देहरादून(संवाददाता)़। उत्तराखण्ड में वर्षों से आवाम की सेहत के साथ नकली दवाईयां बनाने वाले माफिया बडा खिलवाड करते रहे लेकिन उन पर एक्शन करने की दिशा में चंद पूर्व सरकारें और सिस्टम के लोग आगे आने से हमेशा कतराते रहे लेकिन जबसे राज्य की कमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संभाली है तबसे उन्होंने हर फिल्ड के माफियाओं पर शिकंजा कसना शुरू कर रखा है। अपराध और जमीन माफियाओं को तो मुख्यमंत्री ने सलाखों के पीछे पहुंचाने का ऑपरेशन शुरू कर रखा है वहीं राज्य के अन्दर नकली दवाईयां बनाने वाले माफिया भी मुख्यमंत्री की रडार में फंसते हुए नजर आ रहे हैं और मुख्यमंत्री के आदेश पर जब राजधानी के पुलिस कप्तान ने नकली दवाई बनाने वाली कम्पनियों पर सर्जिकल स्ट्राइक कराई तो नकली दवाई बनाने वाले दो माफियाओं को पुलिस ने रंगे हाथों दबोच लिया और उनके पास से नकली दवाईयों का जो भंडार मिला है वह हैरान करने जैसा है क्योंकि पुलिस ने उनके कब्जे से नकली दवाईयां बनाने के उपकरण और मशीनें तो बरामद की ही साथ में दो महंगी गाडियां भी उनके कब्जे से बरामद की गई हैं। मुख्यमंत्री ने जिस तरह से नकली दवाईयां बनाने वाले माफियाओं पर बडा सर्जिकल स्ट्राइक कराया उससे साफ नजर आ रहा है कि अब राज्य के अन्दर माफियाओं का सफाया शुरू हो चुका है।
जनपद के पुलिस कप्तान अजय सिंह ने मीडिया से रूबरू होते हुए बताया कि नकली दवाईयां बनाने की फैक्ट्री के बारे में सूचना मिली और उसके बाद रूडकी मंगलौर निवासी सचिन शर्मा व रायपुर निवासी विकास को गिरफ्तार किया गया और उनकी फर्जी फैक्ट्री में नकली दवाईयां बनाने की मशीनें, नकली दवाईयां बनाने के उपकरण के साथ-साथ बडी संख्या में दवाईयां, कंपनी के खाली गत्ते की पेटियां, नकली दवाईयों के टैक्स, इनवाईस बिल, लैपटॉप, मोबाइल और काफी संख्या में नकली दवाईयां और कप्सूल बरामद हुये। पुलिस कप्तान ने बताया कि पकडे गये आरोपियों से पूछताछ करने पर उनके द्वारा बताया कि मकदूमपुर गांव पर उनकी एक फर्जी फैक्ट्री है तथा गोदावरी रूडकी स्थित फ्लैट में उनके द्वारा नकली दवाईयां व उससे सम्बन्धित सामाग्री रखी हुई है, जिसे वह मूल दवाई की कम्पनी के नाम से विभिन्न राज्यों में सप्लाई करते है । पुलिस टीम द्वारा दवाई माफियाओं की निशानदेही पर मकदुमपुर गांव निकट लकनौंता चौराहा झबरेडा हरिद्वार स्थित फैक्ट्री व अभियुक्त सचिन शर्मा के गोदावरी रूडकी हरिद्वार स्थित फ्लैट से भारी मात्रा में नकली दवाईयाँ, नकली दवाईयां बनाने के उपकरण,नकली दवाईयां बनाने के लिये कच्चा माल व अन्य सामाग्री की बरामद की गयी है व मकदूमपुर हरिद्वार में स्थित फैक्ट्री को सील किया गया । अभियुक्त गणों के द्वारा नकली दवाईयाँ की पूर्व में की गयी सप्लाई के सम्बन्ध में भी साक्ष्य संकलन की कार्यवाही की जा रही है।
