के आदेश पर तीन प्रमुख राज्य क्रमश: गुजरात, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में ब्लैक लिस्टेड है। उन्होंने कहा कि अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन द्वारा संचालित टड हॉस्पिटल में पैसों की अनियमितता तथा नर्सिंग स्टॉफ की तनख्वाह में की गई हेराफेरी के चलते उच्च न्यायालय द्वारा इस फर्म को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद इस फार्म को एम्स जैसे चिकित्सा संस्थान में बड़ी जिम्मेदारी दी गई जहां पर कम्पनी ने आते ही अपना रंग दिखाना शुरू भी कर दिया जब नर्सिंग स्टॉफ के 12०० पदों में से 6०० पदों पर केवल राजस्थान के लोगों को भर दिया गया इसमें भी एक ही परिवार के छह लोगों को रोजगार दे दिया गया। उन्होंने कहा कि यह न केवल भ्रष्टाचार की बानगी है अपितु उत्तराखण्ड राज्य के प्रशिक्षित बेरोजगार नौजवानों के साथ भी नारी छलावा है। उन्होंने कहा कि एम्स के अधिशासी अभियंता, जो कि संस्थान के निदेशक के रिश्तेदार बताये जा रहे हैं. द्वारा रंग रोगन के नाम पर ठेकेदार से मोटी रकम की मांग का ऑडियो सार्वजनिक हो चुका है परन्तु अभी तक सरकार द्वारा न तो इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और न ही ठेकेदार के खिलाफ ही कार्रवाई की जा रही है जिसके चलते इन भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद है।
उन्होंने कहा कि आज विश्व स्तरीय चिकित्सा संस्थान ऋषिकेश स्थित एम्स पूरी तरह से भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी एम्स में बेसल सीलिंग उपकरणों की खरीद में भारी वित्तीय अनियमितता के चलते अपराध निरोधक शाखा में मुकदमा दर्ज किया गया था तथा सीबीआई अपराध निरोधक शाखा द्वारा इसकी जांच भी की गई थी परन्तु उसकी जांच कहां तक पहुंची किसी को पता नहीं है। यही नहीं 2०18 में एम्स में कंकाल और हड्डियों की खरीद तथा मेडिकल उपकरणों की खरीद में भी भारी घोटाले के चलते संस्थान को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया इसकी जाब भी सीबीआई द्वारा की गई परन्तु उसकी जांच का भी अता-पता नहीं है। उन्होंने कहा कि एम्स में एमआरआई मशीन खरीद घोटाला खुलने के उपरान्त खराब एमआरआई मशीनो से की गई टेस्टिंग की रिपोर्ट मरीजों के परिजनों को नहीं दी जा रही है जिसकी उच्च स्तरीय जांच नितांत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एम्स में उपकरण खरीद घोटाले की सनवीर कौर को लिखे गये पत्र को मी सीबीआई जांच से हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार खराब मेडिकल मेडिकल उपकरणों की खरीद में न केवल भारी घोटाले का अंजाम दिया गया बल्कि राज्य के लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ किया जा रहा है जिसके लिए केन्द्र व राज्य सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि जिस एनएसईआईटी एजेंसी को एम्स में परीक्षा कराने का जिम्मा दिया गया है उस एजेंसी द्वारा प्रश्नपत्रों में डुप्लिकेसी की जा रही है। उन्होंने कहा कि यही नहीं वन दरोगा भर्ती की जिम्मेदारी भी इसी एजेंसी को दी गई थी जो भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद निरस्त करनी पड़ी थी।
उन्होंने कहा कि एम्स मे आउट सोर्स के माध्यम से पिछले 1० वर्ष से 1० से 12 हजार रूपये प्रतिमाह के वेतन पर रखे गये 5०० सुरक्षा कर्मचारियों को हटाकर 25 से 3० हजार रूपये प्रतिमाह के वेतन पर कुछ कर्मचारी रखे गये हैं इसके विपरीत वित्त परामर्श दाता द्वारा संस्थान में कार्यरत अन्य कर्मचारियों के वेतन बढ़ाने से मना कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि एम्स के निष्कासित कर्मचारी संघ के अध्यक्ष दीपक द्वारा एम्स प्रशासन पर नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए नियुक्त होने वाले संभावित लोगों की एक सूची जारी करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को शिकायत की गई थी जो सही साबित हुई तथा इस सूची में इंगित नामों में से 25 प्रतिशत कर्मचारी चयनित किये गये इसके बावजूद एम्स प्रशासन द्वारा धांधली की जांच करने के बजाय इन कर्मचारियों को पदोन्नति दे दी गई। उन्होंने कहा कि राज्य के चिकित्सा विभाग द्वारा भारी भ्रष्टाचार को अंजाम देते हुए दून मेडिकल कॉलेज, श्रीनगर मेडिकल कालेज एवं हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज की लैबों को अनुभवहीन निजी संस्थानों को दिया जा रहा है तथा अन्य चिकित्सालयों में भी इसी प्रकार की तैयारी की जा रही है।
उन्होंने कहा कि निजी संस्थानों द्वारा सरकारी चिकित्सालयों में स्थापित मशीनरी, लैब्स एवं कर्मचारियों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है तथा टेस्ट के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है जो कि प्रदेश की गरीब जनता के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार में जीरो टॉलिरेंस का राग अलापने वाली सरकार में जिस प्रकार विभिन्न विभागों में एक के बाद एक भ्रष्टाचार के मामले खुल रहे हैं उससे सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की पोल खुल गई है। यह भी विचारणीय है कि विपक्षी दल के नेताओं के खिलाफ जिस प्रकार सीबीआई द्वारा तुरंत गिरफ्तारी की कार्रवाई की जा रही है परन्तु पिछले तीन वर्ष से एम्स घोटालों की जांच के उपरान्त एक भी अधिकारी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है तथा हाल ही में उद्यान विभाग में हुए भारी भ्रष्टाचार हुआ है और न्यायालय को सीबीआई जांच के आदेश देने पडे और उन्हें शंका है कि इस मामले में सीबीआई दो कदम भी आगे नहीं बढ़ पायेगी।

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