पुष्कर के दांवो से बेचैन दिख रही कांग्रेस!
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड भाजपा में आज तक कोई भी पूर्व मुख्यमंत्री एक बडे हौसले के साथ राज्य की जनता के बीच नया उत्तराखण्ड बनाने के लिए भले ही दिखाई न दिये हों लेकिन उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मंे चुनाव के बाद से जो हौसला दिखाई दे रहा है वह कहीं न कहीं इस बात की ओर भी इशारा कर रहा है कि अगर राज्य में भाजपा की सत्ता फिर आई तो धामी के हौसले से एक नया उत्तराखण्ड राज्यवासियों को जरूर देखने को मिलेगा? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव के बाद से ही कांग्रेस को ललकारते आ रहे हैं कि राज्य में सत्ता भाजपा की ही आयेगी और कांग्रेस के जो बडे-बडे राजनेता सरकार बनाने का सपना देख रहे हैं दस मार्च को उनका यह सपना सिर्फ सपना ही बनकर रह जायेगा? पुष्कर सिंह धामी के छह माह के कार्यकाल में पार्टी के अन्दर न तो किसी नेता ने बगावती इरादे दिखाये और न ही किसी ने इस बात का रोना रोया कि उनकी सरकार में ब्यूरोक्रेसी हावी है। धामी ने चुनाव के बाद से जिस तरह पार्टी के हर कद्दावर नेता के घर जाकर उन्हें यह संदेश दिया कि वह हमेशा उनका साथ चाहते हैं तो पार्टी के ही आधा दर्जन से अधिक उन नेताओं के पेट में मरोडे पडे हुये हैं जो वर्षों से राज्य में मुख्यमंत्री बनने की चाहत पाले हुये है और उनकी यह चाहत हमेशा एक चाहत ही बनकर रह जाती है? गजब की बात तो यह है कि पुष्कर सिंह धामी पार्टी की जीत को लेकर बार-बार विश्वास के साथ दावा कर रहे हैं वहीं पार्टी के कुछ प्रत्याशी आखिर किसके इशारे पर ढोल पीट रहे हैं कि उनके साथ भीतरघात हुआ है यह भाजपा को ही कमजोर कर रहा है? वहीं पुष्कर सिंह धामी के जीत के दांवो से कांग्रेस में एक बडी बेचैनी भी देखने को मिल रही है?
उत्तराखण्ड की जनता को उस समय एक बडा झटका लगा था जब भाजपा हाईकमान ने चुनाव से मात्र छह माह पूर्व खटीमा से दो बार के विधायक पुष्कर सिंह धामी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था। आवाम के मन में यह शंका थी कि जो विधायक आज तक मंत्री पद पर भी आसीन नहीं रहा वह कैसे राज्य की सत्ता चला पायेगा? पुष्कर ंिसह धामी ने छह माह के लिए मिली सत्ता को एक बडी चुनौती के रूप में स्वीकार किया और उन्हांेने इस कार्यकाल में अपने आपको भाजपा हाईकमान के सामने अपनी राजनीतिक योग्यता दिखाने के लिए पहले दिन से ही एक बडा संकल्प लेकर आवाम का दिल जीतने का मिशन शुरू कर दिया था। पुष्कर सिंह धामी ने सत्ता संभालते ही यह संकेत भी दे दिया था कि राज्य में किसी ने भी भ्रष्टाचार या घोटाले करने का इरादा पाला तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल में लाई जायेगी क्योंकि उनकी सरकार जनता की सरकार है और वह एक मुख्यमंत्री की तरह सत्ता नहीं बल्कि एक सेवक की तरह राज्य को चलाने के लिए आगे खडे रहंेगे। उत्तराखण्ड के इतिहास में पहली बार ऐसा देखने को मिला कि सडकों पर राज्य के मुख्यमंत्री ने गरीब से गरीब इंसान को अपने सीने से लगाया और जो वृद्ध महिलायें मुख्यमंत्री के सामने पहुंचने में भी अपने आपको असमर्थ पाती थी उन महिलाओं को दूर से देख धामी उनके पास पहुंचकर उन वृद्ध महिलाओं को सीने से लगाकर उनका दर्द पूछकर उनके आसुओं को पोछने में तिनकाभर भी देरी नहीं करते थे। पुष्कर सिंह धामी के इस बडे हौसले ने तो उत्तराखण्डवासियों के मन में भाजपा को लेकर चली आ रही एक बडी नाराजगी को भी गड्ढे में दफन कर दिया और उन्होंने एक नई सोच के साथ पुष्कर के साथ खडे होने में अपना विश्वास दिखाया? उत्तराखण्डवासियों के मन में पुष्कर सिंह धामी को लेकर कितना बडा विश्वास पैदा हो गया था इसका दृश्य विधानसभा चुनाव की रैलियों व सभाओं में भी साफ देखने को मिल गया था जहां महिलायें पुष्कर सिहं धामी की परचम जीत के लिए उन्हें खुलकर अपना आशीर्वाद देती रही। पुष्कर सिंह धामी का ही हौसला था कि उन्हांेने त्रिवेन्द्र सिंह रावत के कार्यकाल में उत्तराखण्ड के सबसे पॉवरफुल ओमप्रकाश को मुख्य सचिव पद से हटाकर स्वच्छ छवि के आईएएस अधिकारी डा.एस.एस संधू को मुख्य सचिव के पद पर तैनात कर दिया था। कांटों भरा ताज पहनकर भाजपा को फिर सत्ता मंे लाने का जज्बा पाले पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव मंे समूचे राज्य के अन्दर रात-दिन आवाम का दिल जीतने का मिशन संभाला और उन्हें इस बात का भी कहीं न कहीं इल्म था कि पार्टी के अन्दर ही कुछ नेता उनकी कुर्सी पर गिद्द जैसी नजर लगाये हुये हैं लेकिन इसके बावजूद भी न तो पुष्कर सिंह धामी भीतरघात के डर से राज्य के जिलों में पार्टी प्रत्याशियों का प्रचार करने से डरे और न ही उन्हांेने अपनी विधानसभा में डेरा डालकर रखा? पुष्कर धामी का यह हौसला ही राज्यवासियों के मन में समा गया और उन्हें इस बात का विश्वास है कि अगर राज्य में फिर भाजपा की सरकार आई तो पुष्कर सिंह धामी इस राज्य को एक नया उत्तराखण्ड दंेगे जो कि बीस साल से राज्य का कोई भी पूर्व मुख्यमंत्री राज्यवासियों को नहीं दे पाया था?