सीएम साहबः राशन किट घोटाले की करायें सीबीआई जांच

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विकासनगर(संवाददाता)। उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार और घोटाले किस चरम सीमा पर पूर्व सरकारों के कार्यकाल में देखने को मिलते थे यह किसी से छिपा नहीं है और उसी के चलते राज्यवासियों के मन में चंद पूर्व सरकारों को लेकर बडी नाराजगी देखने को मिलती थी कि वह भ्रष्टाचार और घोटालेबाजों पर नकेल लगाने के लिए कभी आगे आने के लिए क्यों तैयार नहीं हुये। कांग्रेस व भाजपा शासनकाल में घोटाले और भ्रष्टाचार का खुलकर तांडव होता रहा और राज्य की जनता बेबस होकर कुछ सफेदपोशों और राजनेताओं द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार और घोटालों पर अपनी सलामती के लिए खामोश रहने पर मजबूर होती थी? उत्तराखण्ड की कमान जबसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संभाली है तबसे भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों पर नकेल लगाने का मिशन शुरू हुआ है लेकिन आज भी राज्य के अन्दर काफी बडे भ्रष्टाचार और घोटाले शासन की फाइलों में कैद हैं और इन फाइलों को कब आजादी मिलेगी यह तो आने वाला समय ही बतायेगा लेकिन राज्य के अन्दर कद्दावर नेता माने जाने वाले कांग्रेसी नेता हरक सिंह रावत पर रधुनाथ सिंह नेगी ने काफी बडा आरोप लगाकर साफ कहा है कि जब कोरोना काल में इंसान एक-एक सांस के लिए जीवन की भीख मांग रहा था और वह भूख से कराह रहे थे तब हरक सिंह रावत ने राशन किट घोटाला करके राज्य की जनता को संकट में डालने का काम किया था और अब इस घोटाले का राज बेनकाब करने के लिए रधुनाथ सिंह नेगी मुख्यमंत्री से राशन किट घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की एक बार फिर मांग उठाकर लोकसभा चुनाव से पहले राजनीति में एक बडा भूचाल लाकर खडा कर दिया है और अब इस घोटाले की जांच मुख्यमंत्री सीबीआई से करायेंगे या नहीं इस पर अब आने वाले समय में एक नया संग्राम मचता हुआ जरूर दिखाई देगा?
जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि वर्ष 2०2० में श्रम मंत्री हरक सिंह रावत की सरपरस्ती में कोरोना काल के दौरान, जब लोग जिंदगी और मौत से जूझ रहे थे उस समय हरक सिंह एंड कंपनी अपनी कमाई करने के उद्देश्य को अंजाम देने में लगी थी। उस वक्त कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा पंजीकृत श्रमिकों हेतु ढाई लाख राशन किट्स खरीदने हेतु टेंडर जारी किया, लेकिन बाद में 75००० राशन किट्स पंजीकृत श्रमिकों हेतु और खरीदने का दावा किया गया। ये 2.5 लाख एवं 75००० किट्स किसको बांटी गई, यह शायद कर्मकार बोर्ड को भी मालूम नहीं है और न ही विभाग को यह पता है कि ये किट्स किस वाहन से आई ! वास्तविकता तो यह है कि लगभग 5०-6० फीसदी श्रमिकों को ही किट्स बांटी गई। कर्मकार बोर्ड द्वारा ठेका अपनी चेहती कंपनी आईटीआई लिमिटेड को लगभग 988 प्रति किट के हिसाब से स्वीकृत किया गया, जिसमें 14 वस्तुओं का एमओयू साइन किया गया। कर्मकार बोर्ड द्वारा टेंडर के अनुसार उपलब्ध किट में चावल 3 किग्रा, दाल 1 किग्रा, भुना चना 5०० ग्राम, साबुन दो व मसाला 2०० ग्राम दर्शाया गया, जबकि आपूर्तिकर्ता कंपनी आईटीआई लिमिटेड द्वारा चावल 5 किग्रा, दाल 2 किग्रा, साबुन 4, भुना चना एक किग्रा एवं मसाला 25० ग्राम की आपूर्ति की गई, दर्शाया गया है। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर खरीद एवं वितरण में काफी भिन्नता है। किट्स में सामान की मात्रा कम थी एवं गुणवत्ता भी निम्न स्तर की थी। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि इस प्रकरण की खरीद एवं वितरण की सीबीआई जांच करा कर श्रमिकों को न्याय दिलाएं।

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