प्रमुख संवाददाता
देहरादून। सियासत करने का जो हुनर सीख लेता है और अपनी सियासत को वह धमंड के द्वार पर ले जाने के बजाए आवाम के दिलों में प्रवेश करता है तो उससे उस सियासतदार का राजनीतिक जलवा अंधेरे की रोशनी मे भी उसी तरह से चमकता है जैसे काले बादल मे चांद चमकता है। उत्तराखण्ड में धामी नाम का जो चांद आवाम को चमकता हुआ दिखाई दे रहा है उससे उन्हें यह सुकून मिल रहा है कि धामी नाम की रोशनी मे आज उत्तराखण्ड हर तरफ अपनी चमक बिखेर रहा है। उत्तराखण्डवासियों को यह देखकर काफी राहत मिल रही है कि आज उनका मुख्यमंत्री आवाम का दिल अजीज बन चुका है जो उन्हें यह अहसास करा रहा है कि वह उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री नहीं बल्कि एक जनसेवक हैं जो राज्यवासियों की सेवा करने के लिए काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के तीन साल के धाकड कार्यकाल ने आवाम को एक नई उडान पर ले जाने का जो दौर शुरू किया है उससे यह दिखाई देने लगा है कि अब उत्तराखण्ड बदल रहा है।
आवाम की हमेशा चाहत रहती है कि उसका जनसेवक हमेशा उनके बीच रहे और वह सत्ता की सबसे बडी कुर्सी पर बैठने के बावजूद भी किसी को छोटा न समझे और उनका यह मन पढते हुए मुख्यमंत्री ने अपने आपको आवाम के बराबर रखने का जो संदेश लम्बे समय से दे रखा है उसी के चलते आज राज्य की जनता युवा मुख्यमंत्री को अपनी आंखो का तारा मानने लगी है और मुख्यमंत्री भी यह समझ चुके हैं कि सत्ता कभी भी अहंकार और द्वेष भावना से नहीं चलती है और यही कारण है कि वह आवाम के बीच जाकर उन्हें यह संदेश देते आ रहे हैं कि सरकार तब तक है जब तक आवाम का उस पर विश्वास है और आवाम का विश्वास जीतने की दिशा मे मुख्यमंत्री ने हमेशा अपने आपको अगली पक्ति मे खडा किया है जिससे उत्तराखण्ड के अन्दर अब विपक्ष नाम की कोई चीज नजर ही नहीं आ रही? मुख्यमंत्री के कार्यकाल मे भाजपा ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव और केदारनाथ उपचुनाव में जीत का जो इतिहास रचा है उस इतिहास को लिखने वाली उत्तराखण्ड की जनता यह संदेश दे रही है कि उन्हें अपने युवा मुख्यमंत्री पर अभेद भरोसा है जो सबको साथ लेकर चलने मे ही विश्वास रखते हैं। आवाम अब यह भी कहने लगा है कि जैसे हमदर्द की एक ही दवा होती है उसी तर्ज पर उत्तराखण्ड के हमदर्द की एक ही दवा है दिल अजीज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी।
उल्लेखनीय है कि अहंकार और बदले की भावना के धमंड में उडते हुए चंद एक्स सीएम कुछ मीडियाकर्मियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने में अपने आपको पॉवरफुल राजनेता दिखाने का खेल खेलते रहे? चंद एक्स सीएम और उनकी चौखट पर गुलामी की परिक्रमा करने वाले कुछ अफसरों के कारण आवाम को डराने का जो प्रपंच रचा था उसकी गूंज हमेशा सरकारों के दिल्ली में बैठे आला कमानों तक पहुंचती थी और उसी के चलते उत्तराखण्ड के अन्दर हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन होता रहा। वहीं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब युवा राजनेता पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी तो उन्होंने छह महीनें में ही आवाम का दिल जीतने का जो करिश्मा दिखाया उसी के चलते भाजपा दुबारा सत्ता पर आसीन हुई। मुख्यमंत्री ने तीन साल में एक जनसेवक बनकर सत्ता चलाने का जो पैमाना तय किया उसी के चलते वह आज आवाम के दिल अजीज मुख्यमंत्री बन चुके हैं और केदारनाथ उपचुनाव में महिलाओं ने जिस तरह से बाबा केदारनाथ की धरती पर कमल खिलाने के लिए अपने कदम आगे बढाये उसी के चलते वहां भाजपा की जीत हुई और अब महिला शक्ति मुख्यमंत्री को एक लम्बे युग तक सत्ता में बने रहने का आशीर्वाद दे रही है उसको देखते हुए उत्तराखण्ड के अन्दर अब यह आवाज उठने लगी है कि ऐसा सीएम कहां मिलेगा…।
गौरतबल है कि चंद एक्स सीएम तो अपने कुछ अफसरों के अहंकार और भ्रष्टाचार को देखते हुए भी घृतराष्ट्र बने रहे और उसी के चलते राज्यवासी उन्हें अपनी रडार पर लेने से कभी पीछे नहीं हटे? चंद एक्स सीएम के खिलाफ उनके शासनकाल में हुये भ्रष्टाचार और घोटालों का आईना लोग सोशल मीडिया पर दिखाते रहे और इससे खफा होकर चंद एक्स सीएम कुछ मीडियाकर्मियों के खिलाफ फर्जी मुकदमें लिखवाने से बाज नहीं आये और अपने आपको ईमानदारी का आईना बताने वाले चंद आईपीएस अफसर गुलामी की जंजीरों में कैद होकर कुछ पत्रकारों की लेखनी को कूंद करने के लिए उन पर फर्जी मुकदमें लिखवाने से पीछे नहीं हटे थे? उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी एक युवा राजनेता हैं और वह उत्तराखण्ड को नजदीक से पहचानते हैं इसलिए उन्होंने जबसे सत्ता संभाली है तबसे उन्होंने एक ही संकल्प ले रखा है कि वह अपने कार्यकाल में द्वेष भावना के साथ काम नहीं करेंगेे और न ही मीडिया की लेखनी को गुलाम बनाने के लिए वह उन्हें अपनी पॉवर का डर दिखायेंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखण्ड के पहले ऐसे राजनेता बन गये हैं जो दिल्ली मे जाकर प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि उनकी कैबिनेट के हर पॉवरफुल मंत्री से मुलाकात कर उत्तराखण्ड के विकास के लिए वह बडी-बडी योजनायें सौगात के रूप मे लाते रहे हैं। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड की राजनीति में वो नया अध्याय लिख दिया है जिसे देखकर पहाड से लेकर मैदान तक की जनता उनकी मुरीद हो रही है। मुख्यमंत्री ने राज्य के पहाड से लेकर मैदान तक के हर जिलों में जिस तरह से वहां रात्रि प्रवास के दौरान आवाम के मन की बात सुनने के लिए पंचायतें लगाई और उनसे सीधा संवाद कर उत्तराखण्ड को विकास के पथ पर आगे ले जाने के लिए मंथन किया उससे राज्यवासियों को यह विश्वास होता जा रहा है कि मुख्यमंत्री उस सोच के राजनेता हैं जो सबको साथ लेकर चलने मे ही विश्वास रखते हैं और इसी विश्वास ने उन्हें उत्तराखण्ड की राजनीति का चांद बना दिया है।