पुलिस कप्तान ने बताया कि दवा माफिया सचिन शर्मा द्वारा बताया कि हम दोनो एक दूसरे को पहले से जानते है। मैं स्टेफफोर्ड लैबोरेट्री लिमिटेड भगवानपुर में सुपरवाईजर का काम करता था, जहाँ दवाईयाँ बनती है तथा विकास जगसन पाल फार्मास्यूटिकल कम्पनी में हरिद्वार में मार्केटिंग का काम करता था। उनकी कोरोना में नौकरी छूट गयी थी। हम दोनो ने प्लान बनाया कि हम लोग जैगसन पाँल कम्पनी एंव वर्लटर बूसनल कम्पनी की नकली दवाईयाँ तैयार कर मार्केट में बेच सकते है, जिससे वे लोग करोड़ो कमा सकते है। पुलिस कप्तान ने बताया कि दोनो को दवाईयाँ का कम्पनी में रह कर दवाईयों के बनाने की जानकारी हो गयी थी, कि दवाईयाँ कैसे बनती है। इससे पहले उनके द्वारा कई फर्म खोली गयी। वर्तमान में उनकेे द्वारा वर्ष दिसम्बर 2०22 से एक एस०एस० मेडिकोँज नाम से एक फर्म खोली थी, जिसका प्रोपराईटर मै हूँ, और फर्म में दोनो की पार्टनरशिप है। कप्तान ने बताया कि आरोपियों ने खुलासा किया कि इस फर्म से जितना लाभ प्राप्त होता है, उसको वे दोनो 5०-5० प्रतिशत बराबर बाँट लेते है। मै लाभ का पैसा विकास कुमार को उसके खाते में डाल देता हूँ।
आरोपियों द्वारा उक्त कम्पनी की दवाईयाँ अपनी फैक्ट्री मकदूमपुर गाँव निकट लखनौता चौराहा झबरेड़ा में बनाते है, जहाँ उनके द्वारा उक्त फैक्ट्री में दवाईयाँ बनाने के लिये मशीने रखी है और वहां हमारा कच्चा माल भी रखा है। हम लोग दवाईयाँ बनाने के लिये कच्चा माल रोलेक्स फार्मा बाम्बे की एक कम्पनी से खरीदते थे, जिसका भुगतान हमारे द्वारा आँनलाईन किया जाता था, जहां से कच्चा माल विजयलक्ष्मी ट्रांसपोर्ट से रुड़की आता है, जिसे हम रुड़की में उतारकर अपनी फैक्ट्री में ले जाते है। आरोपियों ने खुलासा किया कि उनके द्वारा कच्चे माल की डिलीवरी हफ्ते में ली जाती है। उसके बाद वहाँ मेरे व विकास के द्वारा फार्मा स्यूटिकल कम्पनी एंव अन्य कम्पनी की दवाईयाँ को उनके कम्पोजिशन के आधार पर कुछ कम मात्रा में भरकर नकली दवाईयाँ बनायी जाती है। जिसे हम अपनी एस०एस० मेडिकोज नाम की फर्म से सेल करते है। एस०एस० मेडिकोज की फर्म बनाने के लिये मैने अपने नाम पर ड्रग लाईसेन्स लिया है, जो मैने वर्ष 2०22 में बनाया था। हमारी एसएस मेडिकोज नाम की फर्म का आँफिस देहरादून में सहस्त्रधारा रोड़ में खोला है, जहाँ से हम लोग उक्त दवाईयो को दिल्ली, लखनऊ एंव कोलकाता आदि शहरो में बेचते है।
अजय सिंह ने बताया कि मार्केटिंग में होने के कारण विकास के पहले से मेडिकल डीलरों से सम्पर्क थे । जिस पर ये लोग अन्य राज्यो के मेडिकल स्टोर एंव डीलरो को अपनी फैक्ट्री में तैयार दवाईयाँ बेचते थे और हफ्ते में दवाई के 1० पेटी करीब 2०० डिब्बे तैयार कर लेते है, जिन्हे बेचकर हमारे द्वारा करोड़ो रुपये का लाभ और कई सम्पत्तियाँ भी अर्जित की गयी। आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्होंने रेंज रोवर कार भी इन्ही पैसो से ली है। इसके अतिरिक्त विकास ने रुड़की में 35 लाख रुपये का प्लाँट व 12 लाख रुपये की ज्ञप्। सोनेट कम्पनी की गाड़ी खरीदी है । इसके अतिरिक्त उषा इन्क्लेव में 5० लाख रुपये का मकान व मकदून पुर में फैक्ट्री के लिये ०4 बीघा जमीन भी ली है। जिस पर हमारा फैक्ट्री स्थापित किये जाने का विचार है । मै उक्त दवाईयों के लिये रेपर दिल्ली एंव भगवानपुर में एक व्यक्ति को प्रिन्ट करने के लिये देता हूँ, जो कि उन्हें 8०० रुपये किलो के हिसाब से रेपर प्रिंट करता था।
यहां यह उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सख्ती का ही परिणाम है कि नकली दवाईयां बनाने की फैक्ट्री चलाने वाले माफियाओं को दून पुलिस ने बेनकाब कर दिया और अब इसके सहारे वह और नकली दवाई बनाने वाले माफियाओं का नेटवर्क खंगालने में जुट गई है।