प्रमुख संवाददाता
देहरादून। मुख्यमंत्री ने 2०25 तक उत्तराखण्ड को नशामुक्त करने का संकल्प लिया हुआ है और इस संकल्प को वह धरातल पर उतारने के लिए सख्त रूख अपनाये हुये हैं और उसी के चलते सभी जनपदों में नशा माफियाओं के खिलाफ बडा ऑपरेशन चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री का साफ अल्टीमेटम है कि राज्य के अन्दर अगर किसी ने भी नशा बेचने का दुसाहस किया तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल मे लाई जायेगी। राजधानी के पछवादून में नशे का नेटवर्क काफी घातक बना हुआ है और इस नेटवर्क को भेदने के लिए पुलिस कप्तान ने अपनी बडी मुहिम चला रखी है। सहसपुर इलाके मे ग्रीन हर्बल कम्पनी ने आयुर्वेदिक दवाईयां बनाने की आड में वहां नशे के कैप्सूल बनाने का कारखाना बना डाला और वह मुख्यमंत्री के नशामुक्त विजन को चुनौती देने से भी पीछे नहीं हटा और वह फैक्ट्री में नशे के कैप्सूल बनाकर उन्हें इतनी चालाकी से सप्लाई कर देता था कि उनकी भनक किसी को नहीं लगती थी लेकिन एक बडी गोपनीय सूचना पर पुलिस ने एक सप्ताह फैक्ट्री की रेकी की और उसके बाद वहां जब छापेमारी की गई तो पुलिस और ड्रग विभाग की टीम यह देखकर दंग रह गई कि फैक्ट्री में नशे के कैप्सूल बनाने का काला कारोबार चल रहा है। पकडा गया फैक्ट्री मालिक नशे के धंधे का बडा खिलाडी है और वह यह सारा खेल एक नशे की फैक्ट्री में काम करते हुए सीख गया था और उसके बाद उसने अपना नशे का अलग साम्राज्य बना लिया था। राजधानी के अन्दर नशे के कैप्सूल बनाने की फैक्ट्री से यह सवाल उठ रहे हैं कि अगर कोई नशा सौदागर फैक्ट्री के अन्दर नशे के कैप्सूल बना रहा है तो उसके सारे राज को बेनकाब कर उसका सारा नेटवर्क तार-तार कर दिया जाये।
मुख्यमंत्री की सख्त चेतावनी के बावजूद जिस तरह राज्य के कुछ जनपदों में दवाई बनाने की फैक्ट्रियों में नशे का काला कारोबार होता हुआ दिखाई दिया है वह काफी चिंताजनक ही माना गया है? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दहाड लगा रखी है कि नशा माफियाओं के नेटवर्क को नेस्तनाबूत करना उनका पहला विजन है और इसी विजन को वह धरातल पर उतारने के लिए आगे बढ रहे हैं। मुख्यमंत्री की सख्त शैली से ही नशा माफियाओं को लम्बे समय से सलाखों के पीछे पहुंचाने का ऑपरेशन चलाया जा रहा है लेकिन हैरानी वाली बात है कि राजधानी के सहसपुर इलाके मे आयुर्वेदिक दवाईयां बनाने वाली एक फैक्ट्री में नशे के कैप्सूल बनाने का जो काला सच बाहर आया है उससे यह सवाल खडे हो रहे हैं कि फैक्ट्री में नशे का काला कारोबार करने वाले नशा माफिया को मुख्यमंत्री की दहाड़ क्या कभी सुनाई नहीं पडी जिसमें वह नशे के खिलाफ हमेशा फायर दिखते रहे हैं? मुख्यमंत्री को नशे के कैप्सूल बनाने वाला नशा माफिया अपनी फैक्ट्री में सिस्टम को कैसे खुली चुनौती दे रहा था यह अब एक बडा सवाल खडा हो चुका है? सवाल यह भी तैर रहा है कि दवाई की फैक्ट्रियों मे कोई प्रतिबंधित दवाईयां या नशे के कैप्सूल तो नहीं बन रहे इस पर ड्रग विभाग की नजर होनी चाहिए लेकिन सहसपुर में आयुर्वेदिक दवाईयां बनाने वाली फैक्ट्री के अन्दर नशे के कैप्सूल बनते रहे और ड्रग विभाग को इसकी भनक क्यों नहीं लग पाई यह उसकी कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है? दवाई की फैक्ट्री में नशे के कैप्सूल बनाने का काला सच सामने आने पर सहसपुर थाना प्रभारी मुकेश त्यागी, उनकी एनएफटी टीम और ड्रग विभाग की टीम पर यह जिम्मेदारी आ गई है कि वह इस बात का रहस्य उजागर करे कि दवाई की फैक्ट्री में कब से नशे के कैप्सूल बनाने का गोरखधंधा चल रहा था।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सत्ता संभालने के बाद से ही राज्य के अन्दर नशा माफियाओं पर प्रहार करने का खुला अल्टीमेटम दिया था और वह इस बात को लेकर चिंतित थे कि राज्य के युवाओं में जिस तरह से नशे की लत लग रही है वह राज्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। मुख्यमंत्री 2०25 तक उत्तराखण्ड को नशामुक्त करने के लिए सभी जनपदों के पुलिस कप्तानों को आदेश दिये हुये हैं। पहाडों में भी नशे का काला कारोबार सर उठाये हुये है और जिस तरह वहां आये दिन नशा तस्कर पुलिस के हत्थे चढ़ रहे हैं उससे यह सवाल खडे हो रहे हैं कि आखिरकार नशा तस्करों का कितना बडा साम्राज्य राज्य के अन्दर स्थापित हो रखा है कि उनका नेटवर्क भेदने में पुलिस के छक्के छूट रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का विजन है कि राज्य के युवाओं को नशे से आजादी दिलाकर उन्हें एक नई उडान पर लाया जाये जिससे कि वह अपने परिवार के रक्षक बनकर उनका पालन कर सकें।