खलंगा मेला पूर्वजों की वीरता और अदम्य साहस को स्मरण करने का अवसर

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देहरादून(नगर संवाददाता)। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि समर्पित भाव से कार्य करते हुए आ रहे है और आज बचपन के दिन आ गये है और अपने पुज्य पिताजी का भी स्मरण कर रहे है। देशभक्ति का झंडा फहराया तो सबके मन में नई ऊर्जा पैदा हो गई है और वह भी सैनिक परिवार में जन्में है। उन्होंने कहा कि खलंगा मेला पूर्वजों की वीरता और अदम्य साहस को स्मरण करने का अवसर भी है। यहां नालापानी सागरताल में खलंगा मेला समिति के तत्वावधान में खलंगा मेला 2०24 के शुभारंभ पर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि ऐतिहासिक पचासवें खलंगा वीरता व अदम्य साहस और सभी वीरों को नमन करते गोर्खा समाज के सभी लोगों का अभिनंदन करते है। उन्होंने कहा कि कुंवर बलभद्र थापा, उनकी सेना और विरांगनाओं को भी याद किया है। उन्होंने कहा कि यहां पर एक सेतू का काम किया गया है और यह मेला वीर भूमि उत्तराखंड के अमर बलिदानियों को हमेशा याद करती रहेगी।
उन्होंने कहा कि अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया और इस युद्ध में हमें देशभक्ति की प्रेरणा देता रहेगा और स्मरण करता रहेगा की खलंगा मेला क्यों आयोजित होता है और धर्म की रक्षा के लिए और हम सब की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दी है और हमेशा हमारे मन में रहेंगें जो प्राणों का बलिदान देता है तो वह अमर हो जाता है और उनका सेनानायक वीर बलभद्र थापा के साहस व गौरवशाली विरासत का भी खलंगा मेला प्रतीक है। उन्होंने कहा कि सेनानायक वीर बलभद्र थापा एवं उनके वीर सैनिकों का सुदृढ़ खलंगा किला आज भी गर्व से मस्तक उठाए खड़ा है और सन 1814 में गोर्खाली तथा उत्तर भारत के स्थानीय लोग लगभग छह सौ वीर, वीरांगनाओं, योद्धाओं ने सेनापति बलभद्र थापा के नेतृत्व में अदम्य साहस का परिचय देते हुए तीन बार अंग्रेजों के आक्रमण को पूरी तरह विफल कर दिया था। उन्होंने बताया कि इस युद्ध में सेनानायक बलभद्र थापा के केवल छह सौ सैनिकों जिनमें वीर वीरांगनाओं एवं बच्चों ने भी अपने प्राचीन हथियारों भरवा बंदूक , धनुष बाण,घुयेत्रो, भाला, बरछी और खुखरी से लगभग साढे तीन हजार से भी अधिक आधुनिक हथियारों एवं गोला बारूद से लैस थी, कई बार परास्त कर लोहे के चने चबवा दिए थे।
उन्होंने कहा कि देवभूमि में संस्कृति व विरासत को संजोने का काम करते है और यह मेला भी संस्कृति व विरासत को संजोने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति की बट वृक्ष हमारे पूर्वज हमारी संस्कृति को जोडने का काम करते है और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विकास के साथ साथ विरासत को आगे बढाने का काम किया जा रहा है और खलंगा युद्ध स्मार को भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में रखना भी अपने आप में एक इतिहास है और गोर्खा समाज के विकास के लिए राज्य सरकार पूरी तरह संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि मैं अपने ही परिवार के बीच में आया हूं और गोर्खा समाज की संस्कृति व परम्पराओं को संजोने का काम किया जा रहा है और खलंगा मेले के आयोजन के लिए पांच लाख रूपये की घोषणा की है और गोर्खा समाज के उत्थान के लिए गोर्खा परिषद को सशक्त बनाने का कार्य किया जायेगा। इस अवसर पर उन्होंने सभी आयोजकों ढेरो ढेरों बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यहां पर भी सभी प्रकार की सुविधायें प्रदान की जायेगी। इस अवसर पर खलंगा मेले के कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक उमेश शर्मा काऊ, समिति के अध्यक्ष विक्रम सिंह थापा, सेनि कर्नल सी बी थापा, सेनि कर्नल एम बी राना, प्रभा शाह, राम सिंह थापा, सेनि कैप्टन वाई बी थापा, संजय थापा, एडवोकेट एल बी गुरूंग, पूर्व अध्यक्ष राम सिंह थापा, दीपक बोहरा, सेनि कर्नल डी एस खड़का, शमशेर थापा, सुनीता गुरूंग, वन्दना ठाकुर बिष्ट, नीरा थापा, ऊषा उनियाल, रणवीर थापा, अशोक वल्लभ शर्मा, राकेश उपाध्याय, अनिल थापा, राजू गुरूंग, शुभवंती उपाध्याय, इंद्रेश उपाध्याय सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित रहे।

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