पूर्व महापौर मनोरमा डोबरियाल शर्मा की छठी पुण्यतिथि के अवसर पर रूलक सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर हरीश रावत ने स्वतंत्रता संग्राम के वीर सेनानियों के परिवारों और आश्रितों को सम्मानित किया। बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई में बलिदान देकर हमें खुली हवा में सांस लेने का अवसर देने वाले वीर स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना गौरव की बात है।
सर्वधर्म समभाव की धारणा को बचाना है
देश को आजादी दिलाने के लिए प्राणों की आहुति देने वालों की सोच को बरकरार रखना होगा। महात्मा गांधी के सपनों का देश बनाने के लिए हमें मिलकर आगे बढ़ना चाहिए। तभी सर्वधर्म समभाव की धारणा को बचाया जा सकता है। यह बातें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहीं।
उन्होंने कहा कि दुख है कि जिस देश की एकता के लिए वीर सेनानियों ने अपना बलिदान दिया, वो सोच आज खतरे में है। पूर्व महापौर स्वर्गीय मनोरमा डोबरियाल शर्मा को याद करते हुए कहा कि प्रथम महापौर के रूप में देहरादून को विश्व पटल में पहचान दिलाने में उनका अतुल्य योगदान रहा।
राज्यसभा की सदस्य रहते हुए भी उन्होंने राज्य के सरोकारों को संसद के अंदर एक मजबूत आवाज दी थी। कार्यक्रम की आयोजक मनोरमा डोबरियाल शर्मा मेमोरियल फाउंडेशन की अध्यक्ष व कांग्रेस नेता आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वतंत्रता सेनानी आश्रित संघ के महामंत्री भद्रसेन नेगी ने की।
सम्मानित होने वालों में वीरा देवी, पूर्णा देवी, संदेश मल्होत्र, डॉ. एसके गोविल, महिपाल सिंह रावत, संजीव नेगी, गोवर्धन प्रसाद शर्मा, प्रो. एसएस रावत, आदेश कुमार गुप्ता, राकेश कुमार डोभाल, निर्मला गुसाईं, सुधा जुयाल, विनीता फरासी, त्रिलोक सिंह भाटिया, शशांक गुप्ता, विजय कुमार गर्ग आदि शामिल रहे।