बागेश्वर उपचुनाव मंे पार्वती और बंसत होंगे आमने-सामने

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। बागेश्वर में होने वाला उपचुनाव पांच सितम्बर को होना है और इसके लिए भाजपा ने स्वर्गीय चंदनराम दास की पत्नी को टिकट देकर मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने पार्टी के किसी भी उम्मीदवार को टिकट न देकर आम आदमी पार्टी से कांग्रेस ने शामिल हुये बसंत कुमार को पार्टी प्रत्याशी बनाया है जिससे पार्टी के अन्दर एक नाराजगी पनपने लगी है कि आखिरकार जब पैनल में बसंत कुमार का नाम शामिल नहीं था तो फिर उन्हें कैसे पार्टी नेताओं ने उपचुनाव में पार्टी का उम्मीदवार बनाकर उसे चुनाव मैदान में उतार दिया है?
बागेश्वर से परिवहन मंत्री रहे स्वर्गीय चंदन रामदास की सीट खाली हो गई थी जिसके बाद इस सीट पर उपचुनाव होना है और शुरूआती दौर से ही यह पूर्ण सम्भावना थी कि चंदन रामदास की पत्नी या बेटे को भाजपा अपना उम्मीदवार बनाकर उन्हें चुनाव मैदान में उतार सकती है। वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी रहे रणजीत दास ने भाजपा का दामन थामकर कांग्रेस को एक बडा झटका दे दिया था जिसके बाद से ही कांग्रेस के पास प्रत्याशी का आभाव नजर आ रहा था। वहीं कांग्रेस नेताओं को आशा थी कि पार्टी अपने ही किसी नेता या कार्यकर्ता को चुनाव मैदान में उतारेगी लेकिन उनकी यह सोच उस समय धडाम हो गई जब कांग्रेस के चंद दिग्गज नेताओं ने आम आदमी पार्टी के नेता बसंत कुमार को कांग्रेस में शामिल कर उन्हें बागेश्वर उपचुनाव में लडने के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के इस फैसले का भले ही सडकों पर कोई विरोध न दिख रहा हो लेकिन कांग्रेस के काफी नेताओं के मन में इस बात को लेकर बडी नाराजगी है कि आखिरकार पार्टी नेताओं ने आम आदमी पार्टी के पैराशूट राजनेता को क्यों पार्टी में शामिल कर उसे बागेश्वर उपचुनाव का टिकट दिया है? भाजपा नेता आश्वस्त हैं कि इस उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी की एतिहासिक जीत निश्चित है क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जिस तरह से हर जिले का विकास कर रहे हैं उससे बागेश्वर की जनता को यह भली भांति पता है कि अगर उन्होंने अपने जनपद का विकास करना है तो उन्हें भाजपा के ही उम्मीदवार को चुनाव जीतवाना पडेगा क्योंकि राज्य में भाजपा की सरकार है? गौरतलब है कि प्रकाश पंत के निधन के बाद भाजपा ने उनकी पत्नी चंद्रापंत को पिथौरागढ़ से चुनाव मैदान में उतारा था तो वहीं मगनलाल शाह के निधन के बाद उनकी पत्नी मंजू देवी शाह को थराली से, विधायक सुरेन्द्र कुमार जीना के निधन के बाद उनके भाई महेश जीना को सल्ट से चुनाव लडवाया गया था और इन सभी उपचुनाव में भाजपा को सहानुभूति के दाम पर बडी जीत हासिल हुई थी और यह साफ है कि भाजपा एकजुट होकर इस चुनाव को लडेगी लेकिन उपचुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुये बसंत कुमार के साथ बागेश्वर के कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता उनकी जीत को सुनिश्चित करने के लिए उनके साथ खडे होंगे यह सम्भव नजर नहीं आ रहा है?

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