गुप्ता बंधुओं को जेल से बाहर आने का करना होगा इंतजार!

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उच्च न्यायालय में अब 28 जून को जमानत पर होगी बहस
दून पुलिस से न्यायालय ने तीन हफ्तों मे मांगा प्रति शपथपत्र
प्रमुख संवाददाता
देहरादून/नैनीताल। राजधानी के प्रसिद्ध बिल्डर ने एक इमारत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी और उसके बाद मृतक के पास से मिले सुसाइड नोट के चलते पुलिस कप्तान ने जांच का जिम्मा खुद संभाला उसके बाद उन्होंने मामले की गहनता से जांच पडताल करने के बाद दो गुप्ता बंधुओं को बिल्डर की आत्महत्या के मामले मे गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया था। पुलिस ने जब इस मामले की जांच शुरू की तो उसके बाद खुलासा हुआ कि बिल्डर ने मरने से पहले पुलिस कप्तान को गुप्ता बंधुओं को लेकर एक शिकायती पत्र दिया था जिसमे उन्होंने गुप्ता बंधुओं द्वारा उसे आतंकित किये जाने की शिकायत की थी। पुलिस ने उस शिकायती पत्र की जांच के बाद गुप्ता बंधुओं पर आत्महत्या के मामले मे तीन धारायें और जोड़ दी थी। जिला जज ने भी गुप्ता बंधुओं की जमानत याचिका को सुनने के बाद उनकी जमानत खारिज कर दी थी और उसके बाद गुप्ता बंधुओं की जमानत याचिका उच्च न्यायालय ने दायर की गई थी। आज गुप्ता बंधुओं की जमानत याचिका पर उच्च न्यायालय मे सुनवाई होनी थी और दून पुलिस ने इस मामले मे अपनी प्रोग्रेस रिपोट भी न्यायालय मे दाखिल की जिसके बाद न्यायालय ने दून पुलिस से तीन हफ्ते के भीतर काउंटर मांगा है और जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए 28 जून की तारीख निश्चित की है। गुप्ता बंधुओं की जमानत याचिका पर 28 जून को सुनवाई होने के चलते गुप्ता बंधुओं को जेल से बाहर आने का अभी इंतजार करना पडेगा?
राजधानी के प्रसिद्ध बिल्डर सतेंद्र सिंह साहनी की आत्महत्या के मामले मे जेल की सलाखों के पीछे बंद अजय कुमार गुप्ता और अनिल कुमार गुप्ता की जिला जज देहरादून के न्यायालय से जमानत याचिका खारिज हो चुकी है और उसके बाद गुप्ता बंधुओं की उच्च न्यायालय मे जमानत याचिका डाली गई है और आज जमानत पर सुनवाई होनी थी और जांच कर रही पुलिस ने इस मामले मे न्यायालय मे अपनी प्रोग्रेस रिपोट दाखिल की है। वहीं न्यायालय ने गुप्ता बंधुओं की जमानत याचिका को तीन हफ्ते मे अपना काउंटर दाखिल करने के आदेश दिये हैं। न्यायालय ने जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए 28 जून की तारीख निश्चित की है जिसके चलते अभी गुप्ता बंधुओं को जेल से बाहर आने का इंतजार करना पडेगा?
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड की कमान जबसे डीजीपी अभिनव कुमार के हाथों मे आई उन्होंने उत्तराखण्ड के अन्दर कानून का राज स्थापित करने के लिए अपने कदम आगे बढ़ा रखे हैं। डीजीपी अभिनव कुमार को जानने वालों को इस बात का इल्म है कि उनके शासनकाल मे कोई दौलत के दम पर किसी अपराध से नहीं बच पायेगा। बतादें कि कुछ समय पूर्व जब राजधानी के प्रसिद्ध बिल्डर सतंेद्र सिंह साहनी ने एक इमारत से कूदकर आत्महत्या की थी तो उसके बाद साहनी के पास से मिले सुसाइड नोट मे ऊची हस्ती वाले गुप्ता बंधु अजय गुप्ता और अनिल कुमार गुप्ता का नाम सामने आया तो उसके बाद डीजीपी ने इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए पुलिस कप्तान अजय सिंह को जिम्मा सौंपा था। पुलिस कप्तान ने मामले की निष्पक्ष जांच कराने की खुद मॉनिटिरिंग की और उसके बाद उन्होंने गुप्ता बंधुओं पर आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज कर उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया था। पुलिस कप्तान ने बिल्डर के उस पत्र की जांच शुरू कराई जिसमें उन्होंने गुप्ता बंधुओं से मौत का भय बताया था। डीजीपी अभिनव कुमार इस मामले मे अपनी पैनी नजर बनाये हुये थे कि पुलिस जांच मे कोई ऐसा काम न कर दे जिससे पुलिस की जांच पर सवाल उठ जायें। पुलिस ने अपनी जांच में गुप्ता बंधुओं पर धारा 420, 385 और 120बी शामिल की। वहीं पुलिस कप्तान ने बिल्डर साहनी द्वारा काले धन को लेकर जो आशंका व्यक्त की थी उसको लेकर ईडी को भी जांच के लिए पत्र लिखा हुआ है।

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