पुल की नाजुक हालत से ग्रामीणों में खौफ

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नये मुख्यमंत्री पर सबकी नजरें कि वह ग्रामीणों को नया पुल दें
जोशीमठ(अभिषेक अग्रवाल)। ग्रामीणों के लिए एकमात्र आवागमन के साधन पैदल पुल की हालत ठीक न होने की वजह से ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ है विकासखंड जोशीमठ के अंतर्गत आने वाले सीमांत गांव सूखी भलगाव को भौंर पाणी से जोडऩे वाला पैदल पुल धीरे-धीरे क्षीण हो रहा है जिससे ग्रामीण काफी परेशान दिखाई दे रहे हैं बता दें कि सूखी भलगाव के ग्रामीणों के पास आवागमन करने के लिए एकमात्र यही पैदल पुल है इस ही पैदल पुल पर से होकर ग्रामीण अपने रोजमर्रा के कार्य भी करते हैं एवं इस ही पुल पर से घोड़े खच्चरो पर लादकर गांव तक राशन आदि जरूरत का सामान भी पहुंचाया जाता है ग्राम प्रधान लक्ष्मण सिंह बुटोला का कहना है कि इस पुल का निर्माण लगभग 13 वर्षों पहले ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा किया गया था जिसका खर्च लगभग दो करोड़ के आसपास का था जिसके बाद 13 वर्षों में एक बार भी इस पुल की ओर ध्यान नहीं दिया गया जिस वजह से यह पुल क्षीण हो गया है पुल पर लगे नट बोल्ट गिरने की वजह से पुल कमजोर हो चुका है उनका कहना है कि यदि समय रहते इस पुल की स्थिति को ठीक नहीं किया गया तो यह पुल किसी बड़ी दुर्घटना को भी न्योता दे सकता है कहा कि ग्रामीण भी डर-कर इस पुल पर से आवागमन करने को मजबूर हैं।
गौरतलब है कि सीमांत प्रदेश उत्तराखंड में सरकारें तो कई आई और चली गई अखबारों में छपे सरकारी दावे भी रद्दी के ढेरों में बदल गए पर सीमांत की जन भावनाओं के मुद्दे की तरफ किसी का ध्यान केंद्रित नहीं हुआ। उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद भी सरकार के नुमाइंदों का ध्यान सीमांत में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे ग्रामीणों तक नहीं पहुंचा। न जाने क्यों सरकार का हर गांव को सड़क से जोडऩे का दावा भी हवा हवाई हो गया और न जाने क्यों वर्तमान की सरकार ने पिछली सरकारों के निर्माणों पर मरहम पट्टी करना जरूरी नहीं समझा। बता दे कि इस ही क्षेत्र में पिछले दिनों भयंकर भूचाल भी आया था। उस समय वर्तमान उत्तराखंड सरकार के निवर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी क्षेत्र में खूब भ्रमण कर रहे थे उन दिनों त्रिवेंद्र सिंह रावत ने क्षेत्र में अपने आधिकारिक अमले के साथ रातें भी गुजारी पर उस वक्त भी मुख्यमंत्री और इनके आधिकारिक अमले का ध्यान इस टूटे-फूटे पुल की तरफ नहीं गया तो अब ग्रामीणों में आस जगी थी कि उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत उनकी समस्याओं का समाधान कर देंगे। सीएम साहब के आधिकारिक अमले का ध्यान जनसमस्याओं की तरफ नहीं जा रहा है। परेशान कर देने वाली बात तो यह है कि यह पूरा क्षेत्र आपदा ग्रसित है बीते दिनों यहां कई लोगों ने अपने जीवन से हाथ भी धो लिए हैं पर अब भी सरकार के कानों पर क्षेत्र के सरोकारों के प्रति जूं नहीं रेंग रही है। अब नये मुख्यमंत्री से ग्रामीणों को एक आशा की किरण जागी है कि शायद उन्हें कोई इस बात से रूबरू करा दे कि ग्रामीणों के आगमन के लिए बनाया गया पुल खतरे की जद में है जिससे मुख्यमंत्री उसका संज्ञान लेकर वहां नया पुल बनाने की दिशा में अपने कदम आगे बढा दें और ग्रामीणों के मन में चले आ रहे खौफ को दूर किया जा सके।

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