देहरादून। विधानसभा चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य की जनता को वचन दिया था कि अगर राज्य में डबल इंजन की सरकार आई तो वह यूसीसी को जल्द से जल्द लागू करेगी। मुख्यमंत्री ने एक बडे विजन के साथ यूसीसी की नियमावली को बनाने का जिम्मा कमेटी को सौंपा था और कमेटी ने आज मुख्यमंत्री को यूसीसी का ड्राफ्ट सौंप दिया और अब राज्य के अन्दर यूसीसी लागू करने का काउंट डाउन शुरू हो गया है क्योंकि मुख्यमंत्री ने साफ संदेश दे दिया है कि कैबिनेट की बैठक में जल्द यूसीसी के ड्राफ्ट को लाकर उसे हरी झंडी दी जायेगी। उत्तराखण्ड में यूसीसी लागू होने पर जहां राज्य को एक नई पहचान मिलेगी वहीं धामी अब देश में पोस्टर बॉय बनते हुए नजर आयेंगे।
समान नागरिक संहिता, उत्तराखण्ड 2०24 अधिनियम के राज्य में क्रियान्वयन के लिए सेवानिवृत्त आई.ए.एस. शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में बनाई गई ‘नियमावली और क्रियान्वयन समितिÓ ने आज सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को नियमावली का ड्राफ्ट सौंपा। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त आई.ए.एस. शत्रुघ्न सिंह, सदस्य सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, अपर पुलिस महानिदेशक अमित सिन्हा और स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा मौजूद थे। समिति द्वारा समान नागरिक संहिता, उत्तराखण्ड 2०24 अधिनियम की नियमावली का ड्राफ्ट सौंपे जाने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 2०22 में प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद हमने मंत्री मण्डल की पहली बैठक में निर्णय लिया कि प्रदेश में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करेंगे। सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देशाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति बनाई गई। कमेटी के रिपोर्ट सौंपने के बाद ०7 फरवरी, 2०24 को राज्य विधान सभा में पारित किया गया। उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता विधेयक 2०24 पर महामहिम राष्ट्रपति की सहमति के बाद 12 मार्च, 2०24 को समान नागरिक संहिता उत्तराखण्ड, 2०24 अधिनियम पारित हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता अधिनियम की नियमावली आज सौंपी गई है। इस नियमावली में मुख्य रूप से चार भाग है। जिसमें विवाह एवं विवाह-विच्छेद लिव-इन रिलेशनशिप, जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण तथा उत्तराधिकार सम्बन्धी नियमों के पंजीकरण सम्बन्धी प्रक्रियाएं उल्लिखित है। उन्होंने कहा कि जल्द ही मंत्रीमण्डल की बैठक में इस अधिनिनियम को राज्य में प्रभावी रूप से लागू करने के लिए तिथि तय की जायेगी। इसके लिए अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। जन सामान्य की सुलभता के दृष्टिगत इस समान नागरिक संहिता के लिए एक पोर्टल तथा मोबाइल एप भी तैयार किया गया है, जिससे कि पंजीकरण, अपील आदि की समस्त सुविधाएं जन सामान्य को ऑनलाईन माध्यम से सुलभ हो सके। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में सबको समान रूप से न्याय मिले। महिलाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विधेयक बना है। जल्द इस अधिनियम को धरातल पर उतारा जायेगा। आजादी के बाद उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य बन जायेगा जिसे समान नागरिक संहिता लागू करने का गौरव प्राप्त होगा। इस अवसर पर उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद विश्वास डाबर, अपर मुख्य सचिव आनंद बद्र्धन, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली, विनय शंकर पाण्डेय, विशेष सचिव रिद्धम अग्रवाल, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी उपस्थित थे।