मीडिया सलाहकार नहीं ‘साजिशकर्ता’ था रमेश भट्ट

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रमेश भट्ट का अमृतेश चौहान से क्या रहा गठजोड़?
आखिर रांची किस मिशन पर गया था पूर्व मीडिया सलाहकार
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में त्रिवेन्द्र सत्ता का अंत होने के बाद उनके पूर्व मीडिया सलाहकार पर जिस तरह से सोशल मीडिया में उंगलियां उठ रही हैं वह शत-प्रतिशत सही ही मानी जा रही हैं? बहस यह भी छिड रही है कि रमेश भट्ट मीडिया सलाहकार नहीं बल्कि चार साल तक कुछ पत्रकारों के खिलाफ साजिश करने में अपना खुलकर रोल-प्ले कर रहा था? सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार रमेश भट्ट व अमृतेश चौहान के बीच ऐसा क्या गठजोड था कि रमेश भट्ट अमृतेश चौहान को रांची में मात्र आधा घंटे के लिए मिलने के लिए गया था? अमृतेश व रमेश भट्ट के बीच रांची में क्या खिचडी पकी यह एक बडी जांच का विषय है क्योंकि अमृतेश चौहान ही वह व्यक्ति है जिसने पत्रकार उमेश कुमार के खिलाफ रांची में फर्जी राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कराया था और उसके एवज में लम्बे समय तक अमृतेश चौहान उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का मेहमान बना रहा और आखिरकार दून में जब एक बार फिर उमेश कुमार और चंद पत्रकारों के साथ अमृतेश चौहान पर भी राजद्रोह का मुकदमा लगा तो उसके बाद त्रिवेन्द्र रावत का करीबी पूर्व मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट किस मिशन को लेकर अमृतेश चौहान से मिला अगर इसकी बडी जांच हो जाये तो खुलासा हो जायेगा कि राजद्रोह के मुकदमे में रमेश भट्ट ने पत्रकारों के खिलाफ पर्दे के पीछे रहकर साजिशकर्ता के रूप में एक बडी योजना को अंजाम दिलाया था?
उल्लेखनीय है कि मीडिया सलाहकार का काम सरकार के मुखिया व पत्रकारों के बीच सामंजस्य बिठाने का होता है लेकिन उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत का मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट हर उस पत्रकार की आवाज दबाने के लिए आगे रहता था जो पूर्व मुख्यमंत्री के शासनकाल में हो रहे घोटाले व भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लेखनी को आजाद तरीके से चलाने के लिए आगे आता था। रमेश भट्ट ने अपने कार्यकाल में जिस तरह से कुछ पत्रकारों के खिलाफ पर्दे के पीछे रहकर फर्जी मुकदमें दर्ज कराने का प्रपंच रचा उसकी गूंज हमेशा उत्तराखण्ड की वादियों में गूंजती रही? सोशल मीडिया पर एक ऑडियो जमकर वायरल होती आ रही है जिसमें त्रिवेन्द्र रावत के पूर्व मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट व रांची के अमृतेश चौहान के बीच बातचीत हो रही है। बातचीत का मजनून यह रहा कि रमेश भट्ट अमृतेश चौहान से बात कर रहा है और उसे बता रहा है कि उसकी फ्लाईट सात बजकर पच्चीस मिनट पर रांची पहुंचेगी और वह उसे आधे घंटे मिल ले और यहां तक दहाड लगाई कि मुझे डरना नहीं आता। ऑडियो में रमेश भट्ट अमृतेश चौहान को कह रहा है कि उन्हें इस बात का पता होना चाहिए कि सरकार कितनी बडी चीज होती है और एक आदमी कितना बडा होता है और यहां तक रौब गालिब किया कि उन्हें नहीं पता कि दोनो तरफ से धर-पकड होगी इस पर अमृतेश चौहान रमेश भट्ट से कहता है कि अगर उसका रिश्ता सुधर जायेगा तो वह पैसे की चर्चा भी नहीं करेगा लेकिन रमेश भट्ट उसे बोलता है कि रिश्ता भी हो जायेगा और पैसा भी मिल जायेगा इसलिए वह इस बारे में किसी से बात न करें और जिस व्यक्ति से यह पूरा मामला है वह उसकी उनसे सीधी बात करा देगा। अब सवाल उठता है कि आखिरकार अमृतेश चौहान ने किससे पैसा लेना था और रमेश भट्ट उसकी किससे बात कराने का दम भर रहा था? कुल मिलाकर कहा जाये तो उमेश कुमार व कुछ पत्रकारों पर हुये राजद्रोह का असली साजिशकर्ता रमेश भट्ट ही है और अगर रमेश भट्ट व त्रिवेन्द्र रावत का नारको टेस्ट करा दिया जाये तो उससे साफ पता चल जायेगा कि उमेश कुमार व कुछ पत्रकारों पर फर्जी राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कराने के लिए किन-किन अफसरों ने साजिश का खेल खेला था?

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