आंखे खोलो सरकार

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निजी स्कूलों की लूट से अभिभावक है परेशान
चंद्र प्रकाश बुड़ाकोटी
देहरादून। उतराखण्ड में कोरोना काल की ट्यूशन फीस के नाम पर निजी स्कूलों की लूट जारी है।अब तो कई स्कूल रिपोर्ट कार्ड टीसी देने में भी आनाकानी करने लगे है,बिभाग सरकार सब मौन। अब सवाल यह है कि अगर स्कूल लगा ही नही तो फीस किस बात की दी जाएगी ? ऑन लाइन पढ़ाई होने पर सिर्फ ट्यूशन फीस ही लिए जाने के बाबजूद क्यो पूरी फीस देने का दबाव बनाया जा रहा है? पहाड़ी प्रदेश में भी शिक्षा का बाजार लगा हुआ है और हर तरफ लूट मची है सरकार बिभाग आंख कान पर जूं नही रेंग रही। शिक्षा तो ज्ञान का माध्यम होता है,लेकिन इसके बाजारीकरण से गरीब तबके में आक्रोश बढ़ रहा है,वे हीन भावना का शिकार हो रहे है। होना तो यह था कि सरकार और स्कूलों को इस कोरोना संकट काल मे अभिभावकों से सहयोग करना चाहिए था लेकिन उल्टा हो रहा है। फीस के नाम पर लूट खसौट जारी है। गौरतलब है कि कोरोना काल मे मार्च से लेकर जुलाई तक लाक डाउन के चलते एक दिन भी स्कूल नही खुले।जुलाई के बाद कुछ स्कूलों में आनलाइन पढ़ाई शुरू हुई,जिसमे आंकड़े बताते है कि चालीस प्रतिसत ही बच्चो ने ऑनलाइन क्लास ज्वाइन की,कारण कही नेटवर्क प्रॉब्लम कही स्मार्ट फोन की दिक्कत।इस दौरान राज्य सरकार और हाई कोर्ट ने सिर्फ ट्यूशन फीस लेने की बात की थी लेकिन निजी स्कूलों ने पूरी फीस लेकर अभिभावकों को लूटना शुरू कर दिया।अब तो बात फीस न देने वाले बच्चो का रिपोर्ट कार्ड टीसी तक नही दी जा रही है।पूर्व सीएम त्रिबेन्द्र की बिधान सभा डोईवाला में माउंट लिट्रा जी स्कूल भानियावाला में गुरुवार को बहुत हंगामा हुआ।छात्रों के रिपोर्ट कार्ड इसलिए नही दिए गए कि उंन्होने कोरोना काल की फीस नही दी, मामला बढ़ता देख स्कूल प्रबंधन को बाइक फुट पर आना पड़ा। इस संबंध में नेशनल एसोसिएशन फार पेरेंट्स एंड स्टूडेंट राइट्स ने स्कूलों द्वारा फीस बृद्धि,फीस वसूली,छात्र छात्राओं का रिजल्ट रोके जाने के विरुद्ध शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम को ज्ञापन दे अभिभावकों को राहत देने व नियम के विरुद्ध अभिभावकों को परेशान करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की।

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