विधायक की चरणवन्दना करेंगे माननीय!

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विधायक बनंेगे ‘महामण्डलेश्वर’
हरिद्वार(उज्जवल)। भारतीय सनातन परंपरा में संतो की चरणवन्दना पुण्यदायी कार्य है जिसे हर सनातनी अपनाता है चाहे वो किसी भी राजनीति या गैरराजनीतिक पद पर हो। ये सन्तों के प्रति हमारी भावना है। इन दिनों हरिद्वार में महाकुम्भ चल रहा है और इस दौरान विभिन्न अखाड़े अपने कुनबे को बढ़ाने के लिए कई साधुओं को अखाड़े में शामिल करता है जिन्हें विभिन्न पदों नियमानुसार सुशोभित भी करता है। इस बार श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ से रविदासाचार्य जो हरिद्वार की ज्वालापुर विधानसभा के विधायक सुरेश राठौड़ है को पंचायती निरंजनी अखाड़े का महामण्डलेश्वर बनाया जाएगा? विधायक की महामण्डलेश्वर पर जैसे ही ताजपोशी होगी उसके बाद उत्तराखण्ड से लेकर देश-विदेश के माननीय उनकी चरण वंदना करते हुए नजर आयेंगे?
सुरेश राठौड़ विधायक होने के साथ साथ रविदासाचार्य भी है जो रविदास सम्प्रदाय के बीच कथाएं व प्रवचन भी करतें हैं। अब हरिद्वार कुम्भ में श्री निरंजनी पंचायती अखाड़ा के सचिव महंत रवींद्र पूरी महाराज व अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने इस बात की घोषणा की कि आगामी 12 अप्रैल सोमती अमावस्या पर विधायक सुरेश राठौड़ जो रविदासाचार्य भी हैं को महामण्डलेश्वर की उपाधि से अलंकृत किया जाएगा। सुरेश राठौड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्लोगन ‘आपदा में अवसर’ को बेहतरी से तलाशा है? सुरेश राठौड़ अपनी सरकार के सत्ता परिवर्तन के बाद तीरथ मंत्रिमंडल में शामिल होने के हरिद्वार कोटे से पूरे दावेदार थे लेकिन उनका प्रयास दूसरी बार के विधायक स्वामी यतीश्वरानंद के हाथों लग गया। जिससे सुरेश राठौड़ आहत तो हुए लेकिन जिस प्रकार से इन दिनों हरिद्वार महाकुम्भ में देश की बड़ी-बड़ी हस्तियां संतो के डेरों में नतमस्तक हो रहे है वही सब सुरेश राठौड़ को भा गया? वैसे सुरेश राठौड़ जिस पीठ से जुड़े है उसको मानने वाले सुरेश राठौड़ को रविदासाचार्य के रूप में पूजते भी है। अब सुरेश राठौड़ के मन मे मंत्री न बन पाने की भारी टीस है जिसे उन्होंने किसी प्रतिक्रिया में जाहिर नही होने दिया और निरंजनी अखाड़े के अधिकारियों को महामण्डलेश्वर का पद पाने को राजी कर लिया? ये सब जिस प्रकार से हुआ उसकी महक पूरे राजनीतिक व आध्यात्मिक जगत में आ चुकी है। पहले निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर तथा अब विधायक को महामण्डलेश्वर बनाने को विवादों का नाता जुड़ गया है। राजनीतिक व आध्यात्मिक क्षेत्र में विभिन्न बातों का बाजार बहुत गर्म हो गया है। कुम्भ कार्यों, कुम्भ आयोजन व 13 आखड़ों को 1-1 करोड़ बांटने के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व निरंजनी अखाड़े के ही महंत अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी पर कई सवाल खड़े हुये? फिर अचानक निरंजनी अखाड़े का कैलाशानंद ब्रह्मचारी को दूसरे अखाड़े से लाकर आचार्य महामंडलेश्वर बनाना भी विवाद भरा रहा है। अब अचानक एक ऐसे व्यक्ति को अखाड़े के महामण्डलेश्वर बनाया जा रहा है जो गृहस्त जीवन में हैं और विधायक भी है। सुरेश राठौड़ को महामण्डलेश्वर बनाने की घोषणा से चार घण्टे पहले ही नरेंद्र गिरी ने बयान दिया था कि आखड़ों से गृहस्त जीवन वाले सन्तों-महन्तों को बाहर किया जाएगा और थोड़ी देर बाद ही सुरेश राठौड़ की घोषणा से सब आश्चर्य में पड़ गए? ये वही सुरेश राठौड़ है जो भाजपा में अपनी पहचान दलित नेता के रूप में स्थापित कर चुके है जिसका लाभ लेकर ही पूर्वर्ती निशंक सरकार में ये पिछड़ा आयोग के उपाध्यक्ष रहे। उसी का लाभ के हरिद्वार की आरक्षित सीट ज्वालापुर से विधायक बनने में कामयाब रहे। अतिमहत्वाकांक्षी सुरेश राठौड़ मंत्री बनने में तो सफल नही हुए लेकिन अब उन्हें जिस तरह से महामण्डलेश्वर बनाने की तैयारी हो चुकी है उससे साफ है कि उत्तराखण्ड से लेकर देश-विदेश के माननीय उनकी चरण वंदना करेंगे।

